परेशानी का कारण बन रहे आवारा श्वान!

 

 

पालिका की झींगा मस्ती के चलते कुत्ता पकड़ो अभियान पड़ा ठप्प

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। शहर में आवारा श्वानों का आतंक तेजी से बढ़ता जा रहा है। कहने को तो नगर पालिका प्रशासन के द्वारा आवारा कुत्तों को पकड़ने का अभियान चलाया गया था, किन्तु महज एक-दो दिन चलने के बाद इसे बंद कर दिया गया।

बारिश के मौसम में आवारा कुत्तों की टोलियां लोगों को परेशान कर रही हैं। देर रात तक श्वानों के बीच चलने वाली वर्चस्व की जंग में निकलने वाली डरावनी आवाजें लोगों को डरा रहीं हैं।

पालिका के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सालों से नगर पालिका के द्वारा आवारा मवेशियों, सूअर, कुत्तों आदि को शहर से बाहर खदेड़ने में दिलचस्पी नहीं दिखायी गयी है, जिसके परिणाम स्वरूप जिला मुख्यालय में लगभग चार से पाँच हजार सूअर, दो से ढाई हजार कुत्ते और सैकड़ों की तादाद में आवारा मवेशी घूम रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि दो साल पहले बरघाट नाके में एक डेढ़ साल के बच्चे को आवारा कुत्ते के द्वारा काटे जाने के बाद उसकी मौत हो गयी थी। इसके बाद भी पालिका के द्वारा किसी तरह की मुकम्मल कार्यवाही नहीं किये जाने से आवारा कुत्ते आज भी लोगों को बुरी तरह डरा रहे हैं।

लोगों का कहना है कि देर रात श्वानों के लड़ने और रोने की आवाजें भय पैदा करती हैं। सुबह सवेरे घूमने जाने वाले भी इन कुत्तों के आतंक से परेशान हैं। एक चिकित्सक ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया कि वे सुबह घूमने जाते हैं तो साथ में एक लट्ठ जरूर रखते हैं, पता नहीं कब और कहाँ कुत्तों की टोली मिल जाये, जो हमला बोल दे।

जानकारों का कहना है कि बारिश का मौसम वैसे भी कुत्तों के लिये प्रजनन काल माना जाता है। इस समय कुत्ते झुण्ड बनाकर घूमा करते हैं। बारिश के समय कुत्ते बुरी तरह हिंसक भी हो जाते हैं। सुबह सवेरे स्कूल जाने वाले बच्चे भी आवारा कुत्तों से बुरी तरह भयाक्रांत ही नज़र आते हैं।

शहर के चौक चौराहों पर आवारा कुत्तों की फौज देखने के बाद भी भारतीय जनता शासित नगर पालिका परिषद इस मामले में पूरी तरह मौन बैठी हुई है। विपक्ष में बैठे काँग्रेस के पार्षदों को भी जनता की इस परेशानी से ज्यादा सरोकार नहीं दिख रहा है। शहर का शायद ही कोई ऐसा वार्ड होगा जहाँ आवारा कुत्तों की धमक नहीं दिखायी दे रही होगी।