बिना बताये गायब रहीं डॉ.तेकाम!

 

 

पिछले साल भी निर्धारित से अधिक सीएल की हुई थी शिकायत!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। जिला चिकित्सालय एक बार फिर सुर्खियों में आता दिख रहा है। अस्पताल में अनियमितताएं जमकर हावी हो रही हैं। जिला काँग्रेस के प्रवक्ता जकी अनवर खान के निधन की जाँच अभी चालू भी नहीं हो पायी है और गत दिवस एक बार फिर अस्पताल में गंभीर लापरवाही सामने आ गयी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार एक प्रसूता, शल्य क्रिया के लिये अस्पताल में सात घण्टे से ज्यादा समय तक स्ट्रेचर पर पड़ी तड़पती रही, पर अस्पताल प्रशासन ने उसकी सुध नहीं ली। इसका कारण यह था कि सीजर के लिये निश्चेतक अस्पताल में उपलब्ध नहीं था। बताया जाता है कि अस्पताल की इकलौती निश्चेतक डॉ.पुष्पा तेकाम बिना बताये ही अवकाश पर चलीं गयीं थीं।

अस्पताल के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि स्वाति राय को प्रसव पीड़ा होने पर रविवार को सुबह लगभग पाँच बजे अस्पताल में दाखिल कराया गया था। उनके परीक्षण के बाद उनके सीजर की बात सामने आयी। अब समस्या यह सामने आयी कि अस्पताल में सीजर के पहले निश्चेतना देने का काम कौन करेगा!

सूत्रों ने बताया कि इसके लिये अस्पताल में पदस्थ इकलौती निश्चिेतना विशेषज्ञ डॉ.पुष्पा तेकाम को बुलाने की कवायद आरंभ हुई तो पता चला कि वे अवकाश पर हैं। वे अवकाश पर थीं, पर इस बात की जानकारी अस्पताल प्रशासन को नहीं होने से सात घण्टे तक ऊहापोह की स्थिति ही बनी रही। इस दौरान प्रसव पीड़ा के कारण लगभग सात घण्टे से ज्यादा समय तक प्रसूता तड़पती रही।

सूत्रों की मानें तो दोपहर 12 बजे के उपरांत जब यह बात साफ हुई कि अस्पताल में पदस्थ निश्चेतना विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ.पुष्पा तेकाम बिना बताये अवकाश पर हैं तब जाकर कहीं निजि अस्पताल से निश्चेतना देने वाले चिकित्सक को बुलाया गया और उसके बाद प्रसूता का प्रसव कराया गया।

सूत्रों ने बताया कि इसके पहले भी पिछले साल सीएम हेल्प लाईन में चिकित्सकों के द्वारा निर्धारित से अधिक अवकाश लेकर पूरा वेतन लेने की शिकायत किये जाने के बाद भी न तो अस्पताल प्रशासन ने ही इससे सबक लिया और न ही जिला प्रशासन के द्वारा ही जिला चिकित्सालय की सुध ली गयी।

कुल मिलाकर जिला अस्पताल पर किसी का भी कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। राजनैतिक पहुँच संपन्न चिकित्सकों और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ होने वाली शिकायतों को भी दबा देना अस्पताल प्रशासन का प्रिय शगल बनकर रह गया दिखता है। इसके चलते कुल मिलाकर मरण, गरीब गुरबों की ही हो रही है।

लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन को चाहिये कि जिला चिकित्सालय के लिये किसी सक्षम उप जिलाधिकारी को प्रभारी अधिकारी और नियंत्रणकर्त्ता अधिकारी बना दिया जाकर इसकी सतत मानीटरिंग कराई जाने की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है। पूर्व में जिला पंचायत के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी को अस्पताल का नियंत्रण कर्त्ता अधिकारी को बनाया गया था, किन्तु उनके द्वारा भी अस्पताल की समस्याओं में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली गयी थी।