(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। विश्व क्षय रोग दिवस के उपलक्ष्य में जिले के सभी केन्द्रों में गतिविधियों का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
जिला क्षय केन्द्र सिवनी द्वारा नगर के विभिन्न मार्गाें से जागरूकता रैली निकाली जाकर टीबी के प्रति जागरूक किया गया। इसके पश्चात टीबी रोग विषय पर जीएनएम ट्रैनिंग सेंटर सिवनी में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.के.सी. मेश्राम द्वारा बताया गया कि क्षय रोग अब असाध्य नहीं है, इसका बेहतर इलाज है लेकिन यह बात तब ही संभव है जब समय रहते इसका समुचित एवं पूर्ण उपचार कराया जाये।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ.जयज काकोड़िया ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए बताया कि टीबी रोग को जड़ से मिटाने के लिये शासन द्वारा पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। टीबी एक संक्रामक रोग है जो रोगी व्यक्ति द्वारा खांसने एवं छींकने के माध्यम से एक स्वस्थ्य व्यक्ति तक पहुँच जाता है। रोग से नियंत्रण के लिये खांसते एवं छींकते समय मुँह एवं नाक पर आवश्यक रूप से साफ कपड़े अथवा रूमाल का इस्तेमाल किया जाना चाहिये। संभावित क्षय रोगी जिसमें मुख्य रूप से दो सप्ताह से अधिक की खांसी शाम के समय हल्का बुखार, भूख न लगना एवं वजन कम होना, कभी – कभी खंखार में खून का आना मुख्य है।
उन्होंने बताया कि उपरोक्त लक्षणों के पाये जाने पर व्यक्ति को सर्वप्रथम अपने बलगम की जाँच करानी चाहिये। बलगम जाँच माईक्रोस्कोप एवं अत्याधुनिक सीबीनॉट मशीन द्वारा की जाती है। क्षय रोग की पुष्टि होने पर डॉट्स पद्धति द्वारा 06 माह का उपचार दिया जाता है।
इस अवसर पर जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एम.एस. धर्डे द्वारा बताया गया कि एक टीबी मरीज प्रतिवर्ष अपने आस-पास के कम से कम 10 से 15 व्यक्तियों को इस रोग से ग्रसित कर सकता है। इस प्रकार टीबी रोग एक जन समुदाय की समस्या है। जिला मीडिया अधिकारी एस.के. भोयर ने विस्तृत रूप से टीबी रोग के घातक प्रभाव, इसके उपचार एवं मरीज के दिनचर्या एवं खान पान पर जोर देते हुए टीबी रोग से शरीर की इम्यूनिटि प्रतिरोधक क्षमता के विषय पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।
जिला कार्यक्रम समन्वयक सुनील धुर्वे ने बताया कि विश्व क्षय दिवस को जिले में पखवाड़े के रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया गया है। यह भी जानकारी दी गयी कि टीबी मरीज को 500 रूपये प्रतिमाह उपचार पूर्ण होने कि अवधि तक शासन द्वारा निछय पोषण योजना अंतर्गत दिया जायेगा।
कार्यशाला में जिला पीएमडीटी समन्वयक बृजेन्द्र पांडे ने बताया कि इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये कि वह उपचार अवधि में इलाज को बीच में अधूरा न छोड़े अन्यथा वह टीबी का खतरनाक स्वरूप धारण कर लेती है, जिसे एमडीआर टीबी कहा जाता है। उसका उपचार 24 से 27 माह की अवधि का हो जाता है जो कि काफी जटिल होता है।
एस.के. मुन्जे, सीनियर लैब सुपर वायजर, गुलेन्द्र परते, टीबी एचव्ही, सुशील साहू ने भी टीबी विषय पर अपना – अपना उद्बोधन दिया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में रेडियोग्राफर एच.एल. सोनी, लैब टेक्निशियन श्रीमती मधु बघेल, डाटा एन्ट्री ऑपरेटर तीरथ सिंह नागोत्रा, रेवाराम चौधरी एवं जीएनएम ट्रेनिंग सेंटर सिवनी की छात्राओं एवं स्टॉफ का महत्वपूर्ण योगदान रहा।