निर्विरोध अध्यक्ष चुने जा सकते हैं राजा दिग्विजय सिंह

अगर दिग्विजय अध्यक्ष बने तो मध्य प्रदेश से दूसरा राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलेगा कांग्रेस को
(लिमटी खरे)
137 साल पुरानी कांग्रेस का गठन 28 दिसंबर 1885 को किया गया था। कांग्रेस के द्वारा देश की आजादी में महती भूमिका निभाई है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। अब कांग्रेस में अध्यक्ष का चुनाव होने जा रहा है। एक के बाद एक परतें खुलने के बाद अब इक्कीसवीं सदी में कांग्रेस के चाणक्य की अघोषित उपाधि पाने वाले राजा दिग्विजय सिंह ने अध्यक्ष की दौड़ में खुद को शुमार किया है।
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान बताया कि दिग्विजय सिंह के द्वारा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए नामांकन फार्म ब्रहस्पतिवार को ले लिया है। अगर वे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो देश के हृदय प्रदेश से दूसरा राष्ट्रीय अध्यक्ष कांग्रेस को मिलेगा, इसके पहले प्रदेश से पंडित शंकर दयाल शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। ब्रहस्पतिवार को दिग्विजय सिंह ने रामेश्वर नीखरा के साथ जाकर नामांकन फार्म लिया, वे शुक्रवार को 11 बजे अपना नामांकन दाखिल करेंगे।
आपको बता दें कि इसके पहले देश के हृदय प्रदेश से डॉ. शंकर दयाल शर्मा भी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं। वे भारत के नवमें महामहिम राष्ट्रपति भी रह चुके हैं। अगर दिग्विजय सिंह अध्यक्ष बनते हैं तो यह मध्य प्रदेश के लिए गौरव की बात होगी कि प्रदेश का दूसरा कांग्रेसी नेता कांग्रेस के शीर्ष पद पर विराजेगा।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि दिग्विजय सिंह राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही भारत जोड़ो यात्रा के प्रभारी बनाए गए थे। वे राहुल गांधी के साथ साए की तरह चल रहे थे। अचानक ही उन्हें फोन किया गया और उन्हें दिल्ली आने के निर्देश दिए गए।
सूत्रों ने यह भी बताया कि ब्रहस्पतिवार को 24 अकबर रोड (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय कार्यालय) पहुंचने के पहले अनेक आला नेताओं से भेंट की है। इस दौरान उनकी भाव भंगिमाओं को देखकर सहज ही लग रहा था कि वे उत्साह से पूरी तरह लवरेज हैं। दिग्विजय सिंह के अनुज लक्ष्मण सिंह ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि बचपन से ही उनके बुजुर्गों ने उन्हें संघर्ष करना सिखाया है और दिग्विजय सिंह वैसे भी बहुत ही अनुभवी नेता हैं, उनके अनुभवों का लाभ पार्टी को मिलेगा।
इधर, मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि चूंकि दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश मूल के हैं, इसलिए उनके प्रस्तावक एवं समर्थक भी प्रदेश से ही होना चाहिए। इसके लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के द्वारा दस विधायकों की सूची जारी की गई है।
इस सूची में हिना कांवरे, जीतू पटवारी, पीसी शर्मा, लाखन सिंह यादव, आलोक चतुर्वेदी, आरिफ मसूद, कांतिलाल भूरिया, रामलाल मालवीय, सुरेंद्र सिंह बघेल, विपिन वानखेड़े, कमलेश्वर पटेल और डॉ. गोविंद सिंह शामिल किए गए हैं। मध्यप्रदेश के यह कांग्रेस नेता दिल्ली में होने वाले कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में प्रस्तावक और समर्थकों की भूमिका निभाएंगे।
उधर, लोकसभा के सांसद एवं कांग्रेस के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी शशि थरूर ने भी घोषणा की है कि वे भी अध्यक्ष पद हेतु अपनी किस्मत आजमाएंगे। उन्होंने कहा है कि वे भी 30 सितंबर को ही अपना नामांकन दाखिल करेंगे। इसके अलावा मुकुल वासनिक, सुशील कुमार शिंदे एवं मल्लिकार्जुन खड़गे की उम्मीदवारी भी इस पद हेतु संभावित मानी जा रही है।
उल्लेखनीय होगा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया 24 सितंबर से आरंभ हो चुकी है और 30 सितंबर को नामांकन दाखिल करने का अंतिम दिन है। नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि 8 अक्टूबर है। एक से अधिक उम्मीदवार होने पर 17 अक्टूबर को मतदान होगा और परिणाम 19 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।
एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि राजा दिग्विजय सिंह के द्वारा शशि थरूर से भेंट की जाएगी और दोनों के बीच सहमति बनने की संभावनाएं भी बलवती दिख रही हैं। इन परिस्थितियों में राजा दिग्विजय सिंह अगर निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाते हैं तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
(साई फीचर्स)