माना कि होली साल में एक बार ही आती है, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ऐसा समय कुछ बीमार लोगों के लिए बड़ा मुश्किल भरा होता है। इसलिए ऐसे लोगों को ध्यान में रखते हुए सावधानी बरतनी जरूरी हो जाती है।
न जाने पाए नाक से रंग अंदर : रंगों के बारीक कण सांस के जरिये अंदर जाकर सांस के रोगियों की परेशानी को और बढ़ा सकते हैं। इसलिए सांस की समस्या से परेशान लोगों को सावधानी बरतनी शुरू कर देनी चाहिए। घर से बाहर कम निकलें। हमेशा मास्क लगाएं और जितना हो सके, रंगों के ज्यादा एवं सीधे संपर्क में आने से बचें, ताकि हानिकारक कण आपके फेफड़ों में प्रवेश ना कर पाएं। नियमित रूप से पानी की भाप लें और गुनगुना पानी पीते रहें। अपना इन्हेलर हमेशा पास रखें।
शुगर पर रखें काबू : उत्सव की आड़ में डायबिटीज के रोगियों को अधिक मीठा और तला हुआ नहीं खाना चाहिए। इसलिए मिठाइयों के बजाय ताजे फलों का सेवन करें और पकौड़े या कचौड़ी जैसे तले हुए पकवानों के बजाय भुने हुए स्नैक्स लें। साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें। बाजार में मिलने वाले सॉफ्ट ड्रिंक्स के बजाय घर में बनी कांजी या जलजीरा ही पिएं और किसी भी प्रकार के नशे से बचें।
आंखों का रखें ध्यान : अकसर देखा गया है कि रंगों को अधिक गहरा बनाने के लिए उनमें बहुत से खतरनाक रसायन मिलाये जाते हैं, जो आंखों में जाकर तेज जलन पैदा कर सकते हैं और आंखों के कॉर्निया को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए कभी भी कांटैक्ट लेंस पहन कर होली ना खेलें। हो सके, तो होली खेलते समय ग्लासेज पहन लें।
दिल की सलामती के लिए : हार्ट की दिक्कतों से जूझ रहे लोगों को गरिष्ठ मिठाइयों जैसे गुलाब जामुन या गुझिया से दूरी बना कर रखनी चाहिए। होली वाले दिन भारी खान-पान से परहेज करें। कुछ हल्का-फुल्का ही खाएं, जैसे दाल-चावल या वेजिटेबल पुलाव। उत्साह में आकर कोई ऐसा काम न करें, जिससे सांस फूलने लगे या दिल की धड़कन बढ़ जाए। अपनी दवाएं नियमित रूप से लें और कोई दवा अगर खत्म होने वाली है, तो उसे पहले से मंगा कर रखें। उड़ते रंगों के संपर्क में भी आने से बचें।
(साई फीचर्स)