बह रहा हजारों गैलन पानी, काँग्रेस-भाजपा ने साधा मौन!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। नियम कायदों को तार – तार करते हुए ठेकेदार की सुविधा के हिसाब से नवीन जलावर्धन योजना का समय बढ़ाने के साथ ही अब तक इस योजना को चालू न करवा पाने के कारण भाजपा शासित नगर पालिका परिषद के प्रति लोगों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है।
ज्ञातव्य है कि मार्च 2015 में इस जलावर्धन योजना के लिये नगर पालिका परिषद और महाराष्ट्र मूल की मेसर्स लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन कंपनी के बीच करार हुआ था। इस करार के हिसाब से नगर पालिका परिषद को ठेकेदार से इस काम को 11 माह में पूरा कराया जाकर नागरिकों को मार्च 2016 से इसका लाभ नागरिकों को देना आरंभ कर देना चाहिये था।
तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी नवनीत पाण्डेय के द्वारा इस योजना की जाँच किये जाने के बाद तकनीकि समिति के द्वारा की गयी जाँच में इस योजना के लिये प्रयोगशाला नहीं पाये जाने सहित अनेक विसंगतियां समाने आयीं थीं। इसके बाद जिला कलेक्टर के द्वारा ठेकेदार पर एक करोड़ रूपये से अधिक का जुर्माना अधिरोपित किया गया था।
बताया जाता है कि ठेकेदार का इकबाल काँग्रेस और भाजपा के नेताओं के बीच इस कदर बुलंद है कि जिला स्तर पर प्रयोग शाला न पाये जाने की बात को राज्य स्तर पर तकनीकि दल के द्वारा जाँच के दौरान विस्मृत किया जाकर ठेकेदार को भुगतान की अनुशंसा कर दी गयी।
तत्कालीन निर्दलीय और वर्तमान भाजपा के विधायक दिनेश राय के द्वारा पिछले साल फरवरी के अंत तक इस योजना का पानी सिवनी के नागरिकों को दिलाये जाने के लिये समय सीमा तय की गयी थी। जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह के द्वारा भी इस साल 28 फरवरी तक इस योजना का पानी लोगों को दिये जाने के लिये ठेकेदार को पाबंद किया गया था।
विडंबना ही कही जायेगी कि विधायक की समय सीमा के 406 एवं जिला कलेक्टर के द्वारा निर्धारित समय सीमा के 46 दिन बीत जाने के बाद भी इस योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। इतना ही नहीं गर्मी अब अपने पूरे शवाब पर है और अनेक वार्डों में पानी की त्राहि त्राहि मची हुई है।
नगर पालिका के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि दरअसल, ठेकेदार के द्वारा पालिका में काँग्रेस और भाजपा साहित सारे पार्षदों को पूरी तरह साधकर रखा गया है इसलिये मिली जुली सरकार के चलते किसी के द्वारा भी इस मामले में आवाज बुलंद नहीं की जा रही है।
सूत्रों ने कहा कि काँग्रेस और भाजपा के जिला और नगर अध्यक्ष भी शायद ठेकेदार से उपकृत हो चुके हैं वरना पानी की त्राहि त्राहि मचने के बाद उनके मौन का दूसरा कारण क्या हो सकता है। लोगों का कहना है कि भीषण गर्मी के बावजूद भी ठेकेदार के द्वारा अभी पाईप लाईन की टेस्टिंग की जाकर हजारों गैलन पानी व्यर्थ ही बहाया जा रहा है। लोगों की मानें तो पालिका के मामले में अब यही लग रहा है मानो प्रशासनिक नियंत्रण नाम की चीज ही नहीं रह गयी है।

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