(सुशांत कुमार)
भारतीय वायु सेना के विमानों ने नियंत्रण रेखा पार करके पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाके में बने आतंकवादी शिविरों पर बम गिराए और जैश ए मोहम्मद के कंट्रोल रूम सहित कई आतंकवादी समूहों के शिविर उड़ा दिए। इससे करीब ढाई साल पहले 2016 के सितंबर में भारतीय सेना के जवानों ने सर्जिकल स्ट्राइक किए थे और आतंकवादी शिविरों को नष्ट किया था। पर पाकिस्तान उस बात से इनकार करता रहा था। इस बार पाकिस्तान ने माना है कि भारतीय विमानों ने उसकी सीमा का उल्लंघन किया है।
पाकिस्तान का कहना है कि जब उसकी वायु सेना ने जवाबी कार्रवाई शुरू की तो भारतीय विमान वापस लौट गए। हालांकि पाकिस्तान की किसी जवाबी कार्रवाई के कोई लक्षण दिख नहीं रहे हैं। भारतीय विमानों को कोई नुकसान नहीं हुआ है और उन्होंने जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा और दूसरे आतंकवादी समूहों के शिविर नष्ट कर दिए हैं। भारत कई बार पाकिस्तान से कह चुका है कि वह अपनी सरजमीं से चलने वाली भारत विरोधी गतिविधियों को बंद कराए।
भारत बार बार आतंकवादी शिविरों को बंद कराने और घुसपैठ रूकवाने की अपील करता रहा है। पर पाकिस्तान ने कभी भी गंभीरता से यह काम नहीं किया। अगर पाकिस्तान आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है तो मजबूरी में भारत को पहल करनी होगी क्योंकि ऐसा नहीं हो सकता है कि पाकिस्तानी सीमा से आतंकवादी भारत में घुसें और हमले करते रहें और भारत हाथ पर हाथ धरे तमाशा देखता रहे। इस लिहाज से भारतीय सेना ने एक जरूरी कार्रवाई को अंजाम दिया है।
भारत को जैश ए मोहम्मद के खिलाफ कार्रवाई करनी थी। जैश ए मोहम्मद के एक आतंकवादी आदिल अहमद दार ने 14 फरवरी को एक फिदायीन हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, सीआरपीएफ के 40 से ज्यादा जवान मारे गए थे। उस दिन से ही भारत सही समय और मौके की तलाश में था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलवामा हमले के बाद कहा था कि सरकार ने इस आतंकवादी हमले का जवाब देने के लिए समय, जगह और तरीका तय करने की छूट सेना को दी हुई है। सेना ने पुलवामा हमले का जवाब मंगलवार को तड़के दिया।
बताया जा रहा है कि भारत के एक दर्जन मिराज 2000 विमानों ने अंबाला से उड़ान भरी और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद के इलाके में जबरदस्त हमले को अंजाम दिया। भारतीय वायु सेना ने तीन इलाकों पर बमबारी की। सुबह 3.45 से 3.53 तक बालाकोट में, 3.48 से 3.55 बजे तक मुजफ्फराबाद में और 3.58 से 4.04 बजे तक चिकोटी में हमले को अंजाम दिया। कुल 21 मिनट के इस ऑपरेशन में वायु सेना के विमानों ने एक हजार किलो बम गिराए और बताया जा रहा है कि तीन सौ आतंकवादियों का सफाया किया।
भारतीय वायु सेना की यह कार्रवाई कई मायने में बहुत अहम कार्रवाई मानी जा रही है। भारत और पाकिस्तान के बीच इससे नए विवाद की शुरुआत हो सकती है। ध्यान रहे इससे पहले भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था। पर उस समय भी वायु सेना का इस्तेमाल भारत ने नहीं किया था। पूरी लड़ाई भारतीय थल सेना ने लड़ी थी। इस बार आतंकवादियों के शिविर पर वायु सेना ने हमला किया है।
इस पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का इंतजार करना होगा पर इतना तय है कि वायु सेना की कार्रवाई ने आतंकवादियों के हौसले तोड़े होंगे। भारत में घुस कर हमला करने से पहले आतंकवादी संगठन सौ बार सोचेंगे। यह मामूली बात नहीं है कि सेना इतने अंदर तक गई और कार्रवाई को अंजाम दिया। वायु सेना की यह कार्रवाई पुलवामा हमले के तुरंत बाद हुई है इसलिए कहा जा सकता है कि यह पुलवामा का बदला है पर इसका महत्व उससे कहीं ज्यादा है।
आतंकवादी शिविरों पर भारतीय वायु सेना के बम बरसाने के बाद भले पाकिस्तान ने अपने बयान में कहा है कि उसकी जवाबी कार्रवाई से भारतीय विमान वापस लौट गए और भारत की हमले में कोई मारा नहीं गया है। पर हकीकत यह है कि पाकिस्तान तिलमिलाया होगा और बदले की कार्रवाई करेगा। वह सीधे युद्ध की बजाय दशकों से चल रहे छद्म युद्ध को तेज करने का प्रयास कर सकता है।
इसलिए भारत को ज्यादा चौकन्ना रहने की जरूरत है। पाकिस्तान हजार साल लड़ने की अपनी सोच में कोई भी कार्रवाई कर सकता है। भारत भी नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान के साथ युद्ध की नौबत आए। चूंकि इस समय भारत में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं इसलिए भी युद्ध की संभावना को टालना बेहतर होगा।
पुलवामा हमले के बाद से सरकार के साथ खड़ी विपक्षी पार्टियों ने भी वायु सेना की कार्रवाई का खुल कर समर्थन किया है और सशस्त्र बलों को सैल्यूट किया है। एकजुट होकर ही भारत इस समय पाकिस्तान, उसके समर्थक चीन और बाकी दुनिया को यह मैसेज दे पाएगा कि भारत की सुरक्षा को चुनौती देना किसी के लिए भी आसान नहीं है।
(साई फीचर्स)