इस स्तंभ के माध्यम से मैं यातायात विभाग से अपील करना चाहता हूँ कि उसके द्वारा सिवनी शहर के किसी स्थान पर यातायात कर्मियों की नियुक्ति भले ही न की जाये पर सघन यातायात वाले स्थानों पर इनकी तैनाती अवश्य की जाना चाहिये।
एक प्रकार से देखा जाये तो सिवनी में यातायात विभाग पिछले कुछ महीनों से अखबारों के पन्नों पर ही सिमटा दिखायी देता हैं जहाँ यातायात विभाग के कर्मियों की सड़कों पर अनुपस्थिति को लेकर खबरें छपा करती हैं। आश्चर्यजनक रूप से उसके बाद भी यातायात महकमे के प्रभारियों के साथ ही साथ आला अधिकारियों के द्वारा इस दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही है।
सिवनी के चौक-चौराहे बिना यातायात कर्मियों के ही आवागमन को झेलते हुए दिख रहे हैं। कहने को यातायात के सिग्नल्स लगा दिये गये हैं लेकिन जिसके मन में आता है वह इन संकेतकों का पालन करता है और जिसका मूड नहीं होता वह लाल सिग्नल होने के बाद भी फर्राटे भरता हुआ अपने गंतव्य की ओर निकल जाता है। दुर्घटनाएं रोकने में यातायात विभाग की भूमिका शून्य ही मानी जा सकती है।
यातायात विभाग के कर्मी कहाँ गायब हो गये यह लोगों को पता नहीं चल पा रहा है क्योंकि सड़कों पर इनकी तैनाती नहीं दिखायी देती है। कई मौकों पर तो खाकी वर्दी वाला स्टाफ चालानी कार्यवाही करता दिखता है लेकिन नीला पैंट और सफेद शर्ट वाले यातायात कर्मी इस महत्वपूर्ण कार्यवाही के दौरान भी अक्सर नदारद ही रहते हैं। ये कर्मी किस ड्यूटी में लगा दिये गये हैं यह भी विभाग स्पष्ट नहीं कर रहा है।
यातायात विभाग इस संबंध में स्टाफ कम होने का रोना रो सकता है क्योंकि उसके द्वारा उपलब्ध स्टाफ का कुशलता पूर्वक उपयोग ही नहीं किया जा रहा है। शहर वासी इतना अवश्य ही जानते हैं कि यातायात विभाग के पास इतना स्टाफ पर्याप्त है कि उसकी ड्यूटी सघन यातायात वाले स्थानों पर लगायी जाकर यातायात को व्यवस्थित किया जा सके लेकिन इसे निश्चित रूप से यातायात प्रभारियों की अकुशलता ही कहा जायेगा कि सिवनी का यातायात पूरी तरह से बेपटरी हो चुका है।
यातायात विभाग शायद शहर में लगे सीसीटीव्ही कैमरों का उपयोग करना भी नहीं जानता होगा। वरना क्या कारण है कि सीसीटीव्ही कैमरों की फुटेज की मदद से किसी वाहन चालक के द्वारा नियम तोड़ने के विरूद्ध अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। शहर वासियों को यह भी नहीं पता कि भारी भरकम राशि खर्च करने के बाद लगाये गये सीसीटीव्ही कैमरों का उपयोग कोई विभाग कर भी रहा है अथवा नहीं।
सीताराम प्रजापति