पंचों ने पूछा : गबन के आरोपी को कैसे मिले वित्तीय अधिकार!
(फैयाज खान)
छपारा (साई)। ग्राम पंचायत छपारा में पंचों और सरपंच के बीच चल रही रार थमने का नाम नहीं ले रही है। सरपंच की कार्यप्रणाली से नाराज 16 पंचों ने एक बार फिर सरपंच, उप सरपंच और सचिव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
बताया जाता है कि गत 20 सितंबर को सभी पंच जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुनील दुबे से मिलने पहुँचे थे। उनकी मुलाकात देर शाम हो पायी। पंचों ने सीईओ से पूछा कि आखिर गबन के आरोपी को छपारा ग्राम पंचायत में वित्तीय प्रभार कैसे दे दिया गया!
पंचों ने बताया कि जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुनील दुबे ने पंचों को आश्वासन दिया है कि दो तीन दिन में ही बड़ी कार्यवाही को अंजाम दिया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि लगभग 03 माह पूर्व 18 जून को जन सुनवायी कार्यक्रम में छपारा ग्राम पंचायत के 13 पंचों ने सरपंच पूनम सैयाम और उप सरपंच ठाकुर सुरजीत सिंह तथा सचिव बालकराम उईके की भ्रष्ट कार्यप्रणाली से त्रस्त होकर सामूहिक स्तीफे दिये जाने और उसे स्वीकार करें जाने की माँग की थी।
उक्त पंचों ने अपने स्तीफे और दिये गये आवेदन में इस बात का उल्लेख किया था कि छपारा ग्राम पंचायत के संपूर्ण निर्माण कार्यों और आय व्यय के दस्तावेजों की जाँच नहीं करायी जाती है तथा ऐसे ही आर्थिक अनियमितताओं के ग्राम पंचायत चलती है तो पद में रहना उचित नहीं है।
सीईओ ने 03 सदस्यीय जाँच दल किया था गठित : छपारा ग्राम पंचायत के 16 पंचों के द्वारा दिये गये सामूहिक स्तीफे और 11 सूत्रीय शिकायतों के आधार पर जिला पंचायत सीईओ सुनील दुबे ने 29 जुलाई को छपारा ग्राम पंचायत सरपंच के वित्तीय अधिकार पर प्रतिबंध लगाने के साथ – साथ 03 सदस्यीय जाँच टीम गठित करते हुए 03 दिवस के अंदर जाँच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के आदेश जाँच टीम को जारी किये थे।
जाँच प्रतिवेदन का अता पता नहीं और सौंप दिये वित्तीय अधिकार : छपारा ग्राम पंचायत के 16 पंचों ने आरोप लगाते हुए बताया कि उनकी 11 सूत्रीय शिकायत और अपने स्तीफा दिये जाने की माँग को लेकर जो आवेदन प्रस्तुत किया गया था उसके आधार पर 03 सदस्य जाँच समिति गठित हुई थी और उसके बाद अचानक 40 दिनों बाद जिला पंचायत सीईओ सुनील दुबे के द्वारा 05 सितंबर को पुनः छपारा ग्राम पंचायत का वित्तीय प्रभार पूनम सैयाम को सौंप दिया गया जबकि छपारा पंचायत के शिकायत कर्त्ता 16 पंचों को जाँच प्रतिवेदन का अता पता तक नहीं है।