(ऋषि)
लोकसभा चुनाव में जैसे-जैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण आगे बढ़ते जा रहे हैं, वैसे-वैसे भाजपा की चुनाव जीतने की योजना की कलई खुल रही है। मोदी को कांग्रेस को निशाने पर रखकर चुनाव जीतना है और कांग्रेस के खिलाफ उनके पास बहुत से हथियार हैं। एक कार्यकाल की सरकार चला चुके हैं तो पुराने दस्तावेजों से भी उन्हें कई बातें मालूम हुई होंगी। वह अब दूसरा कार्यकाल संभालने की तैयारी जी जान से कर रहे हैं। राहुल गांधी के खिलाफ प्रचार एक साल पहले से शुरू हो गया था। जैसे भाजपा के लिए मुख्य विपक्ष कांग्रेस ही है और कोई नहीं। केंद्र में राहुल हैं। बाकी नेता चंद्रबाबू नायडू, ममता बनर्जी, अखिलेश, मायावती, चंद्रशेखर राव आदि अगल-बगल खड़े छोटे नेता हैं। मीडिया ने भी यही लाइन पकड़ी हुई है। भाजपा और कांग्रेस के इस घमासान में आम जनता उपेक्षित है। उसे सिर्फ सुनने के लिए मजबूर कर दिया गया है। नरेन्द्र मोदी को सुनो या राहुल गांधी को सुनो। दोनों ही जनता को भिखारी समझते हुए पैसे बांटकर वोट बटोरने की नीति अपनाए हुए हैं।
लोकसभा चुनाव में पांच चरणों के मतदान के बाद रुझान है कि भाजपा बहुमत के करीब नहीं पहुंच रही है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में जहां उसे पिछले चुनाव में सभी लोकसभा सीटें मिल गई थी, वहां अब सभी सीटें नहीं मिलेंगी। गुजरात में भी उसे कुछ सीटों का नुकसान है। इसकी भरपाई पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक आदि दक्षिणी राज्यों से करने की कोशिश हो रही है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव जीतने की पूरी योजना बना रखी है। उसी के हिसाब से पार्टी आगे बढ़ रही है और मोदी चुनाव प्रचार को नया मोड़ देने में लगे हुए है। पांच चरणों के बाद उन्हें समझ में आया कि राहुल गांधी के विरोध से काम नहीं चल रहा है। तब यह खबर आ गई कि राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने आईएनएस विराट पर दस दिन की छुट्टी मनाई थी। उनके साथ उनके रिश्तेदार और मित्र भी थे। उनकी इतालवी सास, सोनिया गांधी की मां भी मौजूद थी।
दिल्ली, मप्र, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में मतदान बाकी है, जो भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है। लोकसभा की तीन चौथाई सीटों का फैसला ईवीएम में दर्ज हो चुका है। बाकी सीटों के लिए जोर लगाया जा रहा है। मोदी को बहुमत के निकट पहुंचना है। बोलते बोलते गला खटारा हो चुका है, फिर भी जोर लगा रहे हैं। अब राजीव गांधी को बदनाम करते हुए बाकी सीटों पर भाजपा के वोटों का प्रतिशत बढ़ाना चाहते हैं। जो व्यक्ति राजनीति में दस साल से भी कम रहा, जिसने प्रधानमंत्री बनने के बारे में सपने में भी नहीं सोचा, जिसने लोकसभा की 422 सीटें जीतने के बाद भी तानाशाही भरा रवैया नहीं अपनाया, राजनीति में परस्पर सम्मान की भावना को सबसे ऊपर रखा और विपक्ष में बैठा, आत्मघाती हमलावर के जरिए जिसकी हत्या की गई, उस व्यक्ति को बदनाम करने से भाजपा को कुछ और ज्यादा वोट मिल जाएंगे, शायद मोदी ऐसा सोचते हैं।
गौरतलब है कि राजीव गांधी को भारत सरकार भारत रत्न की उपाधि दे चुकी है। अब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। अगर वह राजीव गांधी को लेकर विपरीत बयानबाजी करते हैं तो पहले उन्हें राजीव गांधी को दिया गया भारत रत्न का दर्जा वापस लेना चाहिए, फिर ऐसी बातें होनी चाहिए कि वह सौदौं में दलाली खाते थे या सरकारी खर्च पर जंगी पोत पर छुट्टियां मनाते थे। लेकिन मोदी इतना श्रम नहीं करेंगे। फिलहाल उन्हें सिर्फ चुनाव जीतना है।
अमित शाह पहले ही लोकसभा चुनाव को पानीपत की लड़ाई बता चुके हैं। मोदी और शाह लोकसभा चुनाव को लड़ाई समझकर किसी भी तरह उसे जीतना चाहते हैं। नोटबंदी, जीएसटी आदि फैसलों के माध्यम से उसने चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त वित्तीय गोला बारूद जमा कर लिया है। सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में मोदी भक्त उत्पात मचाए हुए हैं। मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस के जरिए 4जी सेवा शुरू करते हुए देश में जो व्हाट्सएप का जाल फैलाया गया है, उससे भी मोदी सरकार को चुनाव जीतने में बहुत मदद मिल रही है। व्हाट्सएप पर कई भ्रामक वीडियो, बयान आदि फैलाए जा रहे हैं।
इस सिलसिले में अब दिवंगत राजीव गांधी भी शामिल हैं। मोदी अपने खुद के बारे में कुछ नहीं कहेंगे कि उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए पद की मर्यादा का पालन कहां तक किया है। उन्होंने पूरी सरकार को अपनी कठपुतली बनाकर रखा। इसमें भाजपा अध्यक्ष के रूप में अमित शाह और वित्त मंत्री अरुण जेटली मुख्य सहायक और सलाहकार रहे। तब शत्रुघ्न सिन्हा ने मोदी सरकार को तीन पहियों पर चलने वाला आटोरिक्शा बताया था। मोदी सरकार के बारे में अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा सहित कई भाजपा नेता अपने उद्गार व्यक्त कर चुके हैं, जिसके बाद वे राजनीति में एकदम हाशिए पर हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में जनता ने अपनी मर्जी से मोदी को चुना था। इस लोकसभा चुनाव में जनता पर भारी दबाव है कि जबरन मोदी को चुने। मोदी ही देश को संभाल सकते हैं। कांग्रेस ठीक नहीं थी। राहुल गांधी में समझ नहीं है, वह पप्पू है, उनके पिता राजीव गांधी भ्रष्टाचार करते थे। हम ईमानदार हैं। जनता हमारा परिवार है। हम किसी परिवार के लिए राजनीति नहीं करते। भाजपा नेताओं की ये बातें लगातार लोगों के कान में पहुंच रही हैं।
मोदी की रणनीति यह मालूम पड़ती है कि जनसाधारण के कानों को इतना पकाते रहो कि वह अपने को वोट देने के अलावा और कुछ सोच ही नहीं सके। यह मोदी की लोगों के दिमाग पर सर्जिकल स्ट्राइक है। इसी के तहत अब आसन्न पराजय को टालने के प्रयास में अंतिम चरणों के मतदान से पहले राजीव गांधी को बदनाम करते हुए चुनाव लड़ा जा रहा है। लोगों को बहुत ही सावधानी से मतदान करने की जरूरत है। एक गलती देश को बर्बाद कर सकती है।
(साई फीचर्स)