वर्षा मन को ठंडक पहुँचाने वाली ऋतु है जिसका समूची प्रकृति को इंतजार रहता है, लेकिन इस ऋतु में कुछ स्वास्थ्यगत समस्याएँ भी आमतौर पर सर उठाती हैं। आइए, जानें ऐसी कुछ परेशानियाँ और उनसे बचने के उपाय।
ग्रीष्म ऋतु की तीव्र धूप के कारण या तापमान बढ़ने के कारण शरीर और शरीर की जठराग्नि दोनों दुर्बल हो जाते हैं। ग्रीष्म ऋतु में वात शरीर में रुक्षरूप से संचित हो जाता है और वही वात वर्षा ऋतु की ठंडक पाकर वात दोष के रूप में प्रकोप दशार्ता है।
इस मौसम में खासतौर पर वात दोषनाशक खाद्य वस्तुएँ ग्रहण करें। वर्षा ऋतु में सात्विक आहार लेना चाहिए, जो आसानी से पचे एवं हम स्वस्थ रहें। इस मौसम में अम्लीय खट्टे विटामिन सी युक्त आहार लें। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होगा। दही में काला नमक जमकर खाएँ।
पानी उबालकर पिएँ। साफ-सुथरे कपड़े पहनें जिनमें सीलन बिलकुल न हो। नहीं तो स्किन की कोई भी तकलीफ हो सकती है। बारिश की ठंडी हवा में ज्यादा न बैठें या ज्यादा न घूमें। इससे जोड़ों के दुखने की तकलीफ बढ़ सकती है। बरसात में ज्यादा भीगें नहीं। दिन में सोने से बचें, थोड़ा-सा आराम कर सकते हैं।
बारिश के दिनों में भी व्यायाम जरूर करें। यह सही है कि बारिश के दिनों में आप बाहर घूमने उतनी आसानी से नहीं जा सकते, लेकिन यह भी जरूरी नहीं कि रोज ही बारिश हो। अत: जिस भी दिन बरसात न हो, उस दिन अपने घूमने का क्रम न तोड़ें। इसके अलावा ज्यादा बरसात के दिन भी घर में ही योग तथा अन्य सामान्य एक्सरसाइज करना जारी रखें। इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी और आपको पूरे दिन के लिए ऊर्जा भी मिलेगी।
(साई फीचर्स)