(शरद खरे)
पता नहीं प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी गोपाल सिंह बघेल को शिक्षा विभाग के अंतर्गत चल रही विसंगतियों के खिलाफ कार्यवाही करने से गुरेज क्यों है। हाल ही में प्राईवेट स्कूल एसोसिएशन के द्वारा लगभग धमकी भरी एक पत्र विज्ञप्ति जारी की गयी थी। इस विज्ञप्ति के प्रकाशन और प्रसारण के बाद जिला शिक्षा अधिकारी को संबंधित संघ के पदाधिकारियों के खिलाफ एक्शन लेना चाहिये था।
दरअसल, 26 मार्च को प्राईवेट स्कूल एसोसिएशन के द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी थी। इस प्रेस विज्ञप्ति में निजि शालाओं के संचालकों की पीड़ा को उजागर करते हुए कहा गया था कि विद्यार्थियों के द्वारा फीस जमा नहीं करायी जा रही है। इस फीस को बचाकर उनके पालकों के द्वारा महंगी गाड़ियां और आशीशान भवन बनवाये जाते हैं। इस विज्ञप्ति के अनुसार फीस जमा न करवाने वाले विद्यार्थियों के नाम सोशल मीडिया पर सार्वजनिक किये जाने के साथ ही साथ निजि स्कूलों को इसकी जानकारी दी जायेगी ताकि इस तरह के विद्यार्थियों को कहीं भी प्रवेश न दिया जाये।
विडंबना ही कही जायेगी कि इस तरह की विज्ञप्ति के प्रकाशन और प्रसारण के एक सप्ताह बाद तक जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के द्वारा किसी तरह का संज्ञान नहीं लिया गया। अंत में इस मामले का पटाक्षेप जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के द्वारा एक विज्ञप्ति जारी करके कर दिया गया है। इस विज्ञप्ति में फीस अदा न करने को लेकर सरकार के निर्देश और कानून के बारे में बताया गया है।
सवाल यही बना हुआ है कि इस तरह का अपराध किये जाने पर क्या आरोपी को कानून की जानकारी दी जायेगी कि इस तरह की बात कहने के पहले वे कानून पढ़ लें। होना यह चाहिये था कि इस मामले में जिस संघ के द्वारा इस तरह की विज्ञप्ति जारी की गयी थी उस संघ के पदाधिकारियों से सवाल-जवाब किये जाने चाहिये थे।
देखा जाये तो शाला निजि हो या सरकारी, इसे लाभ का व्यवसाय कतई नहीं बनाया जा सकता है। जिले भर में कुकुरमुत्ते के मानिंद खुली निजि शालाओं की नियमित जाँच ही अगर करवा ली जाये तो यहाँ पालकों की जेब तराशी के अनेक मामले सामने आ सकते हैं। अगर विद्यार्थी फीस जमा नहीं कर पा रहे हैं और इसके चलते शाला घाटे में जा रही है तो भी इस तरह की धमकी वह भी सार्वजनिक तौर पर दिया जाना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। इस तरह की घटना से इस बात की पुष्टि ही होती है कि निजि शालाओं के नाम पर जिले भर में शिक्षा की दुकानें अस्तित्व में हैं।
इस मामले में काँग्रेस, भाजपा सहित अन्य सियासी दलों के विद्यार्थी संगठनों के मुँह सिले हुए दिख रहे हैं। शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक शैलेष तिवारी ने भी समाचार एजेंसी ऑॅफ इंडिया से चर्चा के दौरान इसे अपराध की श्रेणी वाला कृत्य माना था। संवेदनशील जिलाधिकारी प्रवीण सिंह से जनापेक्षा है कि वे ही इस मामले में संज्ञान लेते हुए किसी सक्षम अधिकारी से इसकी जाँच करवाकर संबंधित संघ और जिला शिक्षा अधिकारी (जिन्हें इस मामले में कठोर कदम उठाने थे) के द्वारा की गयी लापरवाही के लिये उन्हें दण्डित करने की कार्यवाही की जाये।