लिमटी की लालटेन 633
अब तक 07 बार कांग्रेस ने तो छः बार भाजपा ने लहराया है बालाघाट संसदीय क्षेत्र पर परचम
(लिमटी खरे)
आजादी के उपरांत अब तक 17 सांसदों को बालाघाट ने चुना है। इसमें से सबसे ज्यादा 07 बार कांग्रेस के प्रत्याशियों को जनता ने केंद्र में प्रतिनिधित्व का मौका दिया तो 06 बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों को, इसके अलावा एक एक बार प्रज्ञा सोशलिस्ट पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया और एक मर्तबा निर्दलीय प्रत्याशी ने इस सीट से केंद्र का प्रतिनिधित्व किया है। यह कहा जा सकता है कि आजादी के बाद लगातार ही यह सीट कांग्रेस के कब्जे वाली सीट थी, या यूं कहा जाए कि आजादी के उपरांत बालाघाट संसदीय क्षेत्र कांग्रेस का अभैद्य गढ़ रही है तो अतिश्योक्ति नहीं होगा। 1998 के उपरांत इस सीट पर भाजपा का रूझान इस कदर बढ़ा कि बालाघाट संसदीय क्षेत्र पर भाजपा का लगातार ही परचम लहरा रहा है।
आईए बालाघाट संसदीय क्षेत्र के संबंध में आजादी के उपरांत का इतिहास जाना जाए। 1952 एवं 1957 में कांग्रेस के चिंतामन राव गौतम, 1962 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के भोलाराम रामजी, 1967 एवं 1971 में कांग्रेस के चिंतामन राव गौतम इस तरह चिंतामन राव गौतम चार बार सांसद रहे बालाघाट से। इसके अलावा 1977 में रिप्बलीशियन पार्टी ऑफ इंडिया (खोब्रागढ़े) के कचरू लाल जैन, 1980 व 1984 में कांग्रेस के नंद किशोर शर्मा, 1989 में निर्दलीय के खाते में बालाघाट संसदीय क्षेत्र पहली बार गया, यहां से कंकर मुंजारे ने बतौर निर्दलीय परचम लहराया था। 1991 एवं 1996 में कांग्रेस के विश्वेश्वर भगत, 1998 में भाजपा के गौरी शंकर बिसेन, 1999 में भाजपा के प्रहलाद सिंह पटेल, 2004 में भाजपा के गौरी शंकर बिसेन बालाघाट के सांसद रहे हैं।
2009 में पुर्नसीमन के उपरांत बालाघाट संसदीय क्षेत्र में सिवनी जिले के बरघाट और जिला मुख्यालय सिवनी वाला विधानसभा क्षेत्र जुड़ गया था। इसके बाद 2009 में भाजपा के के.डी. देशमुख, 2014 में भाजपा के बोध सिंह भगत तो इसके बाद 2019 में भाजपा की ओर से डॉ. ढाल सिंह बिसेन यहां से सांसद बने।
2009 में परिसीमन और पुर्नआरक्षण की प्रक्रिया के उपरांत सिवनी जिले के दो विधान सभा क्षेत्र बालाघाट संसदीय क्षेत्र का हिस्सा बन गए, और शेष बचे दो मण्डला संसदीय क्षेत्र का। जब तक सिवनी लोकसभा सीट अस्तित्व में थी तब तक सिवनी के विकास के द्वार खुले हुए प्रतीत होते थे, पर बालाघाट और मण्डला संसदीय क्षेत्रों का हिस्सा बनने के बाद सिवनी जिले में केंद्रीय सौगातें मानो तरसा तरसा कर ही दी जाने लगीं।
एक समय था जब सिवनी में नेशनल हाईवे का कार्यपालन यंत्री का कार्यालय हुआ करता था। केंद्रीय योजनाओं की भरमार थी, पर अब सब कुछ ठहरा हुआ ही प्रतीत होता है। सिवनी से होकर गुजरने वाली फोरलेन बहुत ही मुश्किलों से पूरी हो पाई। इस फोरलेन पर सिवनी शहर के बायपास पर 2010 में बनने वाला ट्रामा केयर यूनिट आज 14 सालों बाद भी नहीं बन पाया है। सड़क के निर्माण के वक्त भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का परियोजना निदेशक का कार्यालय सिवनी में था, उसे छीन लिया गया। सिवनी में नेरोगेज से ब्राडगेज के अमान परिवर्तन में न केवल बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार की बातें सामने आईं वरन काम भी बहुत घटिया गुणवत्ता का हुआ। सिवनी में नेरोगेज के वक्त चलने वाली पैसेंजर रेलगाड़ी ही पूरी तरह नहीं चल पा रहीं हैं तो नई रेलगाड़ियों का चलना तो सिवनी के निवासियों के लिए दिन में सपना देखने के मानिंद ही माना जा सकता है। केंद्रीय योजनाओं के मामले में सिवनी का कलश पूरी तरह रीता ही माना जा सकता है।
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बालाघाट संसदीय क्षेत्र के संबंध में फिलहाल चर्चा कर रहे हैं इसलिए बालाघाट संसदीय क्षेत्र के वर्तमान दावेदारों में कांग्रेस और भाजपा के दावेदार इस चुनाव के पहले सिवनी जिले में सक्रिय शायद ही रहे हों। सिवनी के लिए संघर्ष की अगर बात की जाए तो कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों का योगदान शून्य ही माना जा सकता है। यहां तक कि जिला मुख्यालय सिवनी में वर्तमान चुनावों के दौरान प्रचार को पूरी तरह ठण्डा ही मान रही है सिवनी की जनता। राजनैतिक दलों के प्रचार वाहनों की अगर बात की जाए तो सिवनी शहर में कभी कभार ही एकाध प्रचार वाहन का शोर सुनाई दे रहा है।
कुल मिलाकर बालाघाट संसदीय क्षेत्र में इस बार बालाघाट जिले के साथ ही साथ सिवनी जिले के सिवनी और बरघाट विधानसभा के मतदाता अपना अठ्ठारहवां संसद सदस्य चुनने जा रहे हैं। इसके पहले सात बार कांग्रेस और छः बार भाजपा के प्रत्याशियों ने संसद में यहां का प्रतिनिधित्व किया है। इस बार चुनाव में ऊॅट किस करवट बैठेगा यह बात तो 04 जून को मतगणना के साथ ही सामने आ सकेगी . . . इस बार मण्डला एवं बालाघाट संसदीय क्षेत्र के लिए 19 अप्रैल को लोकसभा के लिए मतदान होगा। आप अपने मताधिकार का प्रयोग अनिवार्य तौर पर करते हुए जिम्मेदार नागरिक होने का कर्तव्य अदा जरूर करें . . .
(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)
(साई फीचर्स)