पेरामेडिकल स्टॉफ की कमी नहीं दिख रही अधिकारियों को!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। जिलाधिकारी प्रवीण सिंह अढ़ायच ने बुधवार 29 मई को एक बार फिर जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया। बार – बार निरीक्षण के बाद भी जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं में किंचित मात्र परिवर्तन भी नहीं दिख रहा है। अस्पताल पुराने ढर्रे पर ही संचालित होता नज़र आ रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सुबह लगभग दस बजे अनुविभागीय अधिकारी राजस्व हर्ष सिंह जिला अस्पताल पहुँचे। उन्होंने बच्चा चोरी होने पर अस्पताल प्रशासन को जमकर खरी खोटी सुनायी। एसडीओर राजस्व के सामने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बगलें झाँकते ही नजर आये।
इसके बाद दस बजकर बीस मिनिट पर जिला कलेक्टर जिला अस्पताल पहुँचे। एसडीओ के अस्पताल पहुँचने के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया था। अस्पताल प्रशासन के द्वारा आनन – फानन में सारी व्यवस्थाओं को पटरी पर लाना आरंभ कर दिया था। आधे घण्टे में अस्पताल की सूरत कुछ बदली नज़र आने लगी थी।
जिला कलेक्टर अस्पताल पहुँचे और उनके द्वारा सिविल सर्जन कार्यालय में सीएस कक्ष के अंदर एक साईकिल खड़ी देखकर जिला कलेक्टर नाराज़ हो गये। इसके बाद उन्होंने अस्पताल का निरीक्षण करना आरंभ किया। इस दौरान अनेक वार्डों में उन्होंने कुछ बातों को गौर से देखा।
अस्पताल के वाटर कूलर में पानी नहीं आने पर उनके द्वारा छत पर रखी टंकियों का निरीक्षण किया गया। छत पर पानी की तीन में से दो टंकियां खाली थीं और एक टंकी में चार पाँच बाल्टी पानी था। इन टंकियों में ढक्कन नहीं लगे थे और जिस टंकी में पानी था उस टंकी में काई लग चुकी थी एवं तली में मिट्टी जमा थी।
इसके उपरांत जिलाधिकारी प्राईवेट वार्ड होते हुए बायोमेडिकल वेस्ट के कचरा घर पहुँचे। वहाँ भी उन्हें कचरे की थैलियां बेतरतीब हालत में ही मिलीं। उन्होंने लगभग सात लाख रूपये की लागत से बनने वाले कचराघर को भी देखा। निर्माण में अनियमितताएं पाये जाने पर उनके द्वारा सहायक यंत्री को फटकार लगाते हुए निर्माण को जेसीबी से तोड़ने और जेसीबी का किराया ठेकेदार से वसूलने के निर्देश दिये।
अस्पताल के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इसके उपरांत अस्पताल प्रशासन के साथ हुई बैठक में जिलाधिकारी प्रवीण सिंह का रवैया बेहद सख्त रहा। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि बार – बार निरीक्षण और निर्देश के बाद भी अस्पताल की स्थिति को देखकर यही लग रहा है कि वे सुबह और शाम अस्पताल में ही उपस्थित रहें।
सूत्रों की मानें तो उन्होंने अस्पताल प्रशासन से यह तक कह डाला कि वे चाहते हैं कि सेवा निवृत्ति के उपरांत आने वाली दूसरी पीढ़ी के साथ समय बिताना चाहते हैं पर अस्पताल प्रशासन तो उन्हें हलाकान ही किये हुए है। उन्होंने अस्पताल के लिये चार वेंटीलेटर खरीदने के निर्देश दिये।
सूत्रों ने बताया कि जैसे ही चार वेंटीलेटर की बात आयी वैसे ही अस्पताल प्रशासन के द्वारा यह कहा गया कि इसका संचालन कौन करेगा! इस पर जिलाधिकारी ने अस्पताल प्रशासन (जबकि यह बात अस्पताल प्रशासन को बताया जाना चाहिये था) से कहा कि दो चिकित्सकों के द्वारा जबलपुर जाकर वेंटीलेटर का प्रशिक्षण लिया गया है।
सूत्रों ने आगे बताया कि जिला कलेक्टर यह कहते हुए नाराज़ हो गये कि दो चिकित्सक (डॉ.तेकाम और डॉ.सोनी) प्रशिक्षण लेने गये थे, वे ऊँघते – ऊँघते गये और वैसे ही लौट आये! इसी बीच अस्पताल प्रशासन के द्वारा अस्पताल में वार्ड ब्वॉय और स्वीपर्स की कमी की बात रखी गयी।
सूत्रों ने बताया कि अस्पताल प्रशासन का कहना था कि अस्पताल में 15 वार्ड हैं पर वार्ड ब्वॉय महज 08 से 10 ही बचे हैं। यही आलम स्वीपर्स का है। प्रशासन का कहना था कि पोस्ट मार्टम के लिये भी स्वीपर्स के न मिलने के कारण प्रशासन को समस्या का सामना करना पड़ता है। जिला कलेक्टर दोपहर लगभग 01 बजकर 20 मिनिट पर अस्पताल से रवाना हुए।
सूत्रों की मानें तो जिला कलेक्टर के अस्पताल से बिदा होने के बाद अस्पताल प्रशासन बहुत ही निश्चिंत नजर आ रहा था। चिकित्सकों के बीच चल रहीं चर्चाओं के अनुसार अस्पताल प्रशासन के द्वारा जिलाधिकारी को पूरी तरह शीशे में उतार लिया गया है। अब कुछ नर्स, कुछ वार्ड ब्वॉय सहित तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की वेतन वृद्धि रोकने की कार्यवाही कर जिलाधिकारी को एक बार फिर अस्पताल प्रशासन के द्वारा पहले की तरह ही साध लिया जायेगा।
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