मिलावट का खेल है जमकर जारी!

 

 

त्यौहारों पर बिक सकती है मिलावटी मिठाई!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। जिले में स्वास्थ्य विभाग और नगर पालिका की निष्क्रियता के चलते मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री चरम पर है। यहाँ खुले में रखी खाद्य सामग्री धड़ल्ले से बिक रही है और जिम्मेदार अमला हाथ पर हाथ रखे बैठा है। संबंधित विभागों द्वारा महज़ रस्म अदायगी के लिये यदा कदा औचक निरीक्षण का स्वांग अवश्य ही रच दिया जाता है।

फिलहाल प्रदेश शासन के निर्देश पर खाद्य एवं औषधि प्रशासन के द्वारा जिले प्रतिष्ठानों की जाँच जारी है। वहीं, नवरात्र के त्यौहार के आते ही मिठाईयों और खाद्य पदार्थों की बिक्री में जमकर उछाल आने की उम्मीद है। कहा जा रहा है कि सीजन के टाईम अब जब मिठाईयों की बिक्री काफी बढ़ जायेगी तो कई ऐसे दुकानदार भी मिठाईयां बनाने लगेंगे, जिनका यह काम है ही नहीं और मिलावट का खतरा सबसे ज्यादा इन्हीं लोगों से होता है।

वहीं चिकित्सकों के अनुसार मिलावटी मिठाईयां स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुँचाती हैं। ये पेट खराब तो करती ही हैं, साथ ही कई बार जानलेवा भी साबित होती हैं। इसी के चलते कई लोग अब मिठाईयों से परहेज करने लगे हैं और उपहार में मिठाई की जगह ड्राई फ्रूट्स का चलन भी बढ़ा है।

मिठाई बनाने वालों के करीबी सूत्रों का कहना है कि होली पर मिठाई बनाने वाले गोदामों में मिठाईयों का एडवांस में स्टॉक आरंभ कर दिया गया है। शहर में मिठाई की लगभग दो दर्जन से अधिक दुकानें हैं। इन दुकानों पर लगभग 200 क्विंटल मावे की मिठाईयों की बिक्री होती है।

नवरात्र पर लोग उपवास भी रखते हैं। इसलिये नवरात्र पर उपवास में उपयोग होने वाली मिठाईयों और नमकीन को बनाने की तैयारियां लगभग 10 से 15 दिन पहले आरंभ हो जाती हैं। मजे की बात तो यह है कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के अधीन फूड एण्ड ड्रग्स एवं नगर पालिका के स्वास्थ्य विभाग के अमले के द्वारा अब तक इस तरह के मामले में किसी भी तरह का नमूना संग्रहण का कार्य आरंभ नहीं किया गया है।

सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि नमूना लेने के बाद उसकी रिपोर्ट आने में एक महीने तक का समय लग जाता है। ऐसे में जब तक सैंपल आयेंगे और कोई कार्यवाही का समय आयेगा, तब तक मिलावट का कारोबार करने वाले माल बेच चुके होंगे। मिलावटी मिठाईयों के चलते लोगों का मोह मिठाईयों से खत्म चुका है, जिसके चलते ज्यादातर लोग रिश्तेदारी में सूखा मेवा, पैकिंग बंद बिस्कुट, चॉकलेट के गिफ्ट पैक और कुरकुरे के डिब्बे देना पसंद करते हैं।

जानकारों का कहना है कि त्यौहार के मौके पर कई दुकानदार ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में बाहर से मिलावटी मावा मंगवाते हैं। यह मावा सिंघाड़े के आटे तथा आलू के मैदे से तैयार किया जाता है। मिलावट या गुणवत्ता के मामले में सबसे ज्यादा खतरा दूध से तैयार होने वाली मिठाईयों का रहता है। दूध से तैयार होने वाली मिठाईयों का लंबे समय तक स्टॉक करने के कारण उनमें बैक्टीरिया उत्पन्न होने का खतरा बढ़ जाता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिये खतरनाक साबित हो सकता है।

दुकानदारों को चाहिये कि मिठाइयों को यदि दो-तीन दिन पहले स्टाक करना है तो उसे कम तापमान पर रखें। जानकारों का कहना है कि इसके लिये नवरात्रि के आस पास चैकिंग का अभियान चलाया जाना चाहिये। इसके साथ ही साथ चिकित्सकों का कहना है कि कुछ दुकानदार मिठाईयों को आकर्षक और रंग बिरंगी बनाने और उनको खराब होने से बचाने के लिये नकली सामान के साथ रसायनिक पदार्थों का प्रयोग भी करते हैं। इसके अलावा मिठाइयों को सजाने के लिये जिन रंगों और कैमिकल्स का प्रयोग किया जाता है उनसे स्किन, लीवर और कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ने का खतरा उत्पन्न हो जाता है।