बम पटाखे फोड़ते दो पहिया वाहन

(शरद खरे)

यातायात पुलिस हो या परिवहन विभाग, सड़क पर चलने वाले वाहनों पर नियंत्रण के लिये जिम्मेदार दोनों विभागों की कार्यप्रणाली पर लगातार ही प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं। यातायात पुलिस का पूरा ध्यान बिना हेल्मेट बाईक सवारों पर है तो परिवहन विभाग के द्वारा अपने वार्षिक राजस्व के लक्ष्य को ही पूरा करना अपनी जिम्मेदारी समझा जाता है।

जिला मुख्यालय में मॉडीफाईड वाहन बेखटके सड़कों का सीना चीर रहे हैं। बाईक्स में मॉडीफाईड साईलेंसर लगवाकर कर्कश आवाज उत्पन्न करने में आनंद की अनभूति कर रहा है युवा वर्ग। नियमानुसार इस तरह के कर्कश आवाज वाले साईलेंसर्स पूरी तरह प्रतिबंधित ही हैं।

मध्य प्रदेश कोलाहल अधिनियम 1985 के प्रावधानों को धता बताते हुए बाईकर्स गैंग के सदस्यों के द्वारा साइलेंसर्स से पटाखे या गोली अथवा बम फटने जैसी आवाजें निकाली जाती हैं, जिससे लोग भयाक्रांत हो जाते हैं। आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि पुलिस अधीक्षक आवास, पुलिस कंट्रोल रूम आदि के आसपास भी ये बेखौफ होकर इस तरह की आवाजें उत्पन्न करते हैं।

दरअसल, एक विशेष तरह का साईलेंसर जिसे इंदौरी साईलेंसर भी कहा जाता है को अगर बाईक में लगा दिया जाये तो एक बटन के जरिये इस तरह की आवाज आसानी से निकाली जा सकती है। जिला मुख्यालय में मिस्त्रियों के द्वारा इस तरह का साईलेंसर बाईक में लगा दिया जाता है, जो गैर कानूनी ही है।

मोटर व्हीकल एक्ट के तहत वाहन को कंपनी के द्वारा बनाये गये मूल स्वरूप में छेड़छाड़ करना अपराध की श्रेणी में आता है, जिसके लिये जुर्माने का प्रावधान भी है। हद तो तब होती है जब रात के सुनसान माहौल में कर्कश आवाज करती बाईक्स सड़कों का सीना रौंदती हैं।

इस तरह के साईलेंसर्स से निकलने वाली आवाजों से उमर दराज लोग और महिलाएं घबरा जाती हैं। चौक-चौराहों से होकर इस तरह की बाईक्स धड़ल्ले से गुजरती हैं। कुछ साल पहले तत्कालीन नगर कोतवाल शैलेष मिश्रा के द्वारा इस तरह की बाईक्स की धरपकड़ आरंभ की गयी थी। उनके तबादले के बाद सब कुछ ठण्डे बस्ते के हवाले ही कर दिया गया था।

यातायात पुलिस का पूरा-पूरा ध्यान दो पहिया वाहनों में तीन सवारी और हेल्मेट के बिना चलाने की ओर ही केंद्रित दिखता है। वहीं, परिवहन विभाग के द्वारा भी इस दिशा में कार्यवाही नहीं की जाती है। सालों बीत गये जब पुलिस और परिवहन विभाग के द्वारा संयुक्त अभियान चलाया जाकर माननीय न्यायाधीश की उपस्थिति में मौके पर ही कार्यवाही की जाती थी।

संवेदनशील जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह और जिला पुलिस अधीक्षक ललित शाक्यवार से जनापेक्षा है कि वे ही कम से कम इस मामले में संज्ञान लेते हुए परिवहन विभाग और यातायात पुलिस को इसके लिये पाबंद करें कि इस तरह कानफाड़ू कर्कश ध्वनि वाले साईलेंसर से युक्त बाईक्स के खिलाफ कार्यवाही हो सके।

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