योजनाओं के क्रियान्वयन में कोताही, नप गये सीएमओ
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। महज़ तीन महीने पहले ही मुख्य नगर पालिका अधिकारी के बतौर पदभार ग्रहण करने वाले सिवनी के सीएमओ मनोज श्रीवास्वत को कर्त्तव्यों के प्रति लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। उन पर जो गाज़ गिरी है वह उनके पूर्ववर्ती मुख्य नगर पालिका अधिकारियों की लापरवाही के चलते बतायी जा रही है।
नगर पालिका के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राज्य शासन के द्वारा जारी निलंबन आदेश में अमृत योजना का विस्तृत प्राक्कलन (डीपीआर) समय सीमा में प्रस्तुत न करने पर सीवर लाईन और हरित क्षेत्र गार्डन विकास जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट वापस हो गये हैं। इसके अलावा रेन वाटर हार्वेस्टिंग सहित अन्य मामलों में उन पर लापरवाही के आरोप लगाये गये हैं।
सूत्रों का कहना है कि अमृत योजना में लापरवाही आज की नही है। इस योजना में सिवनी का नाम शामिल किये जाने के लगभग डेढ़ साल बाद भी इस योजना के मामले में भाजपा शासित नगर पालिका परिषद पूरी तरह उदासीन रही है। मनोज श्रीवास्तव को पदभार ग्रहण किये हुए महज तीन माह हुए हैं, पर इसके पहले पूर्णकालिक और प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारियों के द्वारा भी इस योजना पर ध्यान नहीं दिया गया, जिसके चलते उन पर भी कार्यवाही होना चाहिये था।
सूत्रों का कहना है कि सुश्री विमला वर्मा के सक्रिय राजनीति से किनारा करने के बाद जिले की झोली में जो कुछ भी आ रहा था वह नीतिगत मामलों के तहत ही सिवनी को मिल पा रहा था, इसमें सिवनी के जन प्रतिनिधियों का योगदान बहुत ज्यादा नहीं रहा है।
सूत्रों ने कहा कि भाजपा के शासन काल में नगर पालिका परिषद किस तरह से चलती आयी है यह बात किसी से छुपी नहीं है, पर दिसंबर के उपरांत काँग्रेस के सत्ता में आने के बाद भी जिला और नगर काँग्रेस के द्वारा नगर पालिका की व्यवस्थाएं पटरी पर लाने की कवायाद न किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण ही माना जायेगा।
इधर, काँग्रेस के एक नेता ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि मशहूर कवि गोपाल दास नीरज की कविता कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे की तर्ज पर काँग्रेस के जिला और नगर संगठन के द्वारा कभी भी नगर पालिका की सुध नहीं ली गयी। एक के बाद एक सौगातें छिनती जा रही हैं और अब लोग सिर्फ गुबार ही देख पा रहे हैं।
उक्त पदाधिकारी का कहना था कि कुछ ही माहों बाद नगर पालिका के चुनाव होना है। भाजपा शासित नगर पालिका के रवैये से नागरिक त्रस्त हैं, पर पालिका में विपक्ष में बैठी काँग्रेस के द्वारा भी पालिका के कामों में अपनी मौन सहमति दी जाकर नागरिकों को निराश ही किया जा रहा है। अब नागरिकों के सामने विकल्प भी नहीं रह गया है।