(शरद खरे)
भाजपा शासित नगर पालिका का कार्यकाल समाप्त हो गया है, दो बार की नगर पालिका परिषद की महात्वाकांक्षी योजनाओं को पूरा करने में नगर पालिका परिषद पूरी तरह असफल ही नजर आयी। पिछली नगर पालिका परिषद के कार्यकाल की मॉडल रोड पूरी नहीं हो पायी तो दूसरी ओर इस नगर पालिका परिषद की नवीन जलावर्धन योजना का काम पूरा नहीं हो पाया।
सिवनी शहर की मॉडल रोड को शायद कहीं और बनना था पर भाजपा शासित नगर पालिका परिषद के द्वारा इसे ज़्यारत नाका से नागपुर नाका के मुख्य मार्ग को ही मॉडल रोड बना दिया गया। इस मार्ग का निर्माण अक्टूबर 2013 में आरंभ कराया गया था। यह काम सात साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है।
तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी किशन सिंह ठाकुर के द्वारा इस मार्ग पर जितने प्रयोग हो सकते थे वे किये गये। यह मार्ग विश्व का पहला ऐसा मार्ग होगा जिसमें महज़ तीन किलोमीटर के हिस्से में तरह-तरह की मोटाई के डिवाईडर बने हुए हैं। इन डिवाईडर्स को किस तकनीक या नक्शे के आधार पर बनाया गया है, यह शोध का ही विषय माना जा सकता है।
लगभग सवा सात साल में महज़ चार किलोमीटर के इस मार्ग का निर्माण पूरा न हो पाना अपने आप में आश्चर्य का ही विषय है। इस मार्ग में अब भी सड़क के दोनों ओर बिजली के खंबों पर लाईट जल रहे हैं जबकि सड़क के बीच में बकायदा खंबे लगाकर लाईट लगा दी गयी है। इन्हें, इसी मार्ग के सभी स्थानों पर चालू क्यों नहीं कराया गया है इस बारे में पूछने की जहमत विपक्षी पार्षदों के द्वारा उठाना मुनासिब नहीं समझा गया है।
इस मार्ग पर सर्किट हाऊस के मुहाने पर मोगली की एक प्रतिमा भी स्थापित की गयी है। इस प्रतिमा के बाजू में एक चबूतरे का निर्माण कराया गया है, लगभग चार साल पहले लगभग आठ फीट ऊँचे चबूतरे का निर्माण क्यों कराया गया है, इस बारे में शहर के नागरिक शायद ही जानते हों।
तत्कालीन जिला कलेक्टर भरत यादव के द्वारा एकता कॉलोनी के सामने वाले चौराहे के समीप नाले पर सड़क चौड़ा करने के निर्देश दिये गये थे। विडंबना ही कही जायेगी कि उनके तबादले के साथ ही उनके निर्देश भी पालिका के तत्कालीन अधिकारियों के द्वारा बिदा कर दिये गये।
एक बात समझ से परे ही है कि इस सड़क के निर्माण के लिये ग्यारह माह का कार्यादेश जारी किया गया था। अर्थात इस मार्ग का निर्माण महज़ 11 माह में पूरा कर लिया जाना चाहिये था। आज लगभग सात साल बाद भी इस सड़क का निर्माण अगर पूरा नहीं हो सका है तो इसे किसकी असफलता मानी जाये!
यक्ष प्रश्न यही है कि अगर समय-सीमा को बार-बार बढ़ाया जाना ही है तो निविदा की शर्तों में कार्य पूर्ण करने की अवधि का कॉलम ही हटा दिया जाना चाहिये। सात साल बाद भी अब तक इस मार्ग को लोकार्पित नहीं किया गया है, यह अपने आप में आश्चर्य से कम नहीं है।
वर्तमान जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह ने नगर पालिका की मश्कें कसना आरंभ किया है। उन्होंने जलावर्धन योजना को समय सीमा में बांधा था, उस बात को भी साल पूरा होने को आ रहा है। उनसे अपेक्षा की जा सकती है कि वे मॉडल रोड का एक बार निरीक्षण कर इसके नक्शे, विस्तृत प्राक्कलन (डीपीआर) आदि को देखकर इस मामले में दिलचस्पी लेकर कम से कम मॉडल रोड का काम तो पूरा करवाने के मार्ग प्रशस्त करें।
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