बुआ का नाम रह पायेगा चिरस्थायी!

21 मई 2019 समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में प्रसारित संपादकीय . . .
हम फिर शर्मिंदा हुए . . . 04
(लिमटी खरे)
सुश्री विमला वर्मा एक महिला का नाम नहीं वरन अपने आप में संपूर्ण संस्था थीं। उनके द्वारा सिवनी जिले को विकास के जिस पथ पर अग्रसर किया गया वह किसी से छुपा नहीं है। उमर दराज हो रही और प्रौढ़ हो चली पीढ़ी इस बात की गवाह है कि उनके सियासत में सक्रिय होने के पहले और उसके बाद उनके सियासत से किनारा करने तक का सिवनी कैसा था! कैसे सिवनी ने एक के बाद एक विकास की पायदानों को चढ़ा है।
सुश्री विमला वर्मा 1963 से 1967 तक मध्य प्रदेश महिला विंग की जिला संयोजक और जिला काँग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रहीं। वे 1967 से 1990 तक लगातार ही विधायक रहीं। वे 1967 से 1968 तक विधान सभा की लोक लेखा समिति की सदस्य रहीं। 1967 से 1969 तक विमला वर्मा मध्य प्रदेश काँग्रेस कमेटी की महासचिव भी रहीं।
1969 से 1972 तक वे मध्य प्रदेश में सिंचाई और बिजली विभाग की राज्य मंत्री रहीं। 1972 से 1975 तक वे प्रदेश में स्वास्थ्य राज्य मंत्री रहीं। इसी दौरान उनके द्वारा बस स्टैण्ड के बाजू में संचालित होने वाले जिला अस्पताल के लिये बारापत्थर में नये विशालकाय भवन का ताना बाना बुना गया। इसके बाद 1977 से 1980 तक वे एक बार फिर मध्य प्रदेश काँग्रेस कमेटी की महासचिव रहीं।
1979 से 1980 तक विमला वर्मा सार्वजनिक उपक्रमों की समिति की सदस्य रहीं। इसके बाद 1980 से 1985 तक वे सार्वजनिक कार्य विभाग, सिंचाई विभाग, ग्रामीण विभाग एवं परिहन विभाग की कैबिनेट मंत्री रहीं। 1982 से 1990 तक वे व्यवसाय सलाहकार समिति, 1987 से 1988 सामान्य प्रयोजन समिति एवं 1987 से 1989 तक वे महिला एवं बाल विकास समिति की सदस्य रहीं। इसके बाद 1988 से 1989 तक श्रम मंत्री रहीं। वर्ष 1989 से 1990 तक वे खाद्य, नागरिक आपूर्ति, सहकारिता, सिंचाई, नर्मदा घाटी विकास की मंत्री रहीं।
1991 में सुश्री विमला वर्मा पहली बार लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुईं। 1991 से 1995 तक वे संचार समिति की अध्यक्ष एवं अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कलयाण समिति की सदस्य रहीं। इसके उपरांत 1995 से 1996 तक विमला वर्मा केंद्र में मानव संसाधन राज्य मंत्री के पद पर रहीं। 1998 में वे दूसरी बार सांसद चुनी गयीं।
सुश्री विमला वर्मा 1963 से 2000 तक सक्रिय राजनीति में सक्रिय रहीं, मानी जा सकती हैं। इस लिहाज से लगभग 37 साल तक उनके द्वारा सिवनी के नागरिकों की सेवा की गयी। इस दौरान उनके द्वारा अनगिनत सौगातें सिवनी की झोली में डाली गयी हैं। सिवनी में निन्यानबे फीसदी सौगातें सुश्री विमला वर्मा की देन ही मानी जा सकती हैं।
1983 से हमने पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा। इस दौरान विमला बुआ की कार्यप्रणाली को कई बार समीप से देखने का मौका भी मिला। विमला वर्मा ने कभी भी नेम-फेम की सियासत नहीं की। वे कर्म करतीं थीं, नाम किसका होगा इसकी चिंता शायद ही उनके द्वारा कभी की गयी हो।
सुश्री विमला वर्मा के नाम पर जिले में कुछ भी नहीं है। कम से कम एक चौराहा, एक सड़क या किसी भवन का नामकरण ही उनके नाम पर किया जाकर उनकी याद को चिर स्थायी बनाया जा सकता है। सिवनी की युवा पीढ़ी से अगर जिले के पाँच सांसदों और पाँच (परिसीमन के बाद बची चार) के दो-दो विधायकों के नाम पूछ लिये जायें तो युवा शायद बगलें झाँकने लगेंगे।
कहने का तात्पर्य यही है कि अगर हम ही विमला वर्मा के नाम पर कुछ नहीं कर पाये और उन्हें उनकी जयंति या पुण्य तिथि पर ही याद किया जाता रहा तो उनकी याद चिरस्थायी शायद ही हो पाये। वर्तमान में प्रदेश में काँग्रेस की सरकार है। जिला काँग्रेस अध्यक्ष राज कुमार खुराना ने भी हाल ही में उन्हें श्रृद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा था कि सियासत का ककहरा उन्होंने विमला बुआ से ही सीखा था। इस लिहाज से विमला वर्मा के शिष्य पप्पू खुराना से उम्मीद की जा सकती है कि वे ही विमला वर्मा को चिर स्थायी रखने के मार्ग प्रशस्त करायेंगे।
सिवनी में एनएचएआई का ट्रामा केयर यूनिट बनाया जाना है। सिवनी में मेडिकल कॉलेज भी बनाया जाना है। इन दोनों में से किसी एक को विमला वर्मा के नाम पर कर दिया जाये तो यह जिलावासियों की ओर से उन्हें सच्ची श्रृद्धांजलि माना जायेगा।
केंद्र में अगर काँग्रेस की सरकार बनती है तब यह करना आसान होगा। अगर नहीं बनती है तब भी सुश्री विमला वर्मा की अंतिम यात्रा में काँग्रेस से ज्यादा भाजपा के नेताओं की तादाद यही साबित करती है भाजपा के नेताओं के बीच भी वे सर्वमान्य नेता ही थीं।
इसी तरह बालाघाट एवं मण्डला संसदीय क्षेत्र से अगर काँग्रेस का प्रत्याशी विजयी होता है तो यह काम आसानी से कराया जा सकता है। अगर इन दोनों सीटों पर भाजपा का परचम लहराता है तो भी यह काम किया जाना आसान होगा, क्योंकि भाजपा के सांसद पद के उम्मीदवार भी विमला वर्मा का बहुत सम्मान करते थे।
कुल मिलाकर कहने का आशय महज इतना ही है कि आज सिवनी के पूर्व सांसद, विधायकों (1990 के पूर्व के) के बारे में युवा पीढ़ी शायद ही कुछ जानती हो। युवाओं को देश-प्रदेश के साथ ही साथ जिले के इतिहास से वाकिफ कराने का काम प्रौढ़ हो रही पीढ़ी का ही है। अगर यह नहीं किया गया तो सिवनी में आजादी के बाद का इतिहास ही मौन हो जायेगा। जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राज कुमार खुराना और जिला भाजपा अध्यक्ष प्रेम तिवारी से उम्मीद है कि वे लौह महिला एवं सिवनी को विकास की पायदान चढ़ाने वालीं सुश्री विमला वर्मा का नाम चिर स्थायी बनाने के मार्ग अवश्य प्रशस्त करें . . .!