आम चुनावों के साथ ही हो सकते हैं तीन राज्यों में विधान सभा चुनाव!

मोदी की लोकप्रियता को लोकसभा के साथ तीन राज्यों में भी भुनाने की तैयारी!
(लिमटी खरे)


इस साल के अंत में देश के हृदय प्रदेश अर्थात मध्य प्रदेश, मध्य प्रदेश के विभक्त होने के बाद अस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। इसके साथ ही अगले साल अप्रैल अथवा मई माह में आम चुनाव अर्थात लोक सभा चुनाव की रणभेरी बज सकती है। इसके लिए प्राथमिक तैयारियां कांग्रेस भाजपा सहित अन्य सियासी दलों के द्वारा तैयार की जा रही है।
देश की राजनैतिक राजधानी नई दिल्ली स्थित भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा की नैया पार कराने के लिए क्षेत्रीय क्षत्रपों पर भरोसा करने को भाजपा आलाकमान तैयार नहीं दिख रहा है। यही कारण है कि इन तीनों राज्यों में स्थानीय क्षत्रपों के बजाए नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे किया जा सकता है।
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को इस बात के संकेत दिए हैं कि भाजपा इस योजना पर गंभीरता से विचार कर रही है कि अगले साल होने वाले आम चुनाव तो अपने तय समय पर ही कराए जाएं, पर इन आम चुनावों के साथ साथ हृदय प्रदेश अर्थात मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव भी लगे हाथ करवा दिए जाएं। इसके पीछे वजह यही दिख रही है कि आम चुनावों के साथ ही विधान सभा चुनावों में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को भुनाया जा सके।
सूत्रों ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान की योजनाएं तो बहुत अच्छी हैं और इन योजनाओं को जनता पसंद भी कर रही है, किन्तु प्रदेश में बेलगाम अफसरशाही के घोड़े जिस तरह से दौड़ रहे हैं उससे जनता बुरी तरह त्रस्त ही नजर आने लगी है।
सूत्रों ने कहा कि फिलहाल की गई मैदानी अफसरों की जमावट के बाद कुछ जिलों में तो कसावट महसूस हो रही है, किन्तु भाजपा के जिला स्तरीय नेताओं के द्वारा जिस तरह का रवैया अपनाया जा रहा है उससे इस कसावट को वोट में तब्दील करना बहुत ही दुष्कर ही साबित हो सकता है। हलांकि विपक्ष की निष्क्रियता का लाभ पहले भी भाजपा को मिलता आया है और आला नेताओं का मानना है कि अब भी इसका लाभ मिल सकता है।
यहां यह उल्लेखनीय होगा कि मध्य प्रदेश में भाजपा का राज है तो राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का शासन है। भाजपा को मध्य प्रदेश में अपनी सत्ता बरकरार रखने की चुनौति होगी तो राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से सत्ता को छीनना होगा। मध्य प्रदेश में 2003 के बाद बीस सालों से भाजपा सत्ता पर काबिज है।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को इस बात के संकेत भी दिए हैं कि भाजपा के थिंक टैंक इस बारे में विचार कर रहे हैं कि अगर लोकसभा और तीन राज्यों के विधान सभा चुनाव एक साथ कराए जाते हैं तो नरेंद्र मोदी के चेहरे और उनकी लोकप्रियता का कितना फायदा मिल पाएगा। अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधान सभा के चुनाव भी लोकसभा के साथ हो सकते हैं!
(साई फीचर्स)