कलेक्टर खुद कब तक अस्पताल जाकर व्यवस्थाओं का करेंगे निरीक्षण!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। सालों बाद किसी जिला कलेक्टर के द्वारा जिला अस्पताल सहित स्वास्थ्य सुविधाओं की सुध लेने के कारण जनमानस में इसकी अच्छी प्रतिक्रिया सामने आ रही है, वहीं प्रसव के लिये पैसे लिये जाने की शिकायत पर अब तक क्या कार्यवाही की गयी इस मामले में प्रशासन के मौन से लोगों के द्वारा प्रशासन की कार्यवाही की मंशा पर प्रश्न चिन्ह भी लगाये जा रहे हैं।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया और दैनिक हिन्द गजट के द्वारा लगातार ही जिले में दम तोड़ती स्वास्थ्य सेवाओं के संबंध में प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराया जाता रहा है। ब्रहस्पतिवार से जिला कलेक्टर के द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं विशेषकर जिला अस्पताल की सुध लेने के कारण लोग राहत महसूस कर रहे हैं।
संत रविदास शिक्षा मिशन के अध्यक्ष रघुवीर अहरवाल ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि जिला प्रशासन की यह अच्छी पहल है पर यह अमली जामा पहन पाये तब बात बने। उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल में व्यवस्थाएं पूरी तरह धवस्त हो चुकी हैं। इसका कारण तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी नहीं वरन जिला अस्पताल के नियंत्रणकर्त्ता अधिकारी हैं।
आम आदमी पार्टी के नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता याह्या आरिफ कुरैशी का कहना है कि इस मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, अस्पताल के सिविल सर्जन, विकास खण्ड चिकित्सा अधिकारी, जिला अस्पताल के आरएमओ आदि की जवाबदेही निर्धारित हैं, अगर वे काम नहीं कर रहे हैं तो उन्हें दण्डित किया जाना चाहिये।
उपभोक्ता काँग्रेस के डी.बी. नायर ने इस संबंध में कहा कि जब भी प्रशासनिक स्तर पर कार्यवाही की जाती है तो गाज तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मियों पर ही गिरती है। इन कर्मचारियों को नियंत्रण करने वाले अधिकारी अपनी खाल बचा लेते हैं। उन्होंने कहा कि साल भर के अधिक समय से पेंशनर्स को दवाएं नहीं मिल रही हैं, और अस्पताल प्रशासन के द्वारा शासन को गुमराह किया जा रहा है।
कॉमरेड राजेंद्र जैसवाल ने इस संबंध में अपनी तल्ख प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अस्पताल के चिकित्सकों के द्वारा बस स्टैण्ड पर अपनी – अपनी दुकानें खोल ली गयी हैं, जो नियम कायदों के हिसाब से अवैध हैं। इन्हें बंद कराया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि नागपुर और अन्य प्रदेशों से आने वाले चिकित्सक सिवनी में अपनी सशुल्क सेवाएं कैसे दे रहे हैं, जाहिर है इन चिकित्सकों को स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है।
व्यवसायी सुधीर सोलंकी का कहना है कि सरकारी अस्पताल में निःशुल्क उपचार मिलना चाहिये, पर अस्पताल के चिकित्सकों के द्वारा मरीजों को अपने निजि क्लीनिक्स पर बुलाकर उनकी जेब तराशी जा रही है। यह सब देखने सुनने के बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का मौन बिना कहे ही बहुत कुछ कह जाता है।
वहीं, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जिला कलेक्टर अगर पाँच – पाँच घण्टे जिला अस्पताल में देंगे तो जिले के अन्य कार्य प्रभावित होंगे। इसके लिये प्रशासनिक व्यवस्था है। जिस तरह पूर्व में तत्कालीन सीईओ जिला पंचायत स्वरोचिष सोमवंशी को स्वास्थ्य विभाग का प्रभारी और जिला अस्पताल का नियंत्रणकर्त्ता अधिकारी बनाया गया था, उसी तरह किसी सक्षम अधिकारी को एक बार फिर प्रभार दिया जा सकता है।
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