राहुल, अड़ानी मामले में तीखी नोकझोंक, ठप्प पड़ी है संसद की कार्यवाही . . .

(ब्यूरो कार्यालय)

नई दिल्ली (साई)। बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद सत्र का कामकाज पूरी तरह ठप है। सत्ता पक्ष कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर उनके लंदन में दिए गए बयानों को लेकर हमलावर है। इस कारण संसद में हफ्तेभर से दुर्लभ स्थिति बन गई है जब सत्ता पक्ष ही सदन नहीं चलने दे रहा है।

उसकी मांग है कि राहुल गांधी विदेश में देश का कथित अपमान करने के लिए माफी मांगें। वहीं, कांग्रेस पार्टी कह रही है कि राहुल गांधी को उनके ऊपर लगे आरोपों पर सफाई देने का मौका दिया जाए। यह तभी संभव है जब संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चले। वहीं, सत्ताधारी दल बीजेपी के सांसद सदन की कार्यवाही शुरू होते ही राहुल गांधी माफी मांगोके नारे लगाने लगते हैं और पीठासीन अधिकारी को थक-हारकर सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ती है। ध्यान रहे कि सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, किसी ना किसी नियम के तहत ही कोई मांग करता है और पूरा नहीं होने की स्थिति में हंगामा करता है। आइए जानते हैं ताजा प्रकरण में कांग्रेस पार्टी और बीजेपी किन-किन नियमों का हवाला दे रही है…

राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि वो देश का अपमान करने के, अपने ऊपर लगे आरोप पर अपना पक्ष रखना चाहते हैं। लोकसभा संचालन का नियम 357 उन्हें इसकी इजाजत देता है। कांग्रेस पार्टी इसी नियम के तहत राहुल गांधी को अपना पक्ष रखने देने की मांग कर रही है। लोकसभा संचालन का नियम 357 कहता है, ‘कोई सदस्य, अध्यक्ष की अनुमति से, व्यक्तिगत स्पष्टीकरण कर सकेगा/सकेगी। यद्यपि सभा के सामने कोई प्रश्न न हो किंतु उस अवस्था में कोई विवादास्पद विषय नहीं उठाया जाएगा और कोई वाद-विवाद नहीं होगा।साफ है कि कोई सदस्य सदन में अपनी सफाई तभी दे सकता है जब अध्यक्ष इसकी अनुमति दें। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि जब लोकसभा अध्यक्ष ही राहुल गांधी को अपना पक्ष रखने की अनुमति नहीं दे रहे हैं तो फिर वो अपना पक्ष रखें भी तो कैसे?

ताजा विवाद में लोकसभा का नियम 362 भी प्रासंगिक है। नियम 362(1) कहता है कि किसी प्रस्ताव के किए जाने के बाद किसी समय कोई सदस्य प्रस्ताव कर सकेगा/सकेगी कि अब प्रश्न रखा जाए। और अगर अध्यक्ष को यह न लगे कि प्रस्ताव इन नियमों का दुरुपयोग है या उचित वाद-विवाद अधिकार का उल्लंघन करता है, तब अध्यक्ष द्वारा यह प्रस्ताव रखा जाएगा कि अब प्रश्न रखा जाए।वहीं, 362(2) कहता है कि जब यह प्रस्ताव कि अब प्रश्न रखा जाएस्वीकृत हो जाए तो उससे आनुषांगिक प्रश्न या प्रश्नों के वाद-विवाद के बिना तुरंत रख दिया जाएगा।

इसमें आगे यह भी कहा गया कि अध्यक्ष द्वारा किसी सदस्य को कोई उत्तर देने का अधिकार दिया जा सकेगा जो सदस्य को इन नियमों के अंतर्गत प्राप्त हो। विवाद से जुड़ा एक और नियम 356 भी गौरतलब है। यह कहता है कि अध्यक्ष द्वारा ऐसे सदस्य के आचरण की ओर जो वाद-विवाद में बार-बार असंगत बातें करे या जो स्वयं अपनी दलीलों की या अन्य सदस्यों द्वारा दिए गए तर्कों को बार-बार दुहराए जिससे लोग उकता जाएं तो सभा का ध्यान दिला देने के बाद उस सदस्य को अपना भाषण बंद करने का निर्देश दिया जाएगा।

वहीं, लोकसभा संचालन के नियम संख्या 353 में किसी सांसद को ऐसे आरोप लगाने से पहले शर्त रखता है जिससे किसी सांसद की मानहानि हो। लोकसभा का नियम 353 कहता है, ‘किसी सदस्य द्वारा किसी व्यक्ति के विरुद्ध मानहानिकारक या अपराधरोपक स्वरूप का आरोप नहीं लगाया जाएगा जब तक कि सदस्य ने अध्यक्ष को तथा संबंधित मंत्री को भी (पर्याप्त अग्रिम सूचना) न दे दी हो जिससे कि मंत्री उत्तर देने के मकसद से विषय की जांच कर सके।इसी नियम में आगे कहा गया है, ‘परन्तु अध्यक्ष द्वारा किसी भी समय किसी सदस्य को ऐसा आरोप लगाने से रोका जा सकेगा यदि अध्यक्ष की राय हो कि ऐसा आरोप सभा की गरिमा के विरुद्ध है या ऐसा आरोप लगाने से कोई लोकहित सिद्ध नहीं होता।

ध्यान दीजिए नियम 353 में दो तथ्य हैं- एक कि अगर किसी पर आरोप लगाना है तो सांसद को लोकसभा अध्यक्ष से अग्रिम अनुमति लेनी होगी। दूसरा यह कि अगर लोकसभा अध्यक्ष को लगता है कि सांसद जो आरोप लगाने की अनुमति मांग रहे हैं, वो सदन की गरिमा को गिराएगा या फिर ऐसे आरोप से देश का कोई भला नहीं होने वाला, तो स्पीकर सांसद की मांग खारिज कर देंगे। बजट सत्र के पहले चरण में राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर उद्योगपति गौतम अडानी को गैर-वाजिब मदद करने का आरोप लगाया था। सरकार और सत्ताधारी दल बीजेपी ने इसे नियम 353 का ही उल्लंघन बताया।