इस स्तंभ के माध्यम से मैं विभिन्न संस्थाओं से अपील करना चाहता हूँ कि वर्तमान में प्याऊ की व्यवस्था कुछ प्रमुख स्थानों पर करवा दी जाये।
दरअसल नवरात्रि में जल का बहुत महत्व रहता है। श्रद्धालु महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरूष भी देवी को जल अर्पित करने के लिये मंदिरों में जाते हैं। ऐसे में घर से ही पानी लेकर चलना उनके लिये कुछ दुष्कर कार्य होता है। एक नहीं कई मंदिरों में जल चढ़ाने के लिये इकट्ठा जल लेकर चलना प्रत्येक श्रद्धालुओं के बस की बात नहीं होती है।
हालांकि सिवनी में कुछ मंदिर ऐसे जरूर हैं जहाँ से ताजा जल लिया जा सकता है लेकिन प्रत्येक मंदिरों में ऐसी व्यवस्था न होने के कारण कई बार असुविधाओं का सामना करना होता है। संस्थाएं यदि चाहें तो कुछ प्रमुख मंदिरों के समीप ही पानी की व्यवस्था बना सकती हैं।
यह जल सिर्फ देवी को चढ़ाने के लिये ही नहीं बल्कि कई प्यासे गलों को तर करने के भी काम आयेगा जो नवरात्रि में पुण्य को कई गुना बढ़ा देगा। सिवनी में नगर पालिका की मेहरबानी से शुद्ध पेयजल की भीषण किल्लत मची हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों से रोजी रोटी कमाने के लिये शहर आये हुए गरीब लोगों के लिये दुकान से पानी खरीदकर पीना बहुत महंगा पड़ता है।
इसे ध्यान में रखते हुए यदि शुक्रवारी जैसे क्षेत्र में जहाँ कि मजदूर वर्ग रोजाना ही अपनी उपस्थिति देता है, वहाँ यदि प्याऊ की व्यवस्था करवा दी जाती है तो यह उस वर्ग के लोगों के हित में ही होगा। सिवनी में पता नहीं प्याऊ जैसी व्यवस्था गर्मियों के दिनों में क्यों बंद कर दिया गया है जबकि इसकी गर्मी के दिनों में तब भी बहुत आवश्यकता होती है जबकि दुकानों से पानी खरीदकर पीया जा सकता है।
प्याऊ की व्यवस्था को क्यों बंद कर दिया गया यह तो समझ से परे है लेकिन इतना निवेदन तो अवश्य किया जा सकता है कि भले ही पूरे ग्रीष्म काल में प्याऊ की व्यवस्था न की जाये लेकिन कम से कम नवरात्रि के इन दिनों में ऐसी व्यवस्था अवश्य बनायी जाये जिसके द्वारा लोगों को शीतल जल के लिये यहाँ-वहाँ न भटकना पड़े।
अशोक गर्ग