विपक्ष ने नहीं पढ़ी चिड़िया की कहानी

 

 

(विवेक सक्सेदना)

हमारे जीवन में कुछ बातें व चीजे ऐसी होती है जिन्हें हम जिदंगी भर भुला नहीं पाते हैं। ऐसी ही कुछ बाते हैं जैसे जब मेरी अखबार में पहली बार कहानी छपी, पहली बार वेतन मिला व पहली बार सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकार बना, उसे मैं कभी नहीं भूल पाया। इनमें से एक ओर चीज एक चिड़िया अनेक चिड़िया नाम एनीमेशन फिल्म भी है। बचपन नहीं बल्कि किशोरावस्ता में देखी गई इस फिल्म का मेरे ऊपर आज भी असर है।

हाल में जब इस फिल्म कि निदेशक विजया मूले के दुनिया में न रहने की खबर पढ़ी तो पूरी फिल्म मेरे सामने फिल्म की तरह से घूम गई व इसके साथ आने वाले लोकसभा चुनाव के नतीजो ने मुझे इस बारे में लिखने के लिए बाध्य कर दिया। फिल्मर्स डिवीजन ने 1974 में यह फिल्म तैयार करवाई थी। इस एक चिड़िया अनेक चिड़िया नाम की फिल्म का उद्देश्य अनेकता में एकता व बच्चे को बहुत आसान भाषा में एक वचन बहु वचन समझाना था।

एनीमेशन के जरिए बनाई गई इस फिल्म में एक बार में तमाम चिड़िया को दिखाया गया था व प्रश्नों में एक गाना चलता था। यह आज भी मुझे याद है। गाने में एक चिड़िया बड़ी चिड़िया से पूछती है कि दीदी यह अनेक चिड़िया क्या होती है। जवाब में उसकी दीदी बनी चिड़िया गाना गाते हुए कहती है कि अनेक-अनेक माने बहुत तारे, जैसे सूरज एक, चंदा एक, तारे अनेक जवाब में छोटी चिड़िया पूछती है अच्छा तो तारो को अनेक कहते हैं? बड़ी चिड़िया गाते हुए जवाब देती है। नहीं-नहीं, देखो फिर से गाते हुए सूरज एक, चंदा एक, तारे अनेक। एक गिलहरी एक और गिलहरी एक-एक-एक करके हो गई अनेक गिलहरियां, एक तितली एक और तितली, अनेक तितलियां, एक चिड़िया एक और चिड़िया, अनेक चिड़िया। अब अनेक चिड़ियो की कहानी सुनो बच्चे हां सुनाओं।

एक दिन अनेक चिड़िया दाना चुगने बैठ गई थी वहीं एक व्याघ ने जाल बिछाया था। बच्चे व्याध यह व्याध क्या होता है। दीदी गाना गाते हुए व्याध चिड़ियो को पकड़ने वाला। बच्चे तो फिर क्या व्याध ने चिड़ियों को पकड़ कर उन्हें मार दिया। दीदी ऊं हुई चतुर चिड़िया सुज्ञान चिड़िया मिल-जुलकर जाल लेकर भागी चिड़िया फुर्र। चिड़िया दूर एकांत में चिड़ियो के दोस्त चूहे रहते थे। उन्होंने उनके जाल को काट दिया देखा एकता में कितनी शक्ति होती है। हम अगर एक हो जाएं तो कोई भी काम कर सकते हैं। बच्चे हां-हां, तो क्या हम पेड़ से आम भी तोड़ सकते हैं। दीदी हां-हां मगर इसके लिए जुगत लगानी पड़ेगी।

बच्चे यह जुगत क्या होती है। बच्चो जुगत वाह बड़ा मजा आएगा। इसके बाद दीदी गाते हुए कहती है कि बन गई एकता, बन गई ताकत बन गई हिम्मत…। फिर एक गीत आता है कि हिंद देश के निवासी, हम सारे जन एक है अलग-अलग रंग, वेष भूषा पेड़ है अनेक, बेला, गुलाब जूही, चंपा, चमेली, फूल है अनेक मगर माला एक है। एक चिड़िया अनेक चिड़िया सूरज एक, चंदा एक, तारे अनेक हैं।

मुझे लगता था कि मेरी ही तरह सात मिनट वाली इस एनीमेशन फिल्म को जिसे अवार्ड भी मिला था को विपक्ष के तमाम नेताओं ने भ जरूर देखा होगा मगर किसी ने उससे कोई संदेश नहीं लिया। एकता की ताकत से कुछ सीखा नहीं। मेरा मानना है कि हमारे देश में विपक्ष ने लगातार अपनी विश्वसनीयता खोने का रिकार्ड बनाया है। वह तो कार के पहिए के उस टायर की तरह से है जिसमें कील चुभने के कारण तमाम छेद हो गए है। वह पंचर हो उठा है। मगर खुद को एकदम ठीक समझ रहा है।

आप ने कांग्रेस के साथ दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में क्या किया? सपा-बसपा ने कांग्रेस के साथ उत्तर प्रदेश में क्या किया यह किसी से छिपा नहीं है। जनता भी विपक्ष के आचरण को भूल नहीं पाई। उसे समझाने के लिए एक कहानी सुनाता हूं। एक दुखी आदमी ने तपस्या की उससे प्रसन्न होकर भगवान ने उसे दर्शन देकर कहा तुम मनचाहा वर मांग लो। मगर इतना याद रखना कि मैं तुम्हें जो कुछ दूंगा उसका दुगना तुम्हारे पड़ोसी को दूंगा। यह सुनते ही उस व्यक्ति ने भगवान से कहा कि मेरी एक आंख चली जाए। उसके काना होते ही पड़ोसी अंधा हो गया। हमारा विपक्ष वहीं कर रहा है। अगर दूसरे दल का उम्मीदवार हार गया तो हम जीत गए। सत्तारूढ दल भले ही इसका फायदा उठा लें, हमें क्या। काश ये लोग जातक कथाएं पढ़कर उससे कुछ शिक्षाएं लेंगे।

(साई फीचर्स)