(ब्यूरो कार्यालय)
भोपाल (साई)। प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को देखते हुए स्वास्थ्य संचालनालय ने बड़ा निर्णय लिया है। दो साल के भीतर रिटायर हुए विशेषज्ञ डॉक्टरों को एक साल के लिए फिर से अस्पतालों में नियुक्त किया जाएगा। इससे मरीजों को बड़ा फायदा होगा।
कई जिलों में विशेषज्ञों की कमी के चलते मरीजों को दूसरे जिले के सरकारी अस्पताल रेफर किया जाता है। ज्यादातर मरीज निजी अस्पतालों में चले जाते हैं। चुनाव आचार संहिता खत्म होते की काउंसलिंग कर डॉक्टरों की फिर से संविदा पर नियुक्ति की जाएगी।
इसके लिए स्वास्थ्य संचालनालय ने सभी जिलों के सीएमएचओ व सिविल सर्जन को पत्र लिखकर इच्छुक डॉक्टरों से सहमति लेने को कहा है। इस साल सितंबर तक रिटायर होने वाले डॉक्टरों से भी रिटायरमेंट के बाद दोबारा नियुक्ति के लिए सहमति ली जा रही है। बता दें कि दो साल में 191 विशेषज्ञ रिटायर हुए हैं।
प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है। 3278 स्वीकृत पदों में 2249 खाली हैं। विशेषज्ञों की नियुक्ति पदोन्न्ति से की जाती है। इस वजह से इन पदों को भरना मुश्किल हो रहा है। पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल ऑफिसरों (पीजीएमओ)को पदोन्नत कर विशेषज्ञ बनाया जाता है।
सरकारी अस्पतालों में पीजीएमओ की इतनी संख्या नहीं है कि विशेषज्ञों के रिक्त पद भरे जा सकें। लिहाजा रिटायर हो गए विशेषज्ञों व पीजीएमओ को एक साल के लिए संविदा पर दोबारा नियुक्ति देने का निर्णय लिया गया है। राजधानी के जेपी अस्पताल में भी विशेषज्ञों की कमी हो गई है। इस साल छह विशेषज्ञ रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में दोबारा नियुक्ति या फिर दूसरे अस्पतालों से जेपी अस्पताल में विशेषज्ञों की पदस्थापना जरूरी है।