ड्यूटी के दौरान वरिष्ठ नर्स ने तोड़ा दम!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह के द्वारा जिला अस्पताल की सूरत और सीरत बदलने के लाख जतन किये जा रहे हों पर अस्पताल प्रशासन की लापरवाहियां रूकने का नाम नहीं ले रही हैं। जिला अस्पताल के आपात कालीन भवन में एक नर्स छः घण्टे बीमार पड़ी रही पर उनकी सुध किसी के द्वारा नहीं ली गयी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में इमरजेंसी की प्रभारी प्रमिला (57) पति योगेंद्र मेहता को सोमवार को सुबह 10 बजे असहज महसूस हुआ। उनके द्वारा अस्पताल में उपस्थित चिकित्सक से परीक्षण कराया जाकर अपने साथी पेरामेडिकल स्टॉफ को इस बात की जानकारी दी गयी।
बताया जाता है कि इसके बाद वे इमरजेंसी के नर्सेस ड्यूटी रूम में ही विश्राम करने चली गयीं। जिला अस्पताल में पेरामेडिकल स्टॉफ के द्वारा तीन पालियों में काम किया जाता है। पहली पाली सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक, दूसरी पाली दोपहर दो बजे से रात दस बजे तक एवं तीसरी पाली रात दस बजे से सुबह आठ बजे तक की होती है।
बताया जाता है कि दोपहर दो बजे सुबह की पाली वाला स्टॉफ अपने घर चला गया और दोपहर दो बजे की पाली वाला स्टॉफ काम पर आ गया। इस बीच अस्पताल प्रशासन के द्वारा इस बात की सुध नहीं ली गयी कि इमरजेंसी प्रभारी प्रमिला मेहता कहीं दिखायी क्यों नहीं दे रहीं हैं।
बताते हैं कि दोपहर लगभग साढ़े चार बजे जब कोई स्टॉफ नर्सेस ड्यूटी रूम पहुँचा तब उन्होंने प्रमिला मेहता को वहाँ विश्राम करते हुए पाया। इसके बाद उसके द्वारा उन्हें उठाने का प्रयास किया गया, पर वे नहीं उठीं। उन्हें तत्काल ही गहन चिकित्सा ईकाई ले जाया गया, जहाँ उपस्थित चिकित्सक के द्वारा उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
अस्पताल में चल रहीं चर्चाओं के अनुसार जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह के द्वारा बार – बार जिला अस्पताल का निरीक्षण किया जा रहा है। उनके द्वारा अस्पताल प्रशासन को निर्देश दर निर्देश जारी भी किये जा रहे हैं किन्तु अस्पताल के प्रभारियों के खिलाफ किसी तरह की कार्यवाही नहीं किये जाने के कारण वर्तमान में भी अस्पताल के अंदर अराजक स्थिति बनी ही हुई है।
चर्चाओं के अनुसार सुबह 10 बजे के बाद अगर इमरजेंसी प्रभारी नर्स प्रमिला मेहता कहीं दिखायी नहीं दीं तो अस्पताल के निरीक्षण के लिये जवाबदेह अधिकारियों के द्वारा इस बात की पतासाजी करने का प्रयास क्यों नहीं किया गया कि वे सोमवार को अनुपस्थित थीं अथवा अवकाश लेकर गयीं थीं।
चर्चाओं के अनुसार जिला अस्पताल के कर्णधारों के द्वारा अगर इस बात की सुध ले ली जाती तो प्रमिला मेहता को समय रहते चिकित्सकीय मदद मुहैया हो जाती और संभवतः उनके प्राण बचाये भी जा सकते थे। कुल मिलाकर जिला कलेक्टर के द्वारा किये जा रहे निरीक्षणों में गाज चूंकि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर ही गिर रही है जिसके चलते अस्पताल के जिम्मेदारों के द्वारा भी अपने कर्त्तव्यों के निर्वहन में जमकर कोताही ही बरती जा रही है।
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