(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। प्रदेश में स्थित तमाम राष्ट्रीय उद्यानों का भ्रमण करने के उपरांत बारीकी से नजदीकी तौर पर गहन अध्ययन करने पर निष्कर्ष निकाला गया कि नेशनल पार्काें के भीतर वृक्षारोपण कार्य नहीं किये जाने के कारण पार्काें की हरियाली दिनों दिन समाप्ति की और अग्रेषित है।
उक्ताशय की बात भैरोगंज निवासी दिनेश ठाकुर के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कही गयी है। उन्होंने कहा है कि इसका स्पष्ट कारण उन्हें यह समझ में आया कि पार्कांे के भीतर स्थित वृक्ष हवा, तूफान या किसी अन्य कारण से गिरकर वहीं सड़कर समाप्त हो जाते हैं, न तो इन गिरे हुए पेड़ों की लकड़ी कोई ले जा सकता है, लकड़ियां भी वहीं की वहीं जस की तस पड़ी रहती हैं।
अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि देश के राज्यों में प्रतिवर्ष वृक्षारोपण के नाम पर करोड़ों, अरबों रुपये की राशि व्यय की जाती है, जिसमें सिर्फ वृक्षों का रिकॉर्ड कागजों एवं फ़ोटो खिंचवाने तक ही सीमित रहता है। प्रतिवर्ष वन विभाग वृक्षारोपण के नाम पर शासन के अरबों रुपये का गोलमाल करता है, जिसका रिकॉर्ड जमीनी स्तर पर कुछ और एवं कागजी स्तर पर कुछ और रहता है।
उन्होंने कहा है कि उनके द्वारा राष्ट्रीय पार्काें का नजदीकी से किये गये सर्वे के अनुसार मध्य प्रदेश में स्थित रिज़र्व फॉरेस्ट क्षेत्र पेंच टाईगर रिज़र्व राष्ट्रीय उद्यान, कान्हा टाईगर रिज़र्व राष्ट्रीय उद्यान, बांधवगढ़ टाईगर रिज़र्व राष्ट्रीय उद्यान सहित देश के अन्य राज्यों में स्थित राष्ट्रीय उद्यानों में प्रतिवर्ष जब 04 माह बारिश के मौसम में पार्क स्थल पर्यटकों के भ्रमण हेतु पूर्णतः बन्द रखा जाता है, उस समय रिज़र्व फॉरेस्ट क्षेत्र में वृक्षारोपण कार्य करवाया जाना चाहिये, ताकि यदि पुराने वृक्ष गिरकर समाप्त भी हो गये हों, उनकी प्रतिपूर्ति नये वृक्ष के जरिये की जा सके, जिससे प्रकृति एवं पर्यावरण की सौंदर्यता पर किसी प्रकार का कोई असर न पड़ सके।