इस स्तंभ के माध्यम से मैं वह विषय उठाना चाहता हूँ जिसमें अक्सर कहा जाता है कि सिवनी का अहित बाहरी नेताओं ने किया है। इस तर्क की आड़ में लोग स्थानीय जन प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी साफ तौर पर बचा ले जाते हैं।
सिवनी में बिना आधुनिक मशीनों के ही दो-दो दिन में सड़क बनाकर पूरी कर दी जाती है और कुछ ही महीनों में ये सड़कें दम तोड़ देतीं हैं लेकिन कहीं कोई आवाज उठाने वाला नहीं। ये सड़कें तो स्थानीय लोगों की देखरेख में, ज्यादातर स्थानीय लोगों के द्वारा ही बनायी जाती हैं या बाहरी नेता आकर इसमें घालमेल कर जाता है जिसके कारण ये ज्यादा दिन तक नहीं टिकतीं हैं।
जिला चिकित्सायल प्रबंधन क्या बाहरी नेताओं के कहने पर चलता है जो यहाँ अव्यवस्थाएं ही अव्यवस्थाएं पसरी हुईं हैं। आखिर क्या कारण है कि स्थानीय जन प्रतिनिधि तब भी यहाँ की व्यवस्थाएं नहीं सुधरवा पा रहे हैं जबकि कई जन प्रतिनिधि भी यहाँ आकर पर्याप्त चिकित्सकीय सुविधा के अभाव में असमय बिदा हो चुके हैं।
मजाक का विषय बन चुकी नवीन जल आवर्धन योजना का लाभ सिवनी वासियों को नहीं मिल पा रहा है, क्या इसके लिये भी बाहरी नेताओं को ही दोषी माना जायेगा। सिवनी की आम जनता पेयजल वितरण व्यवस्था को लेकर परेशान है लेकिन इसमें कोई सुधार नहीं किया जा रहा है। कहीं एक-एक घण्टा जल प्रदाय किया जा रहा है तो उसी से सटे क्षेत्र में तीन-तीन दिन पानी नहीं आता है तो इसके पीछे किसे दोषी माना जाये। क्या यह कृत्रिम समस्या स्थानीय लोगों के द्वारा उत्पन्न नहीं की जा रही है।
वर्षों से निर्माणाधीन मॉडल रोड अपने पूर्ण होने के पहले ही जर्जर अवस्था को प्राप्त होने लगी है लेकिन किसी को कोई चिंता नहीं दिख रही है। कमीशन के खेल की भेंट चढ़ता हुआ सिवनी सहज ही नजर आ रहा है लेकिन सभी अपनी-अपनी रोटियां सेंकने में व्यस्त हैं। सिवनी में जनसेवा को तो जैसे भुला ही दिया गया है। सिवनी की जनता निराश है कि उसके सामने कोई दमदार नेत्तृत्व नहीं है जिसके अभाव में आने वाले वर्षों में भी सिवनी की परेशानी दूर हो सकेगी, ऐसा निकट भविष्य में संभव तो नहीं ही दिख रहा है।
ऐसे बहुत से मामले हैं जो स्थानीय जन प्रतिनिधियों के निकम्मेपन के कारण अछूते नहीं हैं। कुल मिलाकर हमेशा ही बाहरी दिग्गजों को दोष दिया जाना बंद होना चाहिये क्योंकि ऐसा करने से जितना फायदा सिवनी को नहीं हुआ उससे ज्यादा नुकसान ही भोगा है सिवनी वासियों ने। बाहरी नेताओं को दोष देकर स्थानीय कुछ जन प्रतिनिधि अपनी खोखली जमीन को मजबूत करने का प्रयास करते हैं लेकिन इसमें भी वे सफल नहीं हो सके हैं। जन प्रतिनिधियों को यदि कुछ नहीं करना है तो वे कम से कम इतना अवश्य करें कि सिवनी में दृढ़ इच्छा शक्ति वाले अधिकारियों को यहाँ पदस्थ करवायें जो सिवनी के विकास को अमलीजामा पहनाने की दिशा में कार्य करें।
बशीरूद्दीन खां