आज चुनाव तो मोदी को 300 सीटें!

 

 

(हरि शंकर व्यास)

हां, दस फरवरी को मैंने इसी कॉलम में भाजपा को सिर्फ 156 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। मेरा वह राज्यवार आकलन तर्क, जमीनी चुनावी गणित, पांच साल के लोगों के बोलते अनुभवों के संकेतों पर था। आज मैं 300 सीट की बात कर रहा हूं तो ऐसा हिंदू भावना के भभके पर है। भावना मतलब हिंदू के घर-घर हुई पुलवामा की चर्चा पर, जिसके बाद लब्बोलुआब में सामान्य हिंदू जन की यह प्रतिक्रिया सुनी कि पांच साल सचमुच बहुत तकलीफ झेली लेकिन बावजूद इसके सीने पर पत्थर रख देंगे मोदी को वोट! इसके अलग-अलग प्रतिनिधि जुमले बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश से भी सुनने को मिले हैं। बंगाल से मुझे एक सुधी बड़े अफसर ने 2006 जैसे माहौल का खाका बताया। मतलब तब जैसे बंगाल में लेफ्ट फ्रंट का किला दरका और तृणमूल की आंधी आई वैसे मई में तृणमूल का किला ढहेगा और भाजपा की आंधी आएगी!

मतलब बंगाल में हिंदू बनाम मुस्लिम है तो बिहार व उत्तर प्रदेश में उससे कई गुना अधिक। मैं मानता हूं कि चुनाव तीन महीने बाद हैं। तब तक पुलवामा भी मोदी पर उलटे पड़ सकता है। पर बात आज की है। और मेरी धारणा है कि अगले तीन महीने मोदी-शाह ऐसे दस सर्जिकल-फर्जिकल इमोशनल स्ट्राइक करेंगे, जिससे आज वाला माहौल बना रहे और विपक्ष सन्नाटे, अंधेरे में बिखरा, भटका 2014 जैसी सद्गति को प्राप्त हो। यह भी ध्यान रहे कि पुलवामा बाद के सन्नाटे में मोदी-अमित शाह ने शिव सेना, तमिलनाडु, राजभर आदि के साथ एलायंस बनाने से लेकर सरकारी कर्मचारियों के डीए, ईपीएफ पर ब्याज बढ़ाने, दो करोड़ किसानों के खातों में नकद पैसा जमा करवाने के कार्यक्रम जैसी जो हाइपर एक्टिविटी दिखलाई है उससे मेरी इस बात को नोट करके रखें कि अगले तीन महीने में हिंदू बनाम मुस्लिम की भावनाओं के उबाल को लगातार आग दी जाती रहेगी। फालतू बात है कि मोदी सरकार पुलवामा के बाद पाक सीमा में सैनिक कार्रवाई नहीं कर सकती। अपना मानना है अगले तीन महीने में कश्मीर में एक्शन (अनुच्छेद 370 या 35 ए को खत्म करने) से लेकर वहां की सीमा पार दो-तीन बार सर्जिकल स्ट्राइक का हल्ला बनेगा।

यह कैसे होगा? वैसे ही जैसे पहले हुआ। वायु सेना ये हेलीकॉप्टर ने आधी रात में कोई उड़ान भरी और सुबह टीवी मीडिया में गला फड़ा नैरेटिव चलेगा कि रात में सर्जिकल स्ट्राइक हुआ। आंतकियों को नियंत्रण रेखा के पार मार डाला। कल्पना करें ऐसा आचार संहिता लगने के बाद 15-20 मार्च और फिर अप्रैल में एक बार सैनिक प्रवक्ता की ब्रीफिंग के हवाले हो तो तब क्या किसी में पूछने की हिम्मत होगी कि प्रमाण क्या है? चुनाव लड़ रहे राहुल गांधी, माया, अखिलेश या केजरीवाल में तब कौन सवाल करने की, सबूत मांगने की हिम्मत करेगा? किसी ने चूं भी की तो टीवी चौनल टूट पड़ेंगें देखो ये देशद्रोही जो सेना के कहे पर सवाल कर रहे है! उधर मोदी जनसभाओं में बोलेंगें सेना को सलामा! मैंने सेना को छूट दी थी। उसने अपने वक्त, जगह, सूचनाओं पर कार्रवाई की तो उनकी बहादुरी को सलाम!

मतलब औसत हिंदू के घर में चर्चा और भावना का जो नैरेटिव अभी है उसकी अगले तीन महीने निरंतरता संभव है। कुछ भी होगा लेकिन हिंदू बनाम मुस्लिम, पाकिस्तानियों, आंतकियों का खौफ, बोझ औसत हिंदू दिल-दिमाग में ऐसे बनवाया जाएगा, जिससे पिछले पांच सालों की तकलीफों का अनुभव दबे। संभावनाएं और आतंकी हमले की भी है। जब कश्मीर में आतंकी हैं तो जैसे पुलवामा, उरी, पठानकोट में लापरवाही ने आंतकियों को मौका दिया वैसे आगे भी इन्हें मौका मिल सकता है। जम्मू-कश्मीर या कहीं भी विस्फोट हो, या किसी सियासी जमावड़े, नेता पर आतंकी हमला हो या बंगाल, यूपी में दंगा फूटे तब भी भावनाओं का भभका वैसी ही मौन सामूहिकता लिए होगा जैसा यूपी में 2014 व 2017 में थी।

याद करें इसी के चलते 2014 और 2017 में मायावती, अखिलेश, राहुल गांधी सबने यूपी में धोखा खाया थे। ये गुमान में थे, मायावती को उनके कोऑर्डिनेटर फीडबैक देते थे कि जीत रहे हैं। अखिलेश की सभाओं में यादव-मुसलमानों की भीड़ होती थी तो राहुल भी यूपी में 2009 जैसे कमाल की उड़ान भरे हुए थे। लेकिन सबका सफाया हुआ। यदि आज वाला माहौल आगे भी भावनाओं के सर्जिकल ऑपरेशनों में पका रहा तो अमित शाह की वह भविष्यवाणी सही साबित होगी कि भाजपा यूपी में 73 की जगह 75 सीटें जीतेगी।

मैं जानता हूं ऐसा सोचना लॉजिकल नहीं है। लेकिन सपा-बसपा एलायंस और कांग्रेस का अलग-अलग लड़ना न केवल मुस्लिम वोटों को भ्रमित करेगा, बल्कि सर्जिकल ऑपरेशनों, योगी के हिंदू हुंकारों से यादव परिवारों में, गैर-चमार दलितों में भी भाजपा के लिए वोट बनेंगे।

यहां एक और बात। भावनाओं के सर्जिकल ऑपरेशनों के साथ मोदी-शाह ने हर वर्ग के घर में कुछ न कुछ नकद पैसा, शौचालय, गैस सिलेंडर, डीए-टीए, साधु-संतों को भत्ता, आयुष्मान बीमा कार्ड, किसान कर्ज, आरक्षण जैसी ढेरों खैरात में लाभार्थी की लिस्ट बना उससे बूथ लेवल का माइक्रो प्रबंधन भी व्यवस्थित ढंग से बनाया है। ऐसे में घरों में, परिवारों में वोट के वक्त अपने आप सोचा जाना है कि भरोसा रखो, पांच साल भूलो, दिल पर पत्थर रखो और पाकिस्तानियों से लड़ने वाले मोदी को बनाए रखो!

सोचें, मैं ऐसा सोच रहा हूं! इसलिए क्योंकि विपक्ष को समझ नहीं है कि नरेंद्र मोदी कुछ भी करेंगे वापिस शपथ लेने के लिए। विपक्ष को, देश की राजनीति को भान नहीं है कि अगले तीन महीने में मोदी-शाह हिंदुओं में भावनाओं का भभका बनवाने, उन्हें उल्लू बनाने के लिए कुछ भी कर देंगे।

(साई फीचर्स)

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