राफेल मामले में सरकार ने जानबूझकर अदालत को किया गुमराह: याचिकाकर्ता

 

 

 

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

नई दिल्ली (साई)। पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया कि केन्द्र ने राफेल विमान सौदे मामले में अदालत को जानबूझकर गुमराह किया और यह बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि केन्द्र ने इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत से जरूरी तथ्य छिपाए।

तीनों याचिकाकर्ता शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर के उस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध कर रहे हैं, जिसमें फ्रांस की कंपनी दसॉ से लड़ाकू विमान खरीदने के केन्द्र के राफेल सौदे को क्लीन चिट दी गई थी।

लोकसभा चुनावों के नतीजे आने से एक दिन पहले सार्वजनिक की गईं लिखित दलीलों में उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत को गुमराह करने वाले अधिकारियों को गलत जानकारी देने के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए क्योंकि सरकार ने नोट और दलीलों के जरिए कई झूठ बोले तथा जरूरी तथ्य छिपाए।

याचिकाकर्ताओं ने 41 पन्ने की दलीलों में कहा कि इसने (केन्द्र) सच को छिपाया और ऐसे तथ्यों और दस्तावेजों को लेकर झूठ फैलाया, जिनका इस मामले से सीधा संबंध था। ये तथ्य और दस्तावेज सरकार के पास उपलब्ध थे लेकिन इन्हें अदालत से छिपाया गया।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने 10 मई को उन याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा, जिनमें राफेल मामले में पिछले साल 14 दिसंबर को आए निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने 14 दिसंबर के अपने फैसले में कहा था कि 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की निर्णय प्रक्रिया पर संदेह की कोई आवश्यकता नहीं है। बेंच ने 58 हजार करोड़ रुपये के सौदे में कथित अनियमितताओं की जांच की मांग वाली याचिकाओं को खारिज किया था। सिन्हा, शौरी और भूषण के अलावा आप के सांसद संजय सिंह और वकील विनीत ढांडा ने भी पुनर्विचार याचिकाएं दायर की हैं।

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