(ब्यूरो कार्यालय)
जयपुर (साई)। सतीश सद्गुरूनाथ महाराज ऐस धार्मिक गुरू है, जिनके श्रीमुख से आध्यात्मिक बातें, प्रवचन एवं मधुरभजन सुनकर आत्मा भीतर से आनंदित एवं प्रफुल्लित होती है। ये शिव के अनन्य भक्त हैं और प्रसिद्ध शिवमहापुराण कथा वाचक है। ये शिवमहापुराण कथा के दौरान दुःख निवारण शिविर का भी आयोजन करते हैं जिसमें वे लोगों के जीवन में आ रही समस्याओं का उचित समाधान बताते हैं। हिन्दू धर्म के धर्मार्थ कार्यों के लिए इन्हें समय-समय पर अनेक संस्थाओं द्वारा विभिन्न अलंकारों से विभूषित किया गया है।
गत दिनों जयपुर में शिवमहापुराण कथा के दौरान सद्गुरूनाथ महाराज ने पत्रकारों द्वारा पूछे गए शिवमहापुराण, आध्यात्म एवं ज्योतिष के सवालों का सद्गुरूनाथ जी ने बड़े ही सुंदर तरीके से जवाब दिया।
प्रश्न: गुरूदेव शिवमहापुराण में ऐसा क्या है, जिसे शिवभक्त काफी पंसद कर रहे हैं, और उनकी भगवान शिव के प्रति भक्ति भी बढ़ती जा रही है?
सद्गुरूनाथ महाराज : भगवान शिव की महिमा का गुणगान कई प्राचीन भारतीय ग्रंथों में देखने को मिलता है लेकिन शिव पुराण में उनके जीवन पर गहराई से प्रकाश डाला गया है। शिव पुराण में उनके जीवन, विवाह, संतान, रहन-सहन आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। शिव पुराण में 6 खंड और 24000 श्लोक हैं। शिव पुराण की इस संहिता में भगवान शिव से जुड़े ओंकार, शिवलिंग की पूजा और दान का महत्व बताया गया है। भगवान शिव के आंसू से बने रुद्राक्ष और उनकी भस्म के बारे में भी इस संहिता में विशेष जानकारी दी गई है।
प्रश्न: आपने कहा था कि वेदों से ही विज्ञान के सिद्धांत मिले हैं कैसे?
सद्गुरूनाथ महाराज : वेदों में बहुत सी ऐसी बातें लिखी गई है। जो आज विश्व भी मान रहा है। मंगल ग्रह लाल है, चंद्रमा के दक्षिण धु्रव पर 15 दिन रात्रि और 15 दिन उजाला रहता है। ये धर्मग्रंथों में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के सिद्धांत पर आधारित है। चंद्रमा के बारे में अनेक ऐसी बातें है जो वेदों में पहले ही बताई जा चुकी है। अगर इस पर रिसर्च हो तो सारे रहस्य अपने आप खुलते चले जाएंगे।
प्रश्न: आपके दुःख निवारण शिविर एवं शिवमहापुराण कथाओं के दौरान अनेक चमत्कार होने की बात लोग बताते हैं क्या ये सही है?
सद्गुरूनाथ महाराज : चमत्कार कुछ नहीं होता जब भोलेनाथ की इच्छा होती है तब कुछ ऐसी घटनाएं एवं दिव्य अनुभव लोगों को होते हैं। जिसका जिक्र वो अक्सर करते रहते है। कभी लोग शिवमहापुराण कथा के दौरान शिव की आकृति का अनुभव पंडाल में करते हैं। तो किसी के असाध्य रोग से मुक्ति मिल जाती है। मैं तो सिर्फ माध्यम हूं सारे चमत्कार तो देवाधिदेव महादेव के द्वारा ही किये जाते हैं। फिर लोग चमत्कार को नमस्कार करने लगते हैं।
प्रश्न: क्या देवाधिदेव शिव स्वयंभू हैं?
सद्गुरूनाथ महाराज : एक तरह से भगवान शंकर स्वयंभू हैं क्योंकि उनकी उत्पत्ति निराकार रूपसे हुई थी। स्कंद पुराण में कहा गया है-ब्रह्मा, विष्णु, महेश ;त्रिमूर्तिद्ध की उत्पत्ति महेश्वर अंश से ही होती है। भगवान शिव स्वयंभू हैं। दरअसल शिव का ही ब्रह्मरूप, रूद्र, महेश, महाकाल, सदाशिव आदि संज्ञा दी जाने के कारण उन्हें स्वयंभू माना गया है।
प्रश्न: शिव को अर्द्धनारीश्वर क्यों कहा जाता है?
सद्गुरूनाथ महाराज : शिव को अर्द्धनारीश्वर कहे जाने का अर्थ यह नहीं है कि शिव आधे पुरूष ही हैं या उनमें संपूर्णता नही। शिव आधे होते हुए भी पूरे हैं। इस सृष्टि के आधार और रचयिता यानि स्त्री-पुरूष शिव और शक्ति के ही स्वरूप हैं। इनके मिलन और सृजन से यह संसार संचालित और संतुलित है। दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं। नारी प्रकृति है और नर पुरूष। यह बताता है कि शिव जब शक्ति युक्त होते हैं तभी समर्थ होते हैं।
प्रश्न: शिवमहापुराण को पढ़ने से क्या फायदे होते हैं?
सद्गुरूनाथ महाराज : शिव पुराण का पाठ करने से व्यक्ति को भय से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति को भोग और मोक्ष दोनों की ही प्राप्ति होती है। यदि आप अपने पापों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो शिव पुराण का पाठ सबसे ज्यादा लाभकारी है। शिव पुराण का पाठ करने से इंसान को मृत्यु का भय नहीं सताता मानसिक शांति की प्राप्ति के लिये भी शिव पुराण का पाठ किया जाता है।
प्रश्नः भगवान शिव के एकाक्षरी मंत्र ऊँ के बारे में बताएं?
सद्गुरूनाथ महाराज : शिव पुराण में ‘ऊँ’ के जप के महत्व को वर्णित किया गया है, इसे शिव का एकाक्षरी मंत्र भी कहा जाता है। जो भी व्यक्ति ऊँ का रोजाना 1000 बार जप करता है उसे कई चिंताओं से मुक्ति मिलती है। इस जप को करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और व्यक्ति की वाणी में तेज आता है। ‘ऊँ’ का जप करने से कई रोगों से भी मुक्ति प्राप्त होती है। इसके अलावा शिव पुराण में यह उल्लेख भी मिलता है कि, ऊँ नमः शिवाय’ मंत्र का प्रतिपादन भी स्वयं भगवान शिव ने भक्तों की भलाई के लिये किया था। यह मंत्र बहुत सूक्ष्म है लेकिन इसका जाप करने से बड़े से बड़ी मुश्किलें भी दूर हो जाती हैं।
प्रश्न: शिव महापुराण के बताए तरीके से कैसे मानव उन्नति प्राप्त कर सकता है?
सद्गुरूनाथ महाराज : शिव पुराण में सत्य बोलना और सत्य का साथ देने की सीख मिलती है। शिव पुराण के अनुसार जब माता पार्वती भगवान शिव से पूछती हैं कि सबसे बड़ा धर्म क्या है तो भगवान शिव कहते हैं सत्य का साथ देना ही सबसे बड़ा धर्म है। अर्थात व्यक्ति को कभी भी असत्य के मार्ग पर नहीं चलना चाहिये। जो भी व्यक्ति आजीवन सत्य के मार्ग पर चलता है भगवान शिव उसे उन्नति अवश्य प्रदान करते हैं।
प्रश्न: आप अपनी कथाओं में पाश्चात्य संस्कृति पर भी कटाक्ष करते हैं क्यों?
सद्गुरूनाथ महाराज : भारतीय सनातन धर्म इतना सुदृढ़ एवं सशक्त है कि इसे किसी और की नकल करने की आवश्यकता ही नही है। बस जरूरत है इसे जानने और समझने की। आज पूरा विश्व सनातन धर्म की शक्ति को मान रहा है। भारत की संस्कृति और सभ्यता इतनी सुंदर है कि विदेशी लोग भी चकित रह जाते हैं।

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं.
अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.