अशोक गोवंशी व डॉ.मेश्राम के बीच हुई चर्चा की सीडी संलग्न की शिकायत में!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। 04 मई को जिला अस्पताल में जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा किये गये निरीक्षण के दौरान एड्स नियंत्रण सेल में परामर्शदाता के पद पर पदस्थ अशोक गोवंशी को फटकार लगाये जाने का मामला तूल पकड़ने लगा है। इस मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा दिये गये कारण बताओ नोटिस का एक और जवाब अशोक गोवंशी के द्वारा दिया गया है।
नोटिस के जवाब की प्रति समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को प्रेषित करते हुए अशोक गोवंशी ने कहा कि उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा जा रहा है। इस जवाब में अशोक गोवंशी के द्वारा मध्य प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण समिति के अलावा सीएमएचओ कार्यालय के दो पत्रों का उल्लेख किया गया है।
इस जवाब में अशोक गोवंशी ने कहा है कि उनके द्वारा 30 मई और 07 जून को अपना जवाब प्रस्तुत किया जा चुका है। इस जवाब के प्रस्तुत करने का कारण उन्होंने यह बताया है कि उन्हें इस मामले में कुछ दस्तावेज मिले हैं जिसके चलते वे यह जवाब प्रस्तुत कर रहे हैं।
उन्होंने अपने जवाब में जिला कलेक्टर पर आरोप लगाया है कि उनके द्वारा अशोक गोवंशी की सेवाएं समाप्त करने एवं उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के उद्देश्य से यह अशोक गोवंशी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया है। इस मामले में अशोक गोवंशी के द्वारा जिला एवं सत्र न्यायालय से 03 जून को अग्रिम जमानत ले ली गयी है।
अशोक गोवंशी ने अपने जवाब में कहा है कि उनकी (अशोक गोवंशी की) सेवा समाप्ति की कार्यवाही जिला कलेक्टर के षड्यंत्र का परिणाम है। इस मामले में सीएमएचओ डॉ.के.सी. मेश्राम के द्वारा उन्हें (अशोक गोवंशी को) व्यक्तिगत और मोबाईल पर चर्चा के दौरान अवगत कराया गया था।
अपने जवाब के साथ अशोक गोवंशी के द्वारा एक सीडी भी सीएमएचओ को भेजी गयी है। उन्होंने सीएमएचओ डॉ.के.सी. मेश्राम से इस सीडी को सुनने की बात भी कही है जिसमें अशोक गोवंशी और सीएमएचओ के बीच 06 जून और 11 जून को चर्चा हुई थी का उल्लेख किया गया है।
उन्होंने अपने जवाब में इस बात का दावा भी किया है कि उनके (अशोक गोवंशी के) पास जिलाधिकारी के करीबी अन्य लोगों की बातचीत की रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है जो आवश्यकता पड़ने पर सक्षम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जायेगी।
अपने जवाब में उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें यह भी ज्ञात हुआ है कि सीएमएचओ के द्वारा राज्य एड्स नियंत्रण समिति के परियोजना संचालक को 24 मई को एक पत्र लिखा गया था, यह पत्र जिलाधिकारी ने ही अपने सहयोगियों के साथ षड्यंत्र करके तैयार कराया गया था।
उन्होंने अपने जवाब में यह भी कहा है कि जिस कंप्यूटर पर यह टाईप किया गया है उसकी हार्ड डिस्क की जाँच भी उनके (अशोक गोवंशी के) द्वारा माननीय न्यायालय के जरिये करवाये जाने की गुहार लगायी जायेगी। यह कंप्यूटर किस कार्यालय में किस कर्मचारी के पदनाम के पास है, इसकी हार्ड डिस्क का नंबर क्या है, आदि जानकारी के लिये उनके (अशोक गोवंशी के) द्वारा सूचना के अधिकार के तहत आवेदन प्रस्तुत किया जा चुका है।

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