अभी तक नहीं उगला नलों ने पानी!

 

 

डेडलाईन समाप्ति के बाद बीतने को है पखवाड़ा पर….

नयी जलावर्धन योजना के ठेकेदार पर मेहरबान दिख रहा प्रशासन!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। समय सीमा, निविदा की शर्तें, कार्यादेश की शर्तें, अधीक्षण, जिलाधिकारी के दिशा निर्देश, विधायक की चेतावनी आदि को तार – तार होते सिर्फ और सिर्फ सिवनी में ही देखा जा रहा है। एक के बाद एक तारीख मिलने के बाद भी नवीन जलावर्धन योजना का पानी लोगों के घरों तक नहीं पहुँच सका है।

ज्ञातव्य है कि नवीन जलावर्धन योजना के लिये भाजपा शासित नगर पालिका परिषद और महाराष्ट्र मूल की लक्ष्मी इंजीनियरिंग सर्विसेस के बीच मार्च 2015 में करार हुआ था, जिसके तहत ठेकेदार को 11 माह में इस योजना का काम पूरा कर मार्च 2016 से इस योजना का पानी जिले के नागरिकों को देना आरंभ कर देना चाहिये था।

इस योजना में बार – बार समय सीमा तय की गयी। निविदा की शर्तों एवं कार्यादेश में उल्लेखित बातों का पालन कराने का काम मानो नगर पालिका परिषद में जनता के गाढ़े पसीने की कमाई से संचित राजस्व के जरिये वेतन लेने वाले तकनीकि विभाग एवं अधीक्षण करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवा शर्तों से विलीन कर दिया गया है।

लोगों का कहना है कि नवीन जलावर्धन योजना पूरी तरह मजाक बनकर रह गयी है और सिवनी जिले के सांसद बोध सिंह भगत, फग्गन सिंह कुलस्ते, विधायक दिनेश राय, राकेश पाल सिंह, योगेंद्र सिंह, सत्ताधारी काँग्रेस के जिला अध्यक्ष राज कुमार खुराना, नगर अध्यक्ष इमरान पटेल, नगर पालिका में सत्ता में बैठी भाजपा के जिला अध्यक्ष प्रेम तिवारी, नगर अध्यक्ष नरेंद्र गुड्डू ठाकुर को इससे कोई सरोकार नजर नहीं आ रहा है।

लोगों का कहना है कि सबसे ज्यादा आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि 2018 में तत्कालीन निर्दलीय विधायक दिनेश राय के द्वारा जलावर्धन योजना को मार्च 2018 में आरंभ कराने के स्पष्ट निर्देश के बाद भी इस मामले में नगर पालिका के द्वारा एक इंच भी कदम नहीं बढ़ाये गये।

लोगों की मानें तो इससे ज्यादा आश्चर्य की बात तो यह है कि जिला कलेक्टर (जो जिले के प्रशासनिक मुखिया का पद है) प्रवीण सिंह के द्वारा 28 फरवरी तक इस योजना को आरंभ करते हुए लोगों को पानी दिलवाने के स्पष्ट निर्देश को भी ठेकेदार के द्वारा हवा में ही उड़ा दिया गया।

चर्चाओं के अनुसार 28 फरवरी की समय सीमा तय किये जाने के बाद 14 मार्च तक भी इस योजना का पानी जिला मुख्यालय के नागरिकों को नहीं मिल पा रहा है, इसके बाद भी जिला काँग्रेस या नगर काँग्रेस संगठन के द्वारा अपने पार्षदों को इस योजना के ठेकेदार को ब्लेक लिस्टेड कराकर उसे अब तक किये गये भुगतान (चूँकि अधिकांश काम नियमों को बलाए तक पर रखकर किये गये हैं) की वसूली के लिये निर्देश तक नहीं दे पा रहा है।

लोगों का कहना है कि जिस तरह तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी नवनीत पाण्डेय के खिलाफ आने वाले निंदा प्रस्ताव को रोकने के लिये भाजपा संगठन अपने ही दल के पार्षदों के सामने बौना साबित हुआ था उसी तर्ज पर अब काँग्रेस का संगठन भी अपने ही दल के पार्षदों के सामने बौना दिख रहा है।