(विनीत खरे)
नई दिल्ली (साई)। लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज कहा कि संसद में व्यवधानों में उल्लेखनीय कमी आई है, जिससे सार्थक चर्चा और कार्य-उत्पादकता में वृद्धि हुई है।
मानेसर, गुरुग्राम में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शहरी स्थानीय निकायों के अध्यक्षों के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए, अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र संवाद, धैर्य और गहन चर्चा से फलता-फूलता है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि लोकसभा में देर रात तक चलने वाले सत्र और लंबे वाद-विवाद एक परिपक्व और जिम्मेदार लोकतांत्रिक संस्कृति को दर्शाते हैं। उन्होंने शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) से जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नियमित बैठकें, सुदृढ़ समिति प्रणालियां और जनभागीदारी बढ़ाने का आग्रह किया।
शहरी स्थानीय निकायों में प्रश्नकाल और शून्यकाल का महत्व
श्री बिरला ने प्रतिनिधियों को बताया कि संसद में प्रश्नकाल और शून्यकाल जैसे प्रावधानों ने कार्यपालिका को जवाबदेह ठहराने और जनता के सरोकारों को व्यवस्थित रूप से व्यक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने शहरी स्थानीय निकायों में भी ऐसी ही प्रथाओं को अपनाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नगरपालिकाओं की छोटी, अनियमित या तदर्थ बैठकें स्थानीय शासन को कमजोर करती हैं, इसलिए नियमित, संरचित सत्रों और व्यापक जन परामर्श की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संसद की तरह, शहरी स्थानीय निकायों को भी व्यवधानों से बचना चाहिए और रचनात्मक व समावेशी चर्चाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
व्यवधान लोकतंत्र को कमजोर करते हैं: लोकसभा अध्यक्ष
अध्यक्ष ने लोकसभा का उदाहरण देते हुए कहा कि विरोध प्रदर्शनों और सभा में प्लेकार्ड दिखाने में कमी आने से कार्य-उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जनता की धारणा बदली है और बेहतर कानून बनाने में मदद मिली है। श्री बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि व्यवधान लोकतंत्र की मजबूती को नहीं दर्शाते, बल्कि इसे कमजोर करते हैं। उन्होंने नगर निगम के प्रतिनिधियों से अपने-अपने शहरों और कस्बों में अच्छे आचरण का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए लोगों का नेतृत्व करने का आग्रह किया।
स्थानीय स्वशासन: भारत की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग
श्री बिरला ने कहा कि शहरी स्थानीय निकाय जनता के सबसे करीब हैं और उनके प्रतिनिधि लोगों को पेश आने वाली चुनौतियों और जरूरतों को गहराई से समझते हैं। उन्होंने बताया कि गुरुग्राम जैसे शहरों में शहरी परिवर्तन आर्थिक जीवंतता और लोकतांत्रिक भागीदारी दोनों को दर्शाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत लोकतंत्र की जननी है, जहाँ ग्राम सभाओं से लेकर शहरी नगर पालिकाओं तक स्थानीय स्वशासन हमेशा से इसके सांस्कृतिक ताने-बाने का अभिन्न अंग रहा है। उन्होंने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने से राज्य विधान सभाएँ और लोकसभा सहित अन्य लोकतांत्रिक संस्थाएँ भी सशक्त होंगी।
2047 तक विकसित भारत के लिए शहरी स्थानीय निकायों की भूमिका
श्री बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि 2030 तक 600 मिलियन से अधिक लोगों के शहरी क्षेत्रों में रहने का अनुमान है, इसलिए शहरी शासन का पैमाना और दायरा उसी के अनुसार विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों को केवल सेवाएं पहुंचाने की पारंपरिक भूमिकाओं तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि स्व-शासन की सच्ची संस्थाओं के रूप में उभरते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान करना चाहिए। उन्होंने प्रतिनिधियों से सम्मेलन को नीतिगत संवाद से आगे बढ़कर लोकतंत्र को सुदृढ़ करने और संस्थागत विकास के मंच के रूप में देखने का आग्रह किया।
महिला नेतृत्व और नागरिकों के साथ प्रभावी संवाद
शासन में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के बारे में बात करते हुए, श्री बिरला ने गर्व व्यक्त किया कि देश भर के कई स्थानीय शहरी निकायों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगभग 50% तक पहुँच गया है। उन्होंने इसे एक परिवर्तनकारी बदलाव बताते हुए कहा कि महिला नेता शासन और लोक कल्याण के कार्यों में अद्वितीय संवेदनशीलता लाती हैं। उन्होंने नगरपालिका की महिला नेताओं के लिए प्रशिक्षण, नेतृत्व विकास और उन्हें नीतिगत मामलों में शामिल किए जाने का आह्वान किया।
श्री बिरला ने सभी प्रतिभागियों से नागरिकों के साथ प्रभावी संवाद करने, दीर्घकालिक नीति नियोजन और नगरपालिका के कामकाज में निरंतर सुधार सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
सम्मेलन का समापन
यह दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन, जो 3-4 जुलाई, 2025 को गुरुग्राम में इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (ICAT), IMT मानेसर में आयोजित किया गया, पूरे भारत के शहरों में भागीदारीपूर्ण शासन संरचनाओं के माध्यम से संवैधानिक लोकतंत्र को मजबूत करने और राष्ट्र निर्माण में शहरी स्थानीय निकायों की भूमिका पर चर्चा करने की एक ऐतिहासिक पहल है।
सम्मेलन के दूसरे दिन यानी 4 जुलाई, 2025 को सभी प्रतिनिधि रिपोर्ट और कार्रवाई योग्य सिफारिशें प्रस्तुत करेंगे। समापन सत्र को हरियाणा के माननीय राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय संबोधित करेंगे, जिसमें राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे।
श्री ओम बिरला ने शहरी स्थानीय निकायों से उत्कृष्टता, निष्ठा और नवाचार के लिए प्रयास करने का आग्रह करते हुए अपनी बात समाप्त की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ऐसे सामूहिक प्रयासों के माध्यम से भारत 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
इस कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री, श्री नायब सिंह और हरियाणा विधान सभा के अध्यक्ष श्री हरविंदर कल्याण सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नगरपालिका अध्यक्ष, निर्वाचित प्रतिनिधि और वरिष्ठ प्रशासक साझी लोकतांत्रिक भावना के साथ इस सम्मेलन में शामिल हुए।

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