(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। बट सावित्री व्रत पूजन पति की दीर्धायु अखण्ड सौभाग्य की कामना से किया जाने वाला व्रत तो है ही पर इसमे पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी निहित है।
महामंच के अध्यक्ष रविकान्त पाण्डेय ने कहा कि सनातनी वैदिक परंपरा के परिपालनार्थ केवल व्रत से ही कार्य की इति श्री नही हो जाती है। अंखण्ड सौभाग्य तब होगा जब अखण्ड सौभाग्य प्रदाता बट वृक्ष का संरक्षण संवर्धन किया जाये। इसके लिये गौ, गीता, गंगा महामंच की ओर से अनुठी पहल की गयी जिसमे गोबर से बने गमलो मे बटवृक्ष की पूजा कर उन्हें लगाने का संकल्प उपस्थित श्रृद्धालु भक्तो द्वारा लिया गया।
गोै, गीता, गंगा महामंच की अनुठी पहल पर भारतीय वैदिक सनातनी परंपराओ के व्रत त्यौहारो को पर्यावरण सरंक्षण संवर्धन हितकारी बनाने के साथ प्रकृति से तारतम्य संबंध स्थापित करने पर विशेश बल दिया जा रहा है। गौ, गीता, गंगा महामंच द्वारा हर तीज त्योहारो मे इस प्रकार की कोई न कोई विशेष पहल की जाती रही है।