नरवाई जलाने से 27 कृषकों पर हुई अर्थदण्ड की कार्यवाही

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। उपसंचालक कृषि श्री मोरिस नाथ ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा फसल अवशेष (नरवाई) जलाने वाले कृषकों पर कार्यवाही सुनिश्चित किए जाने के निर्देशों के परिपालन में कृषि एवं राजस्व विभाग के अमले द्वारा सिवनी तहसील के 27 कृषकों पर पर्यावरण विभाग द्वारा जारी आदेश के तहत 2500 रूपये से लेकर 15000 रु. तक अर्थदण्ड लगाया गया है। संबंधित कृषकों द्वारा अर्थदण्ड की राशी जमा नहीं किये जाने पर Air (Prevention and control of Pollution) Act 1981 एवं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि कृषकों से नरवाई न जलाने हेतु कलेक्टर श्री क्षितिज सिंघल द्वारा आदेश जारी कर अपील की जा रही है साथ ही लगातार समाचार पत्रों एवं अन्य संचार के माध्यमों से नरवाई न जलाने की अपील की जा रही है। कृषि एवं राजस्व विभाग के मैदानी अमले द्वारा भी लगातार कृषकों से संपर्क कर उन्हें फसल अवशेष न जलाने एवं फसल अवशेषों के विनिष्टिकरण की सलाह तथा नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी जा रही है।

उप संचालक कृषि श्री मोरिस नाथ ने किसान बंधुओं को सलाह देते हुए कहा है कि फसल की कटाई के बाद फसल अवशेषों को कदापी न जलाएँ। इससे पर्यावरण प्रदूषण के साथ साथ मृदा स्वास्थ्य एवं जनजीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है। फसल अवशेष जलाने से वातावरण में कार्बन डाईऑक्साईड, मिथेन, कार्बन मोनोऑक्साईड आदि गैसों की मात्रा बढ़ जाती है। मुद्रा की सतह का तापमान 60-65 डिग्री सेन्टीग्रेट हो जाता है, ऐसी दशा में मिट्टी में पाये जाने वाले लाभदायक जीवाणु जैसे-वैसीलस सबटिलिस, स्यूडोमोनास, ल्यूरोसेन्स, एग्रोबैक्टीरिया, रेडियाबैक्टर, राइजोबियम प्रजाति, क्लेब्सीला प्रजाति, वैरियोवोरेक्स प्रजाति आदि नष्ट हो जाते है। जीवाणु खेतों में डाले गये खाद एवं उर्वरक को तत्व के रूप में घुलनशील बनाकर पौधों को उपलब्ध कराते है। अवशेषों को जलाने से ये सभी सूक्ष्म जीवन नष्ट हो जाते है। इन्हीं सूक्ष्म जीवों के नष्ट हो जाने से खेतों में समुचित रूप से खाद एवं उर्वरकों की आपूर्ति पौधों को न हो पाने के कारण उत्पादन प्रभावित होता है।

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