(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। हमारे यहाँ पाटी पूजन विद्यारंभ संस्कार के रूप में मनाते हैं। सरस्वती शिशु मंदिरों में यह गुरूकुल कालीन प्राचीन परंपरा आज भी विद्यमान है जिसमें ढाई साल से साढे तीन साल तक के छोटे – छोटे भैया बहिनों को बुलाकर पूजन हवन के बीच उनकी जीभ में शहद से ओम लिखा जाता है। उनके नन्हें हाथों को पकड़कर उनसे स्लेट पर ओम लिखाया जाता है।
उक्ताशय के विचार विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान मध्य क्षेत्र के कोषाध्यक्ष एवं महाकौशल वनांचल शिक्षा सेवान्यास उपाध्यक्ष एवं जनजाति शिक्षा के क्षेत्र प्रभारी के दायित्व का निर्वहन कर रहे अरूण पटेवार ने व्यक्त किये। बताया गया है कि वे महाकौशल प्रांत, छत्तीसगढ़, मालवा एवं मध्य भारत का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विद्या की आराध्य देवी भगवती सरस्वती देवी की वंदना करते हैं। बसंत पंचमीं उनका प्राकट्य दिवस है। यह पर्व दुनिया भर में विभिन्न रूपों एवं विभिन्न नामों से बडे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।