युवाओं को बतायें सिवनी का महत्व

 

 

(लिमटी खरे)

मानव जीवन अगर चार-पाँच सौ साल से ज्यादा रहता तो निश्चित तौर पर सिवनी से प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर जुड़े लोग आज के सिवनी के हालातों को देखकर दुःखी अवश्य होते। सिवनी में रहना वाकई सौभाग्य की ही बात है। इसके पीछे ठोस आधार भी हमारे सामने हैं।

सिवनी की भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए आज से साढ़े चार सौ साल पहले मुगल शासक शेरशाह सूरी के रणनीतिकारों ने सिवनी को पहचाना था। सिवनी से होकर गुजरने वाला नेशनल हाईवे शेरशाह सूरी के समय बनाया गया था। सिवनी का महत्व ब्रितानी अंग्रेजों की हुकूमत में भी रहा।

अंग्रेजों के द्वारा देश भर में रेल की पांतें बिछायी गयीं थीं। यह सिवनी का सौभाग्य ही रहा है कि सिवनी में लगभग सवा सौ साल पहले रेल की पांतें बिछ गयीं थीं। उस लिहाज़ से देखा जाये तो मुगल शासकों के बाद अंग्रेजों की नज़रों में भी सिवनी की खासी अहमियत रही।

ब्रितानी हुक्मरानों ने सिवनी को पहचाना था। सिवनी में मुगल काल का मुख्य रास्ता और अंग्रेजों के जमाने की रेल लाईन के चलते सिवनी में आबादी का बढ़ना स्वाभाविक था। सिवनी के नैसर्गिक सौंदर्य को देखते हुए उस जमाने के हुक्मरान सिवनी की ओर आकर्षित हुए बिना नहीं रहते होंगे।

सिवनी का ऐतिहासिक मिशन स्कूल (बड़ा मिशन) का विशालकाय भवन अपने आप में इसकी जीती जागती मिसाल है। सिवनी का यह विशालकाय स्कूल सन 1900 में बनकर तैयार हुआ था। यह शाला भवन निश्चित तौर पर उस समय में जबलपुर और नागपुर के स्कूलों के भवनों को टक्कर देता ही रहा होगा।

सिवनी का कंपनी गार्डन, पुराना चर्च, जैन मंदिर, मठ मंदिर, राम मंदिर, दीवानखाना, दादू साहेब की कचहरी, हिन्दी मेन बोर्ड स्कूल आदि न जाने कितने भवन हैं जो इस बात के साक्षी हैं कि आज़ादी के पहले भी सिवनी जिले का खासा महत्व रहा है, उस समय के हुक्मरानों के लिये।

आज़ादी के बाद काँग्रेस की कद्दावर नेत्री सुश्री विमला वर्मा के द्वारा सिवनी जिले को अनगिनत सौगातें दी गयी हैं। सुश्री विमला वर्मा के द्वारा सक्रिय सियासत से किनारा करते ही मानो सिवनी का विकास अवरूद्ध हो गया है। सिवनी की जवान हो रही पीढ़ी को सिवनी का गौरवशाली इतिहास शायद करीने से बताया ही नहीं जा रहा है।

होना यह चाहिये कि सिवनी के इस गौरवशाली इतिहास को जिसमें सिवनी का स्वर्णिम युग रहा है उसको देखते हुए सिवनी के इतिहास पर ईमानदारी से लिपिबद्ध किया जाकर इसका प्रकाशन किया जाकर इसे आज की युवा पीढ़ी को इसके महत्व के बारे में बताया जाना चाहिये कि जिस सिवनी में वे निवास कर रहे हैं.. उसका इतिहास कितना सुंदर और गौरवशाली रहा है।

केंद्र सरकार के मानव संसाधन और विकास मंत्रालय के द्वारा जिस तरह शिक्षा के क्षेत्र में नित नये प्रयोग कर युवा पीढ़ी को आज़ादी के इतिहास या भारत के प्राचीन इतिहास से वंचित कर दिया गया है उसी तरह सिवनी की प्रौढ़ और बुजुर्ग होती पीढ़ी के द्वारा सिवनी के इतिहास को अपनी सुविधा के हिसाब से गढ़कर उसका वर्णन किया जाता है।

आज़ादी के बाद काँग्रेस सत्ता में रही। आज़ाद भारत के शुरूआती दौर में तो आज़ादी के परवानों के बारे में पाठ्यक्रमों में स्थान दिया जाकर यह बताने का प्रयास किया जाता रहा है कि आज़ादी कितने जतन के बाद मिली। उस दौर की कुछ फिल्में भी आज़ादी की लड़ाई पर ही केंद्रित हुआ करती थीं। कालांतर में सब कुछ बदल गया।

देश की युवा होती पीढ़ी महात्मा गांधी की जयंति (02 अक्टूबर) के बारे में क्या सोचती है, इस पर करारा व्यंग्य था लगे रहो मुन्ना भाई में सर्किट के द्वारा दो अक्टूबर को ड्राय डे (जिस दिन शराब की दुकानें बंद रहती हैं) के रूप में याद किया जाना। इसके बाद भी देश के हुक्मरानों को यह समझ में नहीं आया।

आज आवश्यकता इस बात की महसूस की जा रही है कि जवान होती पीढ़ी को सिवनी के वास्तविक इतिहास से रूबरू कराया जाये। आज युवा पीढ़ी से अगर सिवनी के पहले विधायक या सांसद के बारे में पूछ लिया जाये तो वह बगलें झांकती नज़र आयेगी। सिवनी में किस तरह के उद्योग धंधे हुआ करते थे? किस तरह की खेल स्पर्धाएं होती थीं? किस तरह से व्यापार होता था? क्या-क्या कुटीर उद्योग थे? आदि के बारे में आज की युवा पीढ़ी को बताना बहुत जरूरी है।

अभी यह सुनायी दे रहा है कि अपने अंदर गौरवशाली इतिहास सजोने वाले मिशन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के खेल मैदान सहित कुछ दुकानों को बेचने का ताना-बाना बुना जा रहा है। यह सब कुछ इसलिये संभव हो पा रहा है क्योंकि आज जिले की युवा पीढ़ी को इस बात का इल्म नहीं है कि मिशन उच्चतर माध्यमिक शाला का सिवनी के लिये क्या महत्व है? आज दुनिया भर के दो दर्ज़न से ज्यादा देशों में मिशन उच्चतर माध्यमिक शाला से पढ़े विद्यार्थी सिवनी का नाम रौशन कर रहे हैं।

सिवनी शहर में आज़ादी के पहले किस तरह से पानी की सप्लाई होती थी। शहर के चुंगी नाके (आज भी बाहुबली चौराहे को उमर दराज हो चुकी पीढ़ी नाका ही कहती है) कहाँ-कहाँ थे! कौन-कौन से शिक्षण संस्थान थे! स्वास्थ्य की क्या सुविधाएं थीं! आवागमन के साधन किस तरह के थे! जैसी बातों से आज की युवा पीढ़ी को रूबरू करवाना आवश्यक है।

सिवनी के बुद्धिजीवियों, जन प्रतिनिधियों, अधिवक्ताओं, शिक्षा विदों, व्यापारियों, मीडिया जगत से जुड़े लोगों आदि हर विधा के नागरिकों सहित जिला प्रशासन से जनापेक्षा है कि जिस सिवनी का इतिहास गौरवशाली रहा है उस इतिहास को आज की युवा पीढ़ी के सामने अवश्य रखें ताकि युवा पीढ़ी भी सिवनी के महत्व को पहचानकर सिवनी में खुद के होने का गौरव अनुभव कर सके।