(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। राहुल गाँधी की न्यूनतम आय गारंटी योजना अगर लागू होती है तो यह आर्थिक जगत में बड़ी क्रांति साबित होगी। जिस योजना को लोक लुभावन योजना कहा जा रहा है वो देश को आर्थिक प्रगति के नये सोपान पर पहुँचा सकती है। जिसे मुफ्तखोरी की योजना कहा जा रहा है वो देश के उद्योग धंधों की रफ्तार तेज़ कर सकती है।
उक्ताशय की बात काँग्रेस की लीगल सेल के अध्यक्ष पंकज शर्मा ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कही। उन्होंने कहा कि यह वास्तव में इस तरह की योजना है जिससे देश के गरीबों का हित सधेगा, पर विपक्षी दलों के द्वारा इस योजना को लेकर तरह – तरह के भ्रम फैलाये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा है कि अगर काँग्रेस सत्ता में आयी तो गरीब परिवारों को साल के 72 हजार रूपये दिये जायेंगे। देश के 20 फीसदी सबसे गरीब लोगों के बैंक खाते में सीधे यह रकम भेजी जायेगी। उन्होंने कहा कि इस माध्यम से पाँच करोड़ गरीब परिवारों और 25 करोड़ लोगों को गरीबी से ऊपर उठा दिया जायेगा।
पंकज शर्मा ने इस योजना के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि अगर किसी की मासिक आय 6000 रूपये है तो उसे 6000 रूपये की सरकारी इमदाद दी जाकर उसकी मासिक आय 12000 रूपये की जायेगी। अगर किसी की आय 11 हजार है तो उसे सरकारी सहायता के रूप में एक हजार रूपये दिये जायेंगे।
उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत अधिकतम सहायता छः हजार रूपये की दी जायेगी। इसके हिसाब से बारह माहों में 72 हजार रूपये की सहायता दिये जाने की बात काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी के द्वारा कही गयी है, जिसको विरोधियों के द्वारा तोड़ मरोड़कर पेश किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि काँग्रेस अपने वादे के मुताबिक यदि 05 करोड़ गरीब परिवारों को 72 हजार रुपये देती है, तो कुल 3600 अरब रुपये देने होंगे। इसे यूँ कहें तो केंद्र सरकार द्वारा 2019-20 के बजट खर्च (27,84,200 करोड़ रुपये) का यह महज 13 प्रतिशत ही होगा।
अधिवक्ता पंकज शर्मा का कहना है कि राहुल गाँधी की न्यूनतम आय गारंटी योजना अगर लागू होती है तो यह आर्थिक जगत में बड़ी क्रांति साबित होगी। जिस योजना को लोक लुभावन योजना कहा जा रहा है वो देश को आर्थिक प्रगति के नये सोपान पर पहुँचा सकती है। जिसे मुफ्तखोरी की योजना कहा जा रहा है वो देश के उद्योग धंधों की रफ्तार तेज़ कर सकती है। उन्होंने कहा कि इस योजना को राहुल गाँधी गरीबी पर आखिरी हमला बता रहे हैं, ये योजना अगर लागू होती है तो आर्थिक जगत में यह बड़ी क्रांति भी साबित होगी।
पंकज शर्मा ने आगे कहा कि दरअसल सरकार जो 72000 रुपये की कम से कम आमदनी की बात कर रही है वो पैसा गरीबों को नहीं दिया जा रहा है बल्कि बाज़ार में मुद्रा की तरलता का प्रवाह करने की कोशिश है। दूसरे शब्दों में कहें तो इससे लिक्विडिटी की लहर दौड़ जायेगी। बाज़ार में इतना पैसा होगा कि कोई भी कारोबार चालू करो, रुकेगा नहीं।
उन्होंने यह भी कहा कि न्यूनतम वेतन में भी जबरदस्त उछाल आयेगा। 12 हजार रुपये से कम आमदनी वाले गरीबों को तो फायदा होगा ही देश में जिसे भी कर्मचारी की ज़रूरत होगी वो कम से कम 15 से 20 हजार रूपये वेतन देने पर मजबूर होगा।
इसका नतीजा ये होगा कि देश में आम लोगों का जीवन बदल जायेगा। एक तरफ 12 हजार रुपये महीने की कम से कम आमदनी होने से कारोबार बढ़ेंगे, दूसरी तरफ इससे ज्यादा कमाने वालों की आमदनी में भी सुधार होगा और ये पैसा सीधे बाज़ार को मजबूती देगा। एक सवाल ये भी हो सकता है कि इतना पैसा कहाँ से आयेगा। भारत सरकार उद्योगों को जो रकम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देती है उसके मुकाबले ये रकम काफी कम है लेकिन उद्योगों को गति देने में इसका कोई सानी नहीं होगा।
कुछ लोग मान सकते हैं कि ये सिर्फ चुनावी जुमला होगा लेकिन ऐसा नहीं है। जब पूंजीवाद आता है तो पूंजी का केन्द्रीयकरण होता है। पैसा अमीरों के पास जाने लगता है। उनकी संपत्ति बढ़ जाती है जबकि आम लोगों की गरीबी बढ़ती है। ऐसे में असमानता और उसके परिणाम स्वरूप पूंजीवाद के खतरे बढ़ जाते हैं। हिंसा और अपराधों में बढ़ौत्तरी होती है।
असमानता को कम करने के लिये पूंजीवादी सरकारें एक न एक तरीके से गरीबों तक पैसा पहुँचाती हैं। सड़क और पुल बनाने या रियल स्टेट जैसे कारोबार को बढ़ावा देने के लिये सरकारें नीति बनाती हैं जिनसे गरीबों को काम मिले। यूपीए सरकार मनरेगा योजना इसी नीयत से लायी थी। राहुल गाँधी अगर ये योजना लाते हैं तो यह दुनिया के सामने मिसाल बनेगी। उद्योगों और कारोबारों को समाज में धन बढ़ने के कारण भारी फायदा होगा। माल की डिमाण्ड बढ़ने के कारण दाम अच्छे मिलेंगे। जाहिर बात है जीडीपी में जबरदस्त उछाल आयेगा। डिमांड बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी तो उद्योग और बढ़ेंगे।
कुल मिलाकर अब समय आ गया है कि सरकार इस नये रास्ते पर चले, पिछले तीन दशक की पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का अनुभव अच्छा नहीं रहा। लघु उद्योंगों की तरक्की के कारण चीन हमसे बहुत आगे है। वहाँ भी लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा अर्थ व्यवस्था को चमका रही है। भारत में अगर ये बदलाव आता है तो आम आदमी एजेंडे पर होगा और दुनिया के सामने ये नयी मिसाल होगी जिसमें गरीबों का भी भला होगा और अमीरों का भी।
उन्होंने आगे कहा कि जाहिर बात है राहुल गाँधी यूँ ही नहीं कह रहे कि यह योजना चरणबद्ध तरीके से चलायी जायेगी। यह बहुत ही प्रभावशाली और सोची समझी योजना है। उन्होंने बताया कि राहुल गाँधी ने कहा है कि इस योजना पर कई अर्थ शास्त्रियों से विचार विमर्श किया गया है, पूरा आँकलन कर लिया गया है, सब कुछ तय कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि इससे पाँच करोड़ परिवार यानी 25 करोड़ लोगों को फायदा होगा, लेकिन फायदा 25 करोड़ लोगों तक ही नहीं रुकेगा।