दूषित पेयजल प्रदाय पर विपक्ष मौन, युवा अधिवक्ताओं ने भरी हुंकार . . .

नगर पालिका को दिया सात दिनों का अल्टीमेटम, कहा नागरिकों के स्वास्थ्य से हो रहा खिलवाड़
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। सिवनी शहर में हो रहे दूषित पेयजल प्रदाय के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जल जनित बीमारियों से नागरिक बीमार पड़ रहे हैं। नलों से बदबूदार, मटमैला, पीने के अयोग्य ऐसा जहरीला पानी प्रदाय किया जा रहा है जो केवल लापरवाही ही नहीं वरन आम जनता के जीवन के अधिकार का हनन है। सात दिनों के अंदर अगर व्यवस्थाएं नहीं सुधरीं तो माननीय न्यायालय की शरण में जाने पर वे मजबूर होंगे।
उक्ताशय की बात युवा अधिवक्ता नवेंदु मिश्रा एवं शिवेंद्र सिंह सिसोदिया सहित अनेक अधिवक्ताओं के हस्ताक्षरों से युक्त एक पत्र में कही गई है। मुख्य नगर पालिका अधिकारी को लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि इस साल अप्रैल माह से आज तक नगर पालिका के द्वारा लिए गए गलत निर्णयों, निष्क्रियता एवं पूरी तरह असंवेदनशील रवैये के कारण सिवनी शहर के लाखों नागरिक लगातार जल प्रदाय की समस्या को झेल रहे हैं। नगर पालिका की जल आपूर्ति व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। नलों से बदबूदार, मटमेला और पीने योग्य नहीं, ऐसा जहरीला पानी सप्लाई किया जा रहा है, जिससे आम नागरिकों का जीना दूभर हो गया है। बच्चे बीमार हैं, बुजुर्गों की तबीयत बिगड़ रही है, और कई स्थानों पर जलजनित रोग फैलने लगे हैं। यह केवल लापरवाही नहीं बल्कि आम जनता के जीवन के अधिकार (राईट टू लाईफ अनुच्छेद 21) का सरासर हनन है जो कि एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
पत्र में आगे कहा गया है कि नगर पालिका के द्वारा नलों में सप्लाई किए जा रहे गंदे और अशुद्ध पानी की वजह से लोगों के घरों में लगे वॉटर प्यूरीफायर खराब हो रहे हैं। मध्यम और उच्च वर्ग के लोग तो किसी तरह नए प्यूरीफायर खरीद या मरम्मत करवा लेते हैं। लेकिन जो लोग निम्न वर्ग से आते हैं, झुग्गियों, मजदूर बस्तियों में रहने वाले लोग न तो प्यूरीफायर खरीद सकते हैं और न ही उसकी मरम्मत करवा सकते हैं। उन्हें मजबूरन वही गंदा पानी पीना पड़ रहा है जो पालिका के द्वारा प्रदाय किया जा रहा है, और नतीजा यह है कि लोग पेट की बीमारियों, स्किन इंफेक्शन और यहां तक कि टाइफाइड तक के शिकार हो रहे हैं।
पत्र में उन्होंने आगे कहा है कि सोशल मीडिया, मीडिया आदि में इस आशय की जानकारियों के प्रस्तुत किए जाने के बाद भी नगर पालिका परिषद के द्वारा न तो जल स्त्रोतों से प्रदाय होने वाले जल की शुद्धता की जांच की गई, न ही यह बताने का प्रयास किया गया है कि सिवनी शहर में प्रदाय होने वाला पानी पीने योग्य है अथवा नहीं। इतना ही नहीं शिकायतों पर भी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा संज्ञान नहीं लिया गया है।
अपने पत्र में अधिवक्ताओं के द्वारा आगे कहा गया है कि यदि पालिका द्वारा किए जा रहे संक्रमित जल की वजह से गंभीर संक्रामक रोग अथवा जीवन पर संकट या जीवन जाने की स्थिति बन जाती है तो उसकी जिम्मेदारी क्या पालिका द्वारा वहन की जाएगी? इसके अलावा उन्होंने अल्टीमेटम दिया है कि यदि आगामी 7 दिनों में किसी प्रकार की कोई त्वरित ठोस कार्यवाही नहीं की जाती है तो इस पत्र को देने वालों को जनहित को ध्यान में रखते हुए न्यायालय में नगर पालिका के इस कृत्य के लिए वाद प्रस्तुत करने के लिए बाध्य होना होगा जिसकी सम्पूर्ण जवाबदारी नगर पालिका की एवं जिला प्रशासन की होगी।
इस पत्र की प्रतिलिपि नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव, सचिव, संचालक, जिला कलेक्टर सिवनी, उप संचालक नगरीय प्रशासन जबलपुर को भी प्रेषित की गई है।

अखिलेश दुबे

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