दुआएं मिल रहीं रामदल को

 

 

(शरद खरे)

सिवनी में रामदल की अभिनव पहल इस साल भी जारी है। हर साल की तरह इस साल भी रामदल द्वारा लोगों के सहयोग से भीषण गर्मी के मौसम में वाटर कूलर्स के जरिये लोगों के कण्ठ तर किये जा रहे हैं। वस्तुतः यह काम स्थानीय निकाय और स्वयं सेवा का दावा करने वाली गैर सरकारी संस्थाओं का है। देखा जाये तो निर्वाचित विधायक, सांसद, पालिका अध्यक्ष या पार्षदों को भी इसके लिये संजीदा होना चाहिये।

देखा गया है कि एक स्थान पर तीन चार मटके रखवाकर फलां नेता द्वारा प्याऊ का श्रीगणेश शीर्षक से फोटो छपवाकर लोग अपनी छपास ही सामने लाते हैं। इसके बाद उन प्याऊ का क्या हुआ, वहाँ पानी है या नहीं, मटके साबुत हैं या फूट गये, इस बात से उन्हें कोई लेना-देना नहीं होता है। वस्तुतः विधायकों, सांसदों के पास सरकारी स्तर पर इतनी पर्याप्त निधि मुहैया होती है कि वे चाहें तो हर सौ मीटर पर एक प्याऊ खुलवा दें, पर पब्लिसिटी माईंडेड लोग जमीनी स्तर पर काम करने की बजाय थोड़ा सा प्रयास कर उसका ज्यादा से ज्यादा पॉलीटिकल माईलेज लेने का प्रयास करते हैं।

नगर पालिका परिषद के चुने हुए नुमाईंदे भी अगर अपने-अपने दिलों पर हाथ रखकर ईमानदारी से पूछें कि क्या वे उन्हें मिले जनादेश का सम्मान कर रहे हैं? जाहिर है इसका जो उत्तर आयेगा, उससे वे किसी भी स्तर तक संतुष्ट तो नहीं ही हो पायेंगे। ऐसा इसलिये कहना पड़ रहा है क्योंकि ये चुने हुए लोग आयतित नहीं, यहीं पैदा हुए और पले बढ़े हैं, इसलिये वे बेहतर जानते होंगे कि बचपन में उन्होंने कहाँ-कहाँ प्याऊ देखी हैं? क्या आज उन स्थानों पर प्याऊ मौजूद है, या उन स्थानों को अतिक्रमण ने निगल लिया है!

वहीं, दूसरी ओर समाज सेवा का दावा करने वाले संगठन भी आज इतिहास की वस्तु बन चुके हैं। लॉयंस क्लब, रोटरी क्लब जैसी संस्थाएं सिवनी में अब शायद अस्तित्व में नहीं हैं और अगर हैं भी तो उनमें हरकत भी नहीं होती दिखती है। याद पड़ता है कि अस्सी के दशक तक जगह-जगह इस तरह की संस्थाओं द्वारा प्याऊ की व्यवस्था की जाती रही है। जिला चिकित्सालय में ठण्डे पानी की मशीनें लगी हैं पूर्व विधायकों के सहयोग से। इनके आसपास मची गंदगी देखकर साफ लगता है कि चिकित्सालय प्रशासन क्या कर रहा है। जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह स्वयं इसका निरीक्षण कर चुके हैं पर नतीजा ढाक के तीन पात ही सामने आया है।

जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह के द्वारा पूर्व में भीड़भाड़ वाले इलाकों में ठण्डे पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये थे, पर बाज़ारों में सरकारी स्तर पर इस तरह की व्यवस्थाएं नहीं किये जाने से यही प्रतीत हो रहा है कि जिला कलेक्टर के निर्देशों को अधिकारियों के द्वारा ज्यादा तवज्जो नहीं दी जा रही है।

वैसे गर्मी के मौसम में रामदल द्वारा लोगों से सहयोग लेकर अनेक वाटर कूलर्स को शहर भर में स्थापित कर अभिनव प्रयास किया गया है। रामदल की यह पहल अनुकरणीय ही मानी जायेगी। वैसे पेट्रोल पंप, बैंक आदि स्थानों पर तो कंपनी या बैंक को स्वयं ही ठण्डे पानी की मशीन और पर्याप्त पानी के स्त्रोत स्थापित करने चाहिये। साथ ही बड़े व्यवसायियों को अपने-अपने प्रतिष्ठानों में भी इस तरह की सुविधाएं मुहैया करवाना चाहिये। कहा गया है कि पानी पिलाना वाकई सवाब का काम है।

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