सर्दी-जुकाम ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे निपटने के लिए हम अक्सर बिना डॉक्टरी सलाह के दवाइयां ले लेते हैं। लेकिन, ऐसा करना हमारी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि इन दवाइयों के साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। चक्कर आना, सुस्ती से लेकर बेहोशी तक इन दवाइयों की वजह से हो सकती है।
सर्दियों का मौसम आ चुका है। इस मौसम में हल्का-फुल्का सर्दी-जुकाम हो जाना आम बात है। इस समस्या के लिए लोग आमतौर पर डॉक्टर के पास नहीं जाते, बल्कि मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध होने वाली जुकाम की दवाइयों का सेवन कर लेते हैं। हालांकि, आमतौर पर इन दवाओं से आराम तो मिल जाता है लेकिन, इन दवाओं के कई साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। ये साइड इफेक्ट्स कई बार जानलेवा भी हो सकते हैं। इसलिए जुकाम की ओवर-दि-काउंटर दवाओं के सेवन की बजाय, डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। आइये जानते हैं, इन दवाओं में मौजूद किन चीजों के क्या नुकसान होते हैं।
ऐन्टी-हिस्टेमाइन्स
सर्दी-जुकाम की दवाओं में मौजूद ऐन्टी-हिस्टेमाइन्स से आंखों की जलन और खुजली, छींक, गले की खराश और बहती नाक की समस्याओं में राहत मिलती है। जबकि ऐन्टी-हिस्टेमाइन्स का सबसे सामान्य साइड इफेक्ट सुस्ती और उनीदांपन है। इसकी वजह से चक्कर आना, सिरदर्द, मुंह सूखना, आंखें सूखना और थकान जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। ऐन्टी-हिस्टेमाइन्स के सेवन के बाद ऐल्कोहल लेने से सुस्ती और थकान बढ़ भी सकती है।
डीकन्जेस्टेन्ट्स
डीकन्जेस्टेन्ट्स जैसे कि सूडोऐफ्ड्राइन या फेनिलेफ्राइन, साइनस में कंजेशन कम करने में मदद करते हैं लेकिन इनसे आपका ब्लड प्रेशन और दिल की धड़कने भी बढ़ सकती हैं। बेचौनी, नींद न आना, कंपकपी आदि भी डीकन्जेस्टेन्ट्स दवाओं के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। कैफीन का सेवन इसके साइड इफेक्ट्स को और बढ़ा सकता है।
कफ सप्रेसन्ट्स
डेक्ट्रोमेथर्फन साइनस में खांसी और बलगम को कम करता है। लेकिन ये कफ सप्रेसन्ट्स सुस्ती, मतली और चक्कर का कारण बन सकते हैं। इससे कब्ज की शिकायत भी हो सकती है। अगर ऐसे लक्षण हों तो अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
दर्द-निवारक
इबुप्रोफेन या एसेटामिनोफेन जैसे दर्द निवारकों से सर्दी-जुकाम में होने वाले सिरदर्द और शरीर दर्द में आराम मिलता है। इबुप्रोफेन या एसेटामिनोफेन की अगर सही खुराक ली जाए तो ये दोनों सुरक्षित होते हैं लेकिन अगर आपको पेट से संबंधित समस्या है तो आपको ये दवाइयां लेने से पहले कुछ खा लेना चाहिए। खाली पेट इन दवाओं के सेवन से पेट की समस्या बढ़ सकती है।
नींद की दवाइयां
डीफेनहाइड्रामाइन जैसी नींद की दवाएं आपको जुकाम होने पर रात में सुलाने में मदद करती है। लेकिन समस्या ये है कि इसकी वजह से आपको अलगे दिन मदहोशी जैसी महसूस हो सकती है। इसके अलावा, मुंह का बार-बार सूखना, मूत्र त्यागने संबंधी समस्या और सांस लेने जैसी दिक्कतें भी इन दवाओं के साइड इफेक्ट्स के रूप में सामने आ सकती हैं।
कॉन्ट्रा-इंडिकेशन्स
मिनेसोटा पॉइजन कंट्रोल सिस्टम के अनुसार, सर्दी-जुकाम की दवाओं में मौजूद ड्रग्स दूसरी दवाओं के साथ मिलकर गलत प्रभाव डाल सकते हैं। मार्प्लान, नार्दिल और पार्नेट जैसी मोनोमाइन आॅक्सीडेज इन्हीबिटर्स कुछ ऐसी एंटी-ड्रिप्रेसेंट्स हैं, जिनसे ड्रग-ड्रग इंट्रैक्शन हो जाता है। इससे साइड इफेक्ट्स और बुरे हो सकते हैं।
कौन लोग बचें इन दवाओं से
जिन लोगों को दिल, किडनी या पेट संबंधी बिमारियां हों, उन्हें सर्दी-जुकाम की दवाएं लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श कर लेना चाहिए। ऐसा न करने से, उनको खतरनाक परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं। इसके अलावा, बच्चों को ओवर-दि-काउंटर सर्दी-जुकाम की दवाएं न दें। खासतौर पर, दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए ये बहुत नुकसानदायक होती हैं।
जरूर जानें सर्दियों में फ्लू से जुड़ीं बातें
जैसे ही हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है वैसे ही हम पर वायरल का हमला हो जाता है, जिससे हमें सर्दी, जुकाम, खांसी और कभी-कभी बुखार की समस्याद हो जाती है, जो कई दिनों तक आपको परेशान करती हैं।
फ्लू
सुबह की सर्द हवाएं, वातावरण में नमी और चारों तरफ छाई धुंध ये बताती है कि सर्दी ने दस्तेक दे दी है। ये तो आप सभी जानते होंगे कि सर्दी आते ही हमारे रहन-सहन में थोड़ा बदलाव आ जाता है। लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि हम अपनी सेहत का किस तरह से ख्या ल रख रहे हैं। जैसे ही हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है वैसे ही हमारे ऊपर वायरस का हमला हो जाता है, जिससे हमें सर्दी, जुकाम, खांसी और कभी-कभी बुखार की समस्यां हो जाती है, जो कई दिनों तक आपको परेशान करती हैं। इनसे जुड़ी कुछ बातें हैं जिन्हेंी जरूर जानना चाहिए।
फ्लू वायरस
जब तक आपको सर्दी-जुकाम के लक्षण पता चलते हैं, हो सकता है एक दिन पहले ही इसके विषाणु (वायरस) आपके शरीर में फैल चुके हों। और ये वायरल आने वाले सात दिनों तक फैलते रहते हैं।
फ्लू की शुरूआत
सर्दी-जुकाम वाले मौसम आमतौर पर अक्टूुबर के आखिरी सप्तोह से ही शुरू हो जाते हैं जो कि दिसंबर में काफी बढ़ जाते हैं। ये जनवरी में यह स्थिति शीर्ष पर होती है। इसके बाद फरवरी के आखिरी दिनों में यह समाप्तं होने लगती है।
फ्लू संक्रमण
शोध के मुताबिक, फ्लू वायरस ठंड और शुष्कम मौसम में पनपते हैं। जबकि गर्म मौसम में फ्लू का संक्रमण दर उच्च आर्द्रता और बारिश के साथ जुड़ जाते हैं। यानी मौजूद रहते हैं।
नेजल स्प्रेण
नेजल स्प्रेण को लंबे समय तक प्रयोग में नही लाया जा सकता है क्योांकि इसकी प्रभावशीलता ज्यापदा समय तक नही होती है।
एंटीवायरल दवाएं
कुछ एंटीवायरल दवाएं हैं जो बच्चोंी और बड़ों को दी जा सकती है बशर्ते डॉक्टार की सलाह जरूर लें।