जयद्रथ का प्रसंग सुना जयशंकर ने समझाई भारत की बात

(ब्यूरो कार्यालय)

नई दिल्ली (साई)। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि रणनीति बनाना है तो हमें भारतीय महाकाव्यों और कथाओं से सीखना होगा। उन्होंने इसके लिए भगवान श्री कृष्ण और जयद्रथ का प्रसंग सुनाया।

उन्होंने कहा कि जब कृष्ण भगवान ने सूर्यास्त का भ्रम पैदा किया। तो जयद्रथ को लगा कि वो बच गए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। विदेश मंत्री ने कहा ये एक अच्छी रणनीति का बेहतरीन उदाहरण है। हमें अपनी कथाओं से इसे सीखना होगा। बता दें कि विदेश मंत्री पुणे में अपनी किताब द इंडिया वे के मराठी अनुवाद भारत मार्ग के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे।

श्री कृष्ण और जयद्रथ की कथा का दिया उदाहरण

एस जयशंकर ने कहा महाभारत के श्री कृष्ण और जयद्रथ की कथा का उहादरण देते हुए कहा, ‘मैं ये उदाहरण इसलिए दे रहा हूं कि कोई भी परिस्थिति हो, कोई भी एनालिसिस हो, हम बड़ी आसानी से दूसरी कहानियों के शब्द बोलते हैं। हम बोलते हैं- ट्रोजन हॉर्स या गॉर्डियन नॉट। मुझे इन कथाओं से कोई दिक्कत नहीं है मैं भी इन्हें पढ़ता हूं। लेकिन मैं अपने देशवासियों को ये समझाना चाहता हूं आप अपने बारे में भी पढ़ें, अगर हमें सच में रणनीति संस्कृति बनानी है तो ये हमारी कथाओं और महाकाव्यों से बनेगी।

क्या है जयद्रथ वध की कथा?

बता दें कि महाभारत की कथाओं में जयद्रथ के वध का वर्णन है। अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु की हत्या के लिए अर्जुन ने जयद्रथ को जिम्मेदार माना और प्रतिज्ञा की अगले दिन सूर्यास्त से पहले अगर जयद्रथ का वध नहीं किया तो वो आत्म दाह कर लेंगे। लेकिन दूसरे दिन जयद्रथ अर्जुन के सामने नहीं आया। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने सूर्यास्त का भ्रम पैदा किया, जिसे देख जयद्रथ बाहर आ गया उसे लगा कि अब वो बच गया है, लेकिन अर्जुन ने उसका वध कर दिया।

कूटनीति में रेपुटेशन की बड़ी कीमत

उन्होंने कहा कि आजकल एक शब्द काफी चर्चा में है रूल्स बेस्ड ऑर्डर। देशों के बीच में एक राजनीतिक मर्यादा होती है। महाभारत की कहानी क्या है, जो नियमों को तोड़ते हैं, जैसे कर्ण और दुर्योधन। वो क्या करते हैं। उन्हें आखिरी वक्त में याद आता है कि नियमों का उल्लघंन हो रहा है, जबकि पूरी जिंदगी उन्होंने इन्हीं नियमों को तोड़ा है। आज आपस में हमारी डिबेट होती है कि हमारे खिलाफ हमसे बड़ा देश है।

कौरव और पांडवों के बीच क्या था? पांडवों की फौज छोटी थी, लेकिन उनके पास बड़ी सोच थी, अनुशासन ज्यादा था, इंटेलीजेंस ज्यादा थी और श्री कृष्ण उनके साथ थे। कूटनीति में भरोसे और रेपुटेशन की कीमत बहुत ज्यादा है। पांडवों की रेपुटेशन कौरवों से बहुत ज्यादा थी। कुछ लोग कहेंगे कि महाभारत में कुछ चीजें गलत थीं, जैसे युधिष्ठिर ने अश्वत्थामा को आगे किया, अर्जुन शिखंडी को युद्धभूमि में ले गए। लेकिन इसके पीछे एक बड़ा कारण था।