मुझे शिकायत उस व्यवस्था से है जिसके तहत सामान्य रूप से अस्वस्थ्य व्यक्ति के जिला चिकित्सालय पहुँचने के उपरांत उसे चिकित्सक के द्वारा अन्यत्र रेफर कर दिया जाता है। सड़क हादसों में घायल हुए लोगों का मामला तो एकदम अलग ही है।
सिवनी में इन दिनों चारों तरफ ही प्रमुख शहरों को जोड़ने वाले मार्गों का कायाकल्प किया जा चुका है। इन मार्गों पर गति अवरोधक भी नहीं हैं जिसके कारण वाहन चालक फर्राटा भरते हुए वाहन चलाते हैं। इन सपाट सड़कों पर वाहन चालकों की गलती से जब कोई सड़क हादसा हो जाता है तब उसमें घायल होने वालों को जिला चिकित्सालय सिवनी पहुँचाने के लिये प्राथमिकता दी जाती है।
आश्चर्यजनक रूप से जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों के द्वारा मामूली रूप से घायल व्यक्ति को भी आनन-फानन में अन्यत्र रिफर कर दिया जाता है। इन्हीं दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल के साथ भी यही प्रक्रिया अपनायी जाती है। कई बार तो गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को जब अन्यत्र ले जाया रहा होता है तब वह रास्ते में ही दम तोड़ देता है। सवाल यह है कि आखिर ऐसा कब तक चलता रहेगा कि घायलों को अन्यत्र रिफर कर दिया जाये।
समाचार पत्रों के माध्यम से ही यह जानकारी मिलती रहती है कि प्रधानमंत्री स्वर्णिम चतुर्भुज के फोरलेन को बनाने वाली एनएचएआई के द्वारा सिवनी में बायपास पर ट्रामा केयर यूनिट का निर्माण करवाया जाना चाहिये। आखिर एनएचएआई के द्वारा इस यूनिट का निर्माण क्यों नहीं किया जा रहा है यह पूछने की जहमत शासन-प्रशासन के साथ ही जन प्रतिनिधि भी क्यों नहीं उठाते हैं? यदि ट्रामा केयर यूनिट की स्थापना करके वहाँ आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवा दी जातीं हैं तो संभव है कि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के आँकड़ों पर नियंत्रण पाया जा सके लेकिन कोई भी इस दिशा में गंभीर नजर नहीं आ रहा है जिसके कारण सिवनी जिला के वाशिंदों में निराशा का वातावरण है और इसे शीघ्र ही दूर किया जाना चाहिये।
अभिजीत कुमार