(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। किसी जमाने में विधवा महिलाओं के लिये सफेद वस्त्र धारण करना उनकी पहचान थी, लेकिन इस धारणा के खिलाफ बाबा साहब डॉ.अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अनुयायियों की शादी में दूल्हा दुल्हन एवं सभी प्रकार के सामाजिक, धार्मिक कार्यक्रम में सफेद वस्त्र धारण करना शुभ बताते हुए जो क्रांति की थी उस विचार क्रांति का केन्द्र बनता जा रहा है नगर का सिद्धार्थ बुद्ध विहार।
इस विहार से सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक क्रांति की अनूठी पहल हो रही है, जो पुरातन विचारों को गलत सिद्ध करने में सफल दिखायी देती है। उक्ताशय का परिवर्तन नगर के सिद्धार्थ बुद्ध विहार में होने वाले कार्यक्रमों में दिखायी देते हैं।गत दिवस त्रिगुणी बुद्ध जयंति के अवसर पर बौद्ध धर्म के सैकड़ों स्त्री पुरूषों ने सफेद वस्त्र धारण कर जयंति समारोह का प्रारंभ किया। प्रातः 07 बजे सिद्धार्थ बुद्ध विहार के संरक्षक डॉ.एल.के. देशभरतार ने पंचशील ध्वजारोहण किया।
इस अवसर पर धम्मदेशना का वाचन भी हुआ। बुद्धगया बिहार से आमंत्रित भंते विप्पशी ने बौद्ध धर्म की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। सिद्धार्थ बुद्ध विहार के अध्यक्ष आर.पी. पाटिल ने भी अपने विचार व्यक्त किये। बुद्ध विहार में धर्माेपदेशक भंतों के ठहरने के लिये लंबे समय से अभाव देखा जा रहा था, जिसे पूरा करने के लिये श्रीमति नलिनी देशभरतार और डॉ.देशभरतार ने 01 लाख 05 हजार रूपये का चैक भंते निवास के लिये भंते विप्पशी और विहार अध्यक्ष आर.पी. पाटिल को भेंट किया।
कार्यक्रम के दौरान बाबा साहब डॉ.अंबेडकर के शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो आदेश को अपनाने का संकल्प भी लिया गया। दोपहर को भोजन के उपरांत अनेक विचारकों ने अपने विचार व्यक्त किये। शाम को राजेश मेश्राम ऑर्केस्ट्रा ग्रुप कटंगी बालाघाट द्वारा तथागत गौतम बुद्ध और बाबा साहब डॉ.अंबेडकर के विचारों से संबंधित प्रेरक गीत प्रस्तुत किये गये।
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