जिस दिन भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था उस दिन मनाई जाती है गीता जयंति . . .
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वैसे तो एकादशी का त्यौहार साल में अनेकों बार मनाया जाता है, किन्तु मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र में अर्जुन को भगवान कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। तभी से मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी पर गीता जयंती मनाई जाती है। श्रीमदभगवद गीता दुनिया का सबसे श्रेष्ठ ग्रंथ है। इस ग्रंथ का पाठ करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी भी परेशान नहीं हो सकता है। श्रीमद भगवद गीता का अनुसरण करने वाले व्यक्ति को मृत्युके पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म और कर्म को समझाते हुए उपदेश दिया था। महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण के द्वारा जो उपदेश दिए गए उसे गीता कहा जाता है। गीता के उपदेश में जीवन जीने, धर्म का अनुसरण करने और कर्म के महत्व को समझाया गया है।
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वैसे मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि मोक्षदा एकादशी पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से और व्रत रखने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन उपवास करने की मान्यता है। गीता जयंती के दिन उपवास करने से मन पवित्र होता है और शरीर स्वस्थ रहता है। साथ ही समस्त पापों से भी छुटकारा मिलता है। इस साल 2024 को गीता जयंती की 5 हजार 162वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। इस बार यह गीता जयंती बुधवार 11 दिसंबर को है। मान्यता के अनुसार इस दिन उपवास करने से मन पवित्र तथा शरीर स्वस्थ होता है। पापों से छुटकारा मिलता है तथा जीवन में सुख शांति आती है।
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जानिए इस दिन के बारे में,
एकादशी तिथि प्रारम्भ होगी 11 दिसम्बर 2024 को तड़के 3 बजकर 42 मिनिट पर एवं एकादशी तिथि समाप्त होगी 12 दिसम्बर 2024 को मध्य रात्रि 1 बजकर 09 मिनिट पर, पारण व्रत तोड़ने का समय 12 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 05 मिनिट से 9 बजकर 9 के बीच रहेगा एवं पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय रात्रि 10 बजकर 26 मिनिट तक है।
गीता जयंती पर श्रीकृष्ण पूजा का शुभ मुहूर्त जानिए,
अमृत कालः सुबह 9 बजकर 34 मिनिट से 11 बजकर 03 मिनिट के बीच, एवं गोधूलि मुहूर्त, शाम को 5 बजकर 22 मिनिट से 5 बजकर 50 मिनिट के बीच इसके बाद 6 बजकर 47 मिनिट तक पूजा कर सकते हैं।
अब गीता के कुछ चुनिंदा श्लोक जानिए,
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः,
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः
इसका भावार्थ है, आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है। अर्थात भगवान कृष्ण इस श्लोक में आत्मा को अजर अमर और शाश्वत कह रहे हैं।
एक अन्य श्लोक इस प्रकार है,
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत,
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम
इसका भावार्थ है कि हे भारत अर्थात अर्जुन), जब जब अधर्म में वृद्धि होती है, तब तब मैं अर्थात भगवान श्रीकृष्ण स्वयं, धर्म के अभ्युत्थान के लिए अवतार लेता हूं।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम,
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।
भावर्थ कुछ इस प्रकार है कि सज्जन पुरुषों के कल्याण के लिए और दुष्कर्मियों के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं अर्थात भगवान श्रीकृष्ण युगों युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूं।
जानिए क्यों मनाई जाती है गीता जयंती?
जिस दिन श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था उस दिन मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी थी। इसीलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाने लाग। इस दिन कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध लड़ा गया था और तब लाखों लोग वीरगति को प्राप्त हो गए थे। आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 वर्ष ईसा पूर्व में हुआ। इसीलिए इस दिन उपवास करने से मन पवित्र तथा शरीर स्वस्थ होता है, पापों से छुटकारा मिलता है तथा जीवन में सुख शांति आती है एवं मोक्ष मिलता है।
मोक्षदा एकादशी का महत्व क्या है यह जानिए,
मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। इस दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था इसलिए इस दिन गीता जयंती भी रहती है। इस दिन गीता पाठ करने से या गीता के उपदेश सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी व्रत के प्रभाव से भगवान श्री हरि विष्णु मोक्ष देते हैं। व्रत रखने के साथ ही श्री हरि की पूजा करें और पूजा में धूप, दीप एवं नाना प्रकार की सामग्रियों से विष्णु को प्रसन्न करना चाहिए। इतना ही नहीं इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण करने से उन्हें भी परम धाम का वास प्राप्त होता है।
जानकार विद्वान बताते हैं कि गीता में श्रीकृष्ण ने 574, अर्जुन ने 85, संजय ने 40 और धृतराष्ट्र ने 1 श्लोक कहा है। गीता के कुल 700 श्लोक 18 अध्याय में विभक्त हैं। श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद है। 8 अध्याय में अध्याय विषाद योग में 46, सांख्य योग में 72, कर्म योग में 43, ज्ञान कर्म संन्यास योग में 42, कर्म संन्यास योग में 29, ध्यान योग अथवा आत्मसंयम योग में 47, ज्ञान विज्ञान योग में 30, अक्षर ब्रम्हयोग में 28, राजविद्या राजगुह्य योग में 34, विभूति विस्तार योग में 42, विश्वरूप दर्शन योग में 55, भक्ति योग में 20, क्षेत्र क्षेत्रजन विभाग योग में 35, गुणत्रय विभाग योग में 27, पुरुषोत्तम योग में 20, दैवासुर सम्पद विभाग योग में 24, श्रध्दात्रय विभाग योग में 28, मोक्ष संन्यास योग में 78 श्लोक है।
गीता जयंती पूजा विधि जानिए,
गीता जयंती के दिन ब्रम्ह महूर्त में उठें। इस समय सबसे पहले भगवान कृष्ण को प्रणाम करें। इसके बाद दिन की शुरुआत करें। अब दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर स्वयं को शुद्ध कर पीले रंग का वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। तत्पश्चात, पंचोपचार कर विधि विधान से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। इस समय गीता पाठ अवश्य करें। अंत में आरती कर सुख, समृद्धि और शांति की कामना भगवान विष्णु से करें।
गीता का महत्व जानिए,
गीता का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि मानव जीवन के सभी पहलुओं के लिए प्रासंगिक है। इसमें जीवन के कठिन क्षणों में कैसे संतुलन बनाए रखें, कर्म योग का महत्व क्या है, मोक्ष प्राप्ति का मार्ग क्या है, आदि जैसे सवालों के जवाब दिए गए हैं। गीता के उपदेशों ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया है और उन्हें जीवन के सही मार्ग पर चलने में मदद की है।
गीता जयंती का महत्व जानिए,
गीता जयंती पर, लोग गीता का पाठ करते हैं, भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, और गीता के उपदेशों को समझने और लागू करने का संकल्प लेते हैं। इस दिन, कई मंदिरों और आश्रमों में विशेष पूजा और प्रवचन आयोजित किए जाते हैं।
गीता के मुख्य उपदेश क्या हैं, यह जानिए,
पहला है कर्म योग, कर्म योग का अर्थ है बिना फल की इच्छा के कर्तव्य का पालन करना। गीता में कहा गया है कि व्यक्ति को अपने कर्म करने का अधिकार है, लेकिन उसके फल पर नहीं।
दूसरा है ज्ञान योग, ज्ञान योग का अर्थ है ब्रम्हा ज्ञान प्राप्त करना। गीता में कहा गया है कि ब्रम्हा ज्ञान प्राप्त करने से व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
तीसरा है भक्ति योग, भक्ति योग का अर्थ है भगवान की भक्ति करना। गीता में कहा गया है कि भगवान की भक्ति करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त हो सकता है।
गीता के प्रभाव क्या हैं यह भी जानिए,
गीता के उपदेशों ने दुनिया भर के लोगों को प्रभावित किया है। कई महान व्यक्तियों ने गीता से प्रेरणा ली है और अपने जीवन में सफलता प्राप्त की है। गीता के उपदेशों को लागू करके, हम भी अपने जीवन को सुखमय और सार्थक बना सकते हैं।
गीता जयंती पर क्या करें यह जानिए,
गीता का पाठ करें। भगवान कृष्ण की पूजा करें। गीता के उपदेशों को समझने और लागू करने का संकल्प लें। किसी गीता प्रवचन में शामिल हों। गीता के उपदेशों को दूसरों के साथ साझा करें। गीता जयंती का अवसर है, अपने जीवन को बदलने का। आइए, इस पवित्र दिन का लाभ उठाएं और गीता के उपदेशों को अपने जीवन में लागू करें। हरि ओम,
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