जन्म से नहीं कर्म से होता है व्यक्ति महान

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। जीवन में मानव मूल्यों का बड़ा महत्व है। मनुष्य जन्म से नहीं कर्म से महान होता है। जन्म किस कुल में हुआ है यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना यह कि हमारा कर्म किस कुल का है। जन्म से कहीं कोई भेद नहीं होता, जो भेद होते हैं वह सब जातिगत है। जाति मात्र हमारी पहचान के लिये है न कि जीवन के निर्धारण के लिये।

उक्त उदगार नेताजी सुभाष चन्द्र बोस हायर सेकेण्डरी शाला के वरिष्ठ प्राध्यापक घनश्याम मिश्रा ने महावीर जयंति पर राम मंदिर प्रागंण शुक्रवारी में आयोजित अंहिसा सम्मेलन के अवसर पर व्यक्त किये। उन्होेंने कहा कि हम किसी को शूद्र कैसे कह सकते हैं, यदि वह महान व्यक्तित्व का स्वामी है। ऐसे ही हम किसी को ऊँचा कैसे कह सकते हैं, अगर उसके कर्म अपराध और आतंक से लिप्त हों। इसी बात को अहिंसा के माध्यम से भगवान महावीर ने कहा था और आज उनकी जयंति के अवसर पर उनके दिये सूत्र प्रासंगिक हैं।

उन्होंने आगे कहा कि हम उस देश के वासी है जिसके अतीत ने सदा जीवन मूल्यों को सम्मान दिया है। मनुष्य को जातिगत विभाजन से बहुत ऊँचा रखा है। एक वक्त था जब लोगों के मन बड़े ऋजु और सरल हुआ करते थे केवल राम नाम ले लेने से उनका बेड़ा पार हो जाता था। अब लोगों के दृष्टिकोण बदल चुके हैं अब केवल राम का नाम लेकर राम नहीं हुआ जा सकता। महावीर का नाम लेकर महावीर नहीं हुआ जा सकता। अब केवल नाम और जप से काम नहीं चलेगा। हमें उन मर्यादाओं को अपने जीवन में आत्मसात करना होगा, जिसके कारण राम मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाये, हमें उस आत्मविश्वास और आत्म पौरूष को जगाना होगा, जिसके कारण महावीर वर्धमान महावीर तीर्थंकर कहलाये।

इसी कड़ी में मुगावली से आये ब्रह्मचारिणी दीदी ने बताया कि भगवान महावीर ने जो सिद्धांत दिये हैं उनकी आवश्यकता हर घर में है और उनका पालन करने से हमारा जीवन सरल और सरस बन जायेगा। आज घरों में जिस तरह से पाश्चात्य सभ्यता का बोलबाला है। बच्चे क्या खा रहे हैं, कब खा रहे हैं, कैसे खा रहे हैं, इन सवालों के जवाब माता – पिता के पास नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में कम्प्यूटर युग है। हम जान सकते हैं कि जो हम खा रहे हैं वह क्या है इसमें क्या मिला है और यह वस्तु खाने योग्य है अथवा नहीं। अगर हम भगवान महावीर के दिये सिद्धांतों का अंश मात्र भी पालन कर सके तो हमारा महावीर जयंति मनाना सार्थक हो जायेगा। आयोजन के दौरान घनश्याम मिश्रा का श्रीफल, शॉल एवं स्मृति चिन्ह देकर नरेन्द्र गोयल, सुबोध बाझल, पवन दिवाकर, निर्मल बाझल, अशोक खजाँची, सुदर्शन बाझल द्वारा सम्मान किया गया।