सर्पदंश की स्थिति में स्वास्थ्य केन्द्र में करायें उपचार
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। सर्पदंश के कारण बडी संख्या में लोगों की मृत्यु होती है। विगत वर्ष में जिले में कुल 47 लोगों की मृत्यु सर्पदंश के कारण हुई है। सर्पदंश से सुरक्षा के लिए सामान्य सुरक्षा उपायों का पालन कर इन घटनाओं से बचा जा सकता है।
उपयोग करने से पहले स्लीपिंग बैग, जूते और कपड़ों को खोलकर हिलाएं ताकि उनमें छिपे सांप (और अन्य जानवर और कीड़े) बाहर निकल जाएं। किसी पेड़ के नीचे बैठने से पहले जमीन की जांच कर लें। झाड़ियों या गहरी रेत में चलते समय जूते, मोज़े और लंबी पतलून पहनें। रात में टहलते समय, जलावन की लकड़ियाँ इकट्ठा करते समय, विशेष रूप से भारी बारिश के बाद, टॉर्च का प्रयोग करें। सांपों को परेशान न करें, उनके पास न जाएं, जमीन पर सोते समय साधारण मच्छरदानी का उपयोग करें अथवा पलंग पर सोएं। बाहर पहाड़ी-खेतों में जाते समय लॉन्ग बूट पहनें। ऐसी जगह पर जहां सांपों का खतरा अधिक रहता है, वहां पर छड़ी से जमीन पर आवाज करते हुए चलें। पत्थरों के नीचे, गड्डे के अंदर जिन जगहों पर सांपों के छुपे होने की आशंका रहती है, उन जगहों से छेड़छाड़ न करें। अपने घर के आसपास की घास समय-समय पर कटवाते रहें। घर या फिर दुकान में किसी तरह का कबाड़ इकट्ठा न होने दें। घर या दुकान में छोटे-छोटे गड्ढे और दरार हैं, तो उसे बंद करें। घर के आस पास कूड़ा इकट्ठा नहीं होने दें। यदि मजबूत चमड़े के जूते न पहने हों तो ऊंची घास वाले स्थानों से दूर रहें। जहां तक सम्भव हो स्वयं को पगडण्डियों तक सीमित रखें।
सर्प दंश के लक्षण
सांप के डसने या काटने से अलग-अलग लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे- काटने वाली जगह पर दर्द-सूजन, उल्टी-जी मिचलाना, अकड़न-कंपकपी,एलर्जी स्किन कलर में चेंज, पेट दर्द-दस्त, बुखार-सिरदर्द, काटने वाली जगह काली पड़ने लगी हो, कमजोरी,प्यास लगना,लो बीपी, घाव से खून बहना, अंगों के आसपास के हिस्से का सुन्न पड़ना
सर्प दंश के बाद क्या करें
सबसे पहले जिसे सांप ने काटा है उसे लिटा दें ताकि चलने-फिरने से जहर न फैले। उसे हिम्मत दें जिससे वो घबराये नहीं, घबराने से हृदय की गति बढ़ जाती है, जिससे विष का फैलाव तेजी से हो सकता है। पीडित को निकटतम स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल तत्काल ले जाएं। यदि संभव हो, तो सांप की पहचान करने की कोशिश करें। सांप को पकड़ने या मारने की कोशिश न करें, बस उसके रंग, आकार, और अन्य विशेषताओं को याद रखें। सर्पदंश स्थल को काटने या चूसने की कोशिश न करें। यह विष को हटाने में मदद नहीं करता और संक्रमण का जोखिम बढ़ा सकता है। स्वयं से किसी भी प्रकार की दवाई मरीज को न दें। पीडित व्यक्ति के सर्पदंश वाले भाग पर किसी भी प्रकार का मलहम न लगाये।सपेरे अथवा तांत्रिक के चक्कर में पडे।

हर्ष वर्धन वर्मा का नाम टीकमगढ़ जिले में जाना पहचाना है. पत्रकारिता के क्षेत्र में लंबे समय तक सक्रिय रहने के बाद एक बार फिर पत्रकारिता में सक्रियता बना रहे हैं हर्ष वर्धन वर्मा . . .
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