(शशांक राय)
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कह रहे हैं कि भारत सरकार कार्रवाई के योग्य खुफिया सबूत दे तो पाकिस्तान आतंकवादियों पर कार्रवाई के लिए तैयार है। भारत ने उनके इस बयान पर तवज्जो नहीं दी तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक दूसरा बयान जारी करके कहा कि इमरान खान अपनी बात पर कायम हैं। इमरान खान के हवाले से यह भी कहा गया कि भारत शांति का एक मौका दे। सवाल है कि भारत कितनी बार मौका दे और कितने सबूत दे?
मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के मामले में भारत ने कितने सबूत दिए हैं। सारे सबूतों से यह साबित है कि हाफिज सईद मुख्य साजिशकर्ता था और लश्कर ए तैयबा ने इस हमले को अंजाम दिया था। पर पिछले दस साल से पाकिस्तान जांच और सुनवाई का दिखावा कर रहा है। पठानकोट हमले के बाद तो पाकिस्तान की एजेंसियों तक को भारत आकर जांच की इजाजत दी गई पर उस मामले में भी कुछ नहीं हुआ।
जहां तक पुलवामा में 14 फरवरी को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, सीआरपीएफ के काफिले पर हमले का सवाल है तो मसूद अजहर के आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद ने खुद जिम्मेदारी ली है। जैश ए मोहम्मद पाकिस्तान की सरजमीं से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देता है और पाकिस्तान इस बारे में भारत से सबूत मांग रहा है। पाकिस्तान और उसके प्रधानमंत्री कितनी भी बयानबाजी कर लें पर अगर वे आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई नहीं करते हैं तो शांति नहीं बहाल होने वाली है।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने मोटे तौर पर पांच साल तक शांति के ही प्रयास किए हैं। शपथ समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को न्योता देने से लेकर नवाज शरीफ के जन्मदिन में उनके घर तक पहुंचने का मामला हो या पठानकोट हमले की जांच के लिए पाकिस्तानी एजेंसी को भारत आने देने का मामला हो। भारत का रुख सहयोग का रहा है। पर पुलवामा हमला ऐसे समय में हुआ है कि भारत सरकार शांति प्रयास को जारी नहीं रख सकती है। देश में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं और साथ ही कई राज्यों में विधानसभा के भी चुनाव हैं। ऐसे समय में देश के एक दर्जन राज्यों में 40 से ज्यादा जवानों के शव पहुंचें और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रहे तो यह किसी भी सरकार के लिए आत्महत्या करने जैसा होगा।
तभी भारत सरकार भी लगातार तेवर दिखा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस बार पूरा हिसाब लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सेना को पूरी छूट दी गई है कि वह बदला लेने की जगह, तरीका और समय खुद तय करे। जाहिर है सरकार की ओर से आर पार का मूड दिखाया जा रहा है और इसे बयानों से नहीं रोका जा सकता है।
मौजूदा माहौल में शांति का एकमात्र तरीका यह है कि पाकिस्तान कार्रवाई करे। पिछले हफ्ते ऐसा लग रहा था कि पाकिस्तान सरकार कार्रवाई करने जा रही है। जैश ए मोहम्मद का मुख्यालय कब्जे में लेने की बात थी और उस पर पाबंदी लगाने की खबर थी। पर खुद पाकिस्तान की ओर से कहा गया कि बहावलपुर में जो इमारत उसने कब्जे में ली है पर जैश का मुख्यालय नहीं है। इसका मतलब है कि पाकिस्तान अभी कोई ऐसी कार्रवाई नहीं कर रहा है, जो दिखाने के लायक हो। वह न तो मसूद अजहर को पकड़ रही है और न हाफिज सईद को। उलटे ये सारे आतंकवादी सरकारी सुरक्षा में मेहमान की तरह रखे गए हैं।
यह भी माना जा रहा है कि जब नवाज शरीफ की सरकार इन आतंकवादियों पर कार्रवाई नहीं कर पाई तो इमरान खान की सरकार तो कतई नहीं कर सकती है क्योंकि वह पूरी तरह से पाकिस्तानी सेना पर ही आश्रित है। अब पाकिस्तान तभी कोई कार्रवाई कर सकता है, जब उसके ऊपर अंतरराष्ट्रीय दबाव हो और वह दबाव तभी कारगर होगा, जब चीन उसमें शामिल हो। जब तक चीन उसका बचाव करता रहेगा, तब तक पाकिस्तान भले मिट जाए पर भारत से लड़ना नहीं छोड़ेगा।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत किसी बहुत मजबूत कार्रवाई की तैयारी में लग रहा है। ट्रंप का यह बयान अनायास नहीं है। उसके बाद ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का यह बयान आया कि भारत उसको शांति का एक मौका दे। इससे जाहिर हो रहा है कि पाकिस्तान और अमेरिका दोनों इस चिंता में हैं कि भारत कोई कार्रवाई करेगा। भारत की तैयारियां चल रही हैं। पर युद्ध, सीमित युद्ध या सर्जिकल स्ट्राइक की संभावना भी खत्म हो जाएगी, अगर पाकिस्तान खुद अपनी सरजमीं पर पल रहे आतंकवादी संगठनों पर कार्रवाई करे और उसके पुख्ता सबूत भारत को दे। पर वह भारत से सबूत मांग कर यहीं दिखा रहा है कि उसका इरादा कार्रवाई करने का नहीं है। क्योंकि अगर उसे सचमुच कार्रवाई करनी है तो उसे किसी सबूत की जरूरत नहीं है। दूसरे युद्ध के लिए तैयार रहने और भारत को जवाब देने की चेतावनी देकर भी इमरान खान ने अपना इरादा जाहिर कर दिया है।
(साई फीचर्स)

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