शुक्र है , मैं कुछ बनने से पहले इंसान बना फिर कुछ और… ! कुछ लोग, चिकित्सक,वैज्ञानिक,शिक्षक और भी जाने क्या-क्या बन जाते हैं
चुटकुले
सागर …….महासागर
लोग मेरे पास आते है निहारते है मुझे दूर तक , दूर क्षितिज तक दिखता है मेरा नीलाभ फैलाव मै हूँ
ओ भारति माॅं! ओ प्यारी माॅं!
(मनोहर चौबे “आकाश”) ओ भारति माॅं ! ओ प्यारी माॅं !! हम तुझ पर हैं बलिहारी माॅं! तू हमको सब से प्यारी माॅं !!
शुक्र है इंसान बना
शुक्र है , मैं कुछ बनने से पहले इंसान बना फिर कुछ और… ! कुछ लोग, चिकित्सक,वैज्ञानिक,शिक्षक और भी जाने क्या-क्या बन जाते हैं
टीम वर्क का एक नायाब उदहारण देखिए
धार्मिक महत्व के इन स्थानों के जरूर करें दर्शन
बारिश हो रही है आजकल
नहा लिया है पेड़ों ने साफ – सुथरे से लग रहे है पत्ते। छोटी – छोटी नवों के मालिक नावों संग उछल रहे हैं
।।जला क्या है कुछ भी तो नहीं।।
उस रोज जब मेरे घर में आग लगी थी सबने पूछा, क्या जला क्या जलकर रख हो गया बस मेरा दोस्त था जिसने पूछा
क्या पाया प्रेम करके
कोई पूछे अगर मुझसे क्या पाया? प्रेम करके, सहज कह दूंगा! वहीं ढेर सारी यादें जो अक्सर रह जाती हैं एक प्रेमी के पास!
इंसान हो तुम
खींचता रिक्शे को पसीने से लथपथ रिक्शेवाले का भूख से खिचती अंतड़ियों के बल सब्जी तौलने वाले का फाका रहकर भी ऊर्जावान गिलहरी की